क्षिप्रा के घाट श्रद्धालुओं के लिये बनेंगे सुविधायुक्त: निरंतर बना रहेगा क्षिप्रा में जल-प्रवाह, मुख्यमंत्री मोहन यादव की पहल पर कार्य योजना हुई तैयार

  • क्षिप्रा के घाट श्रद्धालुओं के लिये बनेंगे सुविधायुक्त
  • निरंतर बना रहेगा क्षिप्रा में जल-प्रवाह
  • मुख्यमंत्री मोहन यादव की पहल पर कार्य योजना हुई तैयार

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-17 16:38 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सिंहस्थ-2028 में क्षिप्रा नदी में जल-प्रवाह को निरंतर बनायें रखने के लिये मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पहल पर विस्तृत कार्य योजना तैयार की गई है। इसमें बैराजों का निर्माण किया जायेगा। कान्ह नदी के व्यपवर्तन से प्रदूषण को रोका जा सकेगा। क्षिप्रा नदी पर श्रद्धालुओं की स्नान सुविधा के लिये सुविधाजनक घाटों का निर्माण होगा। घाटों के निर्माण में लगने वाले पत्थर और अन्य सामग्री का चयन विशेषज्ञों द्वारा किया जाएगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों और अभियंताओं को व्यापक अध्ययन और शोध के बाद कार्य योजना तैयार कर क्रियान्वयन के निर्देश दिए हैं।

श्रद्धालुओं को आचमन और स्नान में नहीं होगी कोई असुविधा

क्षिप्रा के जल को प्रदूषण मुक्त करने के लिए कान्ह नदी के व्यपवर्तन, कान्ह नदी पर 11 बैराजों और क्षिप्रा नदी पर 18 बैराजों का निर्माण इंदौर, उज्जैन और देवास जिले में प्रस्तावित है। इससे सिंहस्थ के लिए क्षिप्रा नदी में निरंतर जल प्रवाह बना रहेगा। क्षिप्रा नदी पर स्नान के बेहतर प्रबंध किये जा सकेंगे। कार्य योजना में क्षिप्रा नदी में सेवरखेड़ी बैराज से मानसून के समय जल का उद्वहन करते हुए 51 मि.घ.मी. जल, पूर्व निर्मित सिलाखेड़ी जलाशय के विस्तारीकरण से भरे जाने की व्यवस्था की जाएगी, जिससे मानसून के अलावा अन्य मौसमों में भी क्षिप्रा नदी में जल निरंतर प्रवाहित होता रहेगा। श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों को आचमन और स्नान इत्यादि में किसी भी प्रकार की असुविधा नही होगी।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने निर्माण एजेंसियों को हिदायत दी है कि कार्य योजना के सभी कार्य समय-सीमा में गुणवत्तापूर्वक किये जाए। ध्यान रखा जाए कि क्षिप्रा नदी पर प्रस्तावित संरचनाओं, प्रस्तावित बैराजों के निर्माण तथा आवश्यक घाटों के निर्माण से स्थानीय निवासियों को कोई असुविधा न हो।

इन घाटों पर श्रद्धालुओं को मिलेंगी पर्याप्त सुविधाएँ

प्रस्तावित कार्य योजना के अनुसार उज्जैन में शनि मंदिर से वी.आई.पी. घाट तक 1500 मीटर, वी.आई.पी. घाट से जीवनखेड़ी ब्रिज तक 7175 मीटर, जीवनखेड़ी ब्रिज से वाकणकर ब्रिज तक 3810, वाकणकर ब्रिज से गऊघाट स्टॉपडेम तक 2938 मीटर, चक्रतीर्थ से ऋणमुक्तेश्वर ब्रिज तक 1590 मीटर, भर्तृहरि गुफा और सिद्धवट से नागदा बायपास तक 11442 मीटर और शनि मंदिर से गोठडा बैराज तक 760 मीटर इस तरह कुल लगभग 29 हजार 215 मीटर की लम्बाई में घाटों के निर्माण के कार्य सम्पन्न होंगे।

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