मध्यप्रदेश: कांग्रेस जांच कमेटी का दावा, चायनीज सामग्री से बनी थी सप्तऋषियों की मूर्तियां, हुआ भ्रष्टाचार
डिजिटल डेस्क, भोपाल। महाकाल लोक से जांच कर लौटी कांग्रेस की कमेटी ने बुधवार को अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि महाकाल लोक की मूर्तियों के निर्माण में चायनीज सामग्री का उपयोग किया गया था। वहीं एफआरपी की प्रतिमाओं की मजबूती हेतु आंतरिक लोहे का जो ढांचा बनाया जाता है, वह महाकाल लोक की प्रतिमाओं में नहीं बनाया गया था। इन परिस्थितियों के चलते 30 की स्पीड से चली आंधी में ही सप्तऋषि की मूर्तियां गिरकर खंडित हुई है।
प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में जांच कमेटी के अध्यक्ष सज्जन सिंह वर्मा तथा शोभा ओझा ने बताया कि तत्कालीन शिवराज सरकार ने इस महाकाल लोक की योजना बनायी, जिसकी अनुमानित लागत 97 करोड़ 71 लाख रूपये थी। कमलनाथ सरकार के आने के बाद नाथ ने इस राशि को अपर्याप्त मानते हुये इस राशि को बढ़ाकर 300 करोड़ रू. स्वीकृत किये। कार्यादेश 7 मार्च 2019 को कांग्रेस सरकार द्वारा जारी किया गया।
वर्मा ने बताया कि प्रतिमाओं के निर्माण में उपयोग की जाने वाली नेट की मोटाई 1200 से 1600 ग्राम जीएसएम की होना चाहिए, किंतु महाकाल लोक में स्थापित की गई प्रतिमाओं में 150 से 200 ग्राम जीएसएम की ही चाईनीज नेट उपयोग की गई प्रतिमाओं को बिना बेस (फाउंडेशन) के 10 फीट ऊंचे पेडस्टल पर सीमेंट से जोड़ा गया। इसी कारण 30 किलोमीटर प्रतिघंटे की हल्की रफ्तार से चली हवा में ही प्रतिमाएं गिरकर क्षतिग्रस्त हो गई। उन्होंने कहा कि यदि इस्तेमाल की जाने वाली सामग्रियों का परीक्षण प्रयोगशाला में किया जाता तो प्रतिमाएं न ही गिरती और न ही खंडित होतीं। 11 अक्टूबर 2022 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महाकाल लोक का आनन-फानन में उद्घाटन किया और घोषणा की थी कि ये मूर्तियां न कभी गिरेंगी और न ही कभी बदरंगी होगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस दावे को चुनौती देते हुये ठीक एक माह बाद दिनांक 24 नवम्बर 2022 को स्मार्ट सिटी प्रशासन ने पीयू कलर्स बेदरकोट प्रायमर आदि का 96 लाख रू. का टेंडर निकाला, जबकि उक्त मूर्तिय तीन वर्ष की गारंटी अवधि में थीं।
मूर्तियों के इतने कम समय मे बदरंग होने की बजह निविदा श के अनुसार मूर्तियों की घिसाई न होना और प्रायमर तथा बेदरप्रूफ पीयू रंग का पर्याप्त इस्तेमाल न होनी है। मूर्तियों में जब साधारण रंग लगाया जाता है तभी वे बदरंग होती हैं। अब सवाल यह उठता कि 24 नवम्बर 2022 के टेंडर के माध्यम से खरीदी गई सामग्र कहां गई। उसका उपयोग क्यों और किसलिए नहीं हुआ।