मध्य प्रदेश: नारी सशक्तिकरण में अग्रणी मध्यप्रदेश, राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान बनाई

  • नारी सशक्तिकरण में अग्रणी मध्यप्रदेश
  • राष्ट्रीय स्तर पर एमपी ने बनाई नई पहचान
  • 22 लाख महिला एवं बालिकाएं सदस्य बनाई गई

Bhaskar Hindi
Update: 2024-11-08 17:24 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। नारी सशक्तिकरण के नव प्रतिमान गढ़ते मध्यप्रदेश ने सफलता की अनेकों कहानियां लिखकर राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान बनाई है। राज्य सरकार द्वारा किये जा रहे सतत प्रयासों ने महिलाओं को स्वाबलंबी और आत्मनिर्भर बनाया है। मध्यप्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य है, जिसने शासकीय सेवाओं में महिलाओं के आरक्षण को 33 प्रतिशत से बढ़ा कर 35 प्रतिशत किया है। साथ ही पंचायत एवं नगरीय निकाय निर्वाचन में 50 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था लागू की है। उद्यमी महिलाओं को राज्य सरकार 2 प्रतिशत दर से ऋण भी उपलब्ध करा रही है। आजीविका मिशन के माध्यम से 40 लाख से अधिक महिलाओं को स्व-रोजगार से जोड़ा गया है।

राज्य सरकार के वादों और इरादों में कोई अंतर नहीं है। राज्य सरकार ने माता-बहनों और बेटियों के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए नित नई योजनाएं चलाई हैं, जिनके परिणाम उत्साह बढ़ाने वाले हैं। इन प्रयासों के चलते ही मध्यप्रदेश में महिलाएं अब मजबूर नहीं बल्कि मजबूत होकर उभरी हैं।

बेटियां वरदान कहीं जाने लगी हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संकल्प से सिद्धि के मंत्र को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आत्मसात करते हुए लाड़ली बहनों को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने के लिए दिन-रात एक कर दिए हैं। उनके सफल प्रयासों की सफलताओं के नवांकुर आज राज्य को अलंकृत कर रहे हैं। महिलाओं को मजबूर से मजबूत बनाने का अभियान आज उनके सशक्त और आत्मनिर्भरता की कहानी उनकी जुबानी कह रहा है। देश के कई राज्यों ने महिला सशक्तिकरण को लेकर मध्यप्रदेश द्वारा उठाए गए कदमों को सराहा है और अपने राज्यों में लागू भी किया है। लाड़ली बहना योजना के माध्यम से राज्य की लगभग एक करोड़ 29 लाख महिलाओं को मासिक 1250 रुपए की राशि सीधे उनके खाते में भेजी जा रही है। महिला सशक्तिकरण की यह अनूठी पहल अन्य राज्यों के लिये अनुकरणीय होकर क्रियान्वित की जा रही है। महाराष्ट्र, झारखंड, छत्तीसगढ़, राजस्थान, बिहार जैसे राज्यों ने लाड़ली बहना योजना को मील का पत्थर मानते हुए अपनाया है।

मध्यप्रदेश की पहचान 20 वर्ष पहले तक एक कुपोषित राज्य के रूप में हुआ करती थी। अब यह बीते जमाने की बात हो गई है। मध्यप्रदेश ने कुपोषण के खिलाफ लंबी और चरणबद्ध लड़ाई लड़ते हुए कामयाबी हासिल की है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण -3 वर्ष (NFHS-3) 2005-06 और वर्ष 2019-21 के जारी सर्वेक्षण के तुलनात्मक आंकड़ों से स्पष्ट हो जाता है कि राज्य सरकार ने कुपोषण के खिलाफ कितनी ईमानदारी से जंग लड़ी और सफलताएं अर्जित की। वर्ष 2005-06 की बात करें तो उन दिनों 60% बच्चे अपनी उम्र के अनुसार कम वजन के होते थे, लेकिन वर्ष 2020-21 में यह अंतर घटकर 33% हो गया है। मध्यप्रदेश को कुपोषण के खिलाफ जंग में मिली इस सफलता के फलस्वरुप देश में तीसरा स्थान प्राप्त हो गया।

राज्य सरकार ने गर्भस्थ महिलाओं और शिशुओं की सुरक्षा के लिए वित्तीय संसाधनों की कोई कमी बाकी नहीं रखी। आंगनबाड़ी केन्द्रों का उन्नयन, रखरखाव एवं संचालन मध्यप्रदेश सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में हमेशा से रहा है। इस दिशा में मुख्यमंत्री डॉ. यादव की अध्यक्षता में हुई मंत्रि-परिषद ने प्रदेश की 12 हजार 670 मिनी आंगनवाडी केन्द्रों को पूर्ण आंगनवाडी केन्द्र के रूप में उन्नयन किए जाने का निर्णय लिया है। इसके लिये पर्यवक्षको के 476 नवीन पद, 12 हजार 670 आंगनवाडी सहायिका सहित कुल 13 हजार 146 नवीन पद स्वीकृत किए गए है।

अटल बिहारी वाजपेई बाल आरोग्य एवं पोषण मिशन के अंतर्गत राज्य सरकार ने कई योजनाएं बनाई हैं। आंगनबाड़ी केदो में मंगल दिवस मनाए जाते हैं। मुख्यमंत्री बाल आरोग्य संवर्धन कार्यक्रम में एम्स के सहयोग से गंभीर कुपोषित बच्चों की देखभाल की जा रही है। माता एवं शिशु के चेहरे की मुस्कान के लिए राज्य सरकार स्वयं को न्यौछावर करने से भी पीछे नहीं है। राज्य की 73.40 लाख हितग्राही महिलाएं आधार से पंजीकृत हैं। राज्य में लिंगानुपात 927 से बढ़कर 956 हो गया है। बाल विवाह के मामलों में भी काफी कमी आई है।

"बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ" राज्य सरकार का ध्येय मंत्र रहा है और इस दिशा में बेटियों को स्कूल जाने के लिए साइकिल और कॉलेज के लिए स्कूटी वितरण का कार्य किया जा रहा है जिससे उनकी शिक्षा की सुविधा में कोई कठिनाई न आए। राज्य सरकार ने बेटियों को डॉक्टर, इंजीनियर, जेईई, जज, सीए आदि परीक्षाओं की तैयारी का खर्च उठाने का जिम्मा स्वयं ले रखा है ताकि माता-पिता को इसके बोझ तले ना दबना पड़े। कक्षा 12वीं के बाद स्नातक अथवा व्यवसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने पर बेटियों को राज्य सरकार 25 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि दे रही है। राज्य सरकार की यही मंशा रही है कि प्रदेश की हर बेटी अपने सपने पूरा कर सके।

महिला सुरक्षा को अपनी उच्च प्राथमिकता में रखते हुए राज्य सरकार हमेशा गंभीरता से कार्य कर रही है। आपातकालीन स्थिति या किसी भी तरह के संकट में उनकी सहायता के लिए राज्य के सभी 57 जिलों में वन स्टॉप केंद्र संचालित हैं। साथ ही 181 हेल्पलाइन नंबर की सेवा प्रदाय की जा रही है। मध्यप्रदेश में महिलाओं को सफल, आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बनाने के लिए मुख्यमंत्री महिला सशक्तिकरण योजना के माध्यम से कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं।

महिला सशक्तिकरण को लेकर राज्य सरकार द्वारा चलाये जा रहे कार्यक्रमों एवं अभियानों की यह सफलता कही जाएगी कि प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश को योजना प्रारंभ से वर्ष 2022-23 तक लगातार 5 साल राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है। राज्य सरकार ने महिला अपराधों को रोकने तथा उसे प्रभावी बनाने के उद्देश्य से शौर्य दल बनाए गए हैं, जिसमें 22 लाख महिला एवं बालिकाएं सदस्य बनाई गई है।

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