मध्‍य प्रदेश: भाजपा कार्यकर्ता महाकुंभ 25 सितंबर 2023 को, समर्थ कार्यकर्ताओं की शक्ति से सम्‍पन्‍न संगठन का यश - नरेंद्र सिंह तोमर

Bhaskar Hindi
Update: 2023-09-23 07:21 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। 25 सितंबर को देश के ह्रदय मध्‍य प्रदेश की राजधानी एक ऐतिहासिक आयोजन की साक्षी बन रही है। भोपाल में आयोजित हो रहे कार्यकर्ता महाकुंभ में सभी कार्यकर्ताओं को यशस्‍वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संबोधन सुनने का सुअवसर मिलेगा। ये भावविभोर कर देने वाले क्षण हैं जब मेरा मन पार्टी के सूत्रधारों के प्रति कृतज्ञता और गर्व से भरा हुआ है। इस ऐतिहासिक दिवस पर मुझे तीन महामना और उनका कृतित्‍व याद रहा है। ये तीन महापुरूष हैं, पं. दीनदयाल उपाध्‍याय, आदरणीय कुशाभाऊ ठाकरे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। भाजपा कार्यकर्ता कैसे भूल सकता है कि 25 सितंबर पार्टी के संस्‍थापकों में से एक पं. दीनदयाल उपाध्‍याय की जयंती है। इस दिन मध्‍य प्रदेश के हर अंचल कार्यकर्ता जुट रहे हैं तो इस एकता के पीछे कुशाभाऊजी का संगठन कौशल और परिश्रम का योगदान है। और यह परिश्रम प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्‍व में सफलता और जनसेवा का अनूठा अध्‍याय लिख रहा है।

ग्‍वालियर अंचल के एक कार्यकर्ता को संबल, साहस और प्रेरणा दे कर संगठन और सत्‍ता में प्रदेश अध्‍यक्ष और केंद्रीय मंत्री जैसे गुरुत्‍तर दायित्‍व सौंप देने का कार्य केवल और केवल भाजपा जैसी पार्टी में ही हो सकता है। ऐसी पार्टी जो जनता की सेवा में जितना विश्‍वास करती है, अपने कार्यकर्ताओं का भी उतना ही सम्‍मान करती है। हमारे प्रधानमंत्री मोदीजी ने जब ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्‍वास’ नारा दिया था तब अनुभव हुआ था कि पार्टी उस राह पर मजबूती से बढ़ रही है जिस मार्ग की कल्‍पना हमारे संस्‍थापकों ने की थी।

स्‍मरण करता हूं कि भारत को एक समर्थ राष्ट्र बनाने के स्‍वप्‍न के साथ 6 अप्रैल, 1980 को नई दिल्ली के कोटला मैदान में एक कार्यकर्ता अधिवेशन आयोजित हुआ था और इस अधिवेशन से उभरी पार्टी भाजपा आज विश्‍व की सबसे बड़ी कार्यकर्ता आधारित पार्टी है। अपनी स्थापना के साथ ही भाजपा ने भारतीय राजनीति को नए आयाम दिए है। नेताओं के संगठनों वाली राजनीतिक व्‍यवस्‍था में भाजपा ने कार्यकर्ताओं के प्रभुत्‍व वाली राजनीतिक को साकार किया है। देश में विकास केंद्रित राजनीति की नींव भी भाजपा ने ही रखी है और आज भी सत्‍ता कार्यकर्ताओं के विश्‍वास को बनाए रखने के लिए परिश्रम कर रही है।

आज यह भी स्‍मरण करने का दिन है कि भले ही भाजपा का गठन 6 अप्रैल, 1980 को हुआ, परंतु हमारा इतिहास इससे पहले भारतीय जनसंघ से सम्‍बद्ध है। 21 अक्टूबर, 1951 को डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की अध्यक्षता में भारतीय जनसंघ की स्थापना हुई थी। आजादी के बाद देश की राजनीति को उसके मूल स्‍वर में आगे बढ़ाने तथा स्‍वदेशी नीतियों के आधार पर देश के सत्‍ता संचालन की कल्‍पना के साथ गठित जनसंघ का मार्गदर्शन पं. दीनदयाल उपाध्याय के विचारों ने किया। आपातकाल का विरोध करते हुए देश में जयप्रकाश नारायण के आह्वान पर एक नए राष्ट्रीय दल ‘जनता पार्टी’ का गठन किया गया और विपक्षी राजनीतिक एकता को सुदृढ़ करने के लिए 1 मई, 1977 को भारतीय जनसंघ ने अपना विलय जनता पार्टी में कर दिया। बदली हुई राजनीतिक परिस्थितियों में भाजपा का गठन हुआ और इसके बाद देश में राजनीति नई दिशा की ओर चल पड़ी।

आज जब भाजपा सबसे बड़ी कार्यकर्ता आधारित पार्टी बन कर खड़ी है तो इसका आधार पं. दीनदयाल उपाध्‍याय, अटल जी, आडवाणी जैसे नेताओं की विचार शक्ति और परिश्रम है। मध्‍य प्रदेश में कुशाभाऊ ठाकरे जी, राजमाता विजयराजे जी सिंधिया, सुंदरलाल जी पटवा, प्‍यारेलाल जी खंडेलवाल, कैलाश जोशी, नाना जी जैसे समर्पित संगठकों के अतुल्‍य परिश्रम के बिना आज भाजपा बरगद सा आकार पा सकी है।

हमारे इन नेताओं के परिश्रम और विचार दृष्टि का स्‍मरण करता हूं तो याद आता है कि इन मनीषी नेताओं ने केवल सशक्‍त भाजपा का स्‍वप्‍न ही नहीं देखा बल्कि एक ऐसी पार्टी बनाने की परिकल्‍पना की थी जो सुदृढ़, सशक्त, समृद्ध, समर्थ एवं स्वावलंबी भारत के निर्माण हेतु निरंतर सक्रिय हो। प्राचीन भारतीय सभ्यता, संस्कृति तथा मूल्यों के आधार पर खड़ा हो कर देश ‘विश्व गुरू’ और ‘विश्वशक्ति’ के रूप में पुन: स्थापित हो। आज मैं गर्व के साथ कह सकता हूं प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्‍व में भाजपा ने अपने संस्‍थापकों के इस विचार और कल्‍पना को सिद्ध कर दिखा दिया है।

भाजपा ने अपनी सत्‍ता और संगठन संचालन की व्‍यवस्‍था में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के ‘एकात्म-मानवदर्शन’ को अपनी वैचारिक शक्ति बनाया है। पार्टी का जोर अंत्योदय, सुशासन, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद, विकास एवं सुरक्षा पर है। ‘पंचनिष्ठा’ हमारे आचरण सिद्धांत हैं और इनका पालन करना हमारी शक्ति है। प्रधानमंत्री मोदी जी ने जब-जब कार्यकर्ताओं से संवाद किया है, इन्‍हीं सूत्रों पर बल दिया है। हमें भाजपा की राजनीतिक सोच और सामर्थ्‍य का परिचय मिलता है जब प्रधानमंत्री मोदी जी कहते हैं कि हमारे अंदर समर्पण की भावना होनी चाहिए। मजबूत लोकतंत्र ही मजबूत राष्ट्र की पहचान है। कार्यकर्ता भाजपा ही नहीं देश की समृद्धि के मजबूत सिपाही हैं। हमें बूथ को छोटा नहीं समझना चाहिए। इससे ऊपर उठकर समाज में पहचान बनानी चाहिए। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री, बूथ कार्यकर्ता के आधार पर बनते हैं। हम वो पार्टी नहीं जो एसी कमरों में बैठकर फतवे जारी करते हैं। बूथ पर भाजपा की पहचान सेवाभावी की होनी चाहिए। इसके लिए छोटे-छोटे काम करने चाहिए। हमारी पहचान केवल राजनीतिक कार्यकर्ता की नहीं होनी चाहिए बल्कि समाज के लिए दु:ख-सुख के साथी के रूप में बनानी चाहिए।

प्रधानमंत्री मोदी जी ने बतौर प्रभारी मध्‍य प्रदेश में भी कार्य किया है और कार्यकर्ताओं से संपर्क का उनका दीर्घ अनुभव उनके प्रेरक उद्बोधन के रूप में हमारा मार्गदर्शन करता है। हमें अपने कार्य करने का मार्ग दिखाई देता है जब प्रधानमंत्री मोदी जी कहते हैं कि कार्यकर्ता के मन में और ज्यादा काम करने की भूख होना चाहिए। गांवों को विकसित करना होगा। गांव में हरियाली, सोलर एनर्जी, पानी पर काम करना होगा। दो साल में ये प्रयास होने चाहिए। इसे सरकार का काम नहीं मानें। जनता जनार्दन का काम सोचकर करें। बच्चे स्कूल से ड्रापआउट नहीं होंगे। हमारा लक्ष्य किसी एक योजना का लाभ देना नहीं है। शत प्रतिशत योजनाएं देना है। पीएम आवास वालों को मुद्रा या अन्य योजना का लाभ मिल रहा है या नहीं। उसे ये लाभ दिलवाएं। बूथ कार्यकर्ता दायित्व समझकर यह काम करते हैं तो आपकी ताकत बनेगी। हमारे संकल्प बड़े हैं और हम हमारी प्राथमिकता से पहले देश को रखते हैं, इसलिए भाजपा ने यह निर्धारित किया है कि हमें तुष्टिकरण के रास्ते पर नहीं चलना है। वोट बैंक के रास्ते पर नहीं चलना है। हमारा रास्ता तुष्टिकरण नहीं संतुष्टिकरण का है। देश में जहां भाजपा सरकार है वहां हम संतुष्टिकरण के अभियान में लगे हैं। संतुष्टिकरण का रास्ता मेहनत वाला होता है। उसमें पसीना बहाना पड़ता है। अगर बिजली मिलेगी तो सबको मिलेगी, तब लोग संतुष्ट होंगे। नल से जल का अभियान चलेगा तो हर घर तक जल पहुंचाने का प्रयास होगा। इसमें किसी के साथ भेदभाव नहीं होगा।

मोदी जी ने कार्यकर्ताओं को एकजुटता का संदेश देते हुए कहा है कि उम्मीदवार कोई भी हो हमारा उम्मीदवार एक ही है। वह है कमल। जनता को यह भी लगे कि जहां कमल है वहीं उनकी भलाई है। हमें कमल के निशान को हर कार्यक्रम में प्राथमिकता मिले। मेरा बूथ सबसे मजबूत अभियान किसी तपस्या से कम नहीं है। ऐसे भाव आज की राजनीति में विरल है। संगठन प्रधानमंत्री मोदी जी की कार्य पद्धति का मूल है। उन्होंने अपना जीवन संगठन के लिए होम कर दिया और देश को विश्‍व शक्ति बनाने का अतुलनीय कार्य किया है।

भोपाल में आयोजित कार्यकर्ता महाकुंभ हमारी सकारात्मक राजनीति का सटीक उदाहरण है। यह भाजपा के लाखों ऊर्जावान कार्यकर्ताओं से संवाद का एक ऐसा आयोजन है जो उन्‍हें देश निर्माण में पार्टी के सजग पहरूए बनाएगा। आज मुझे पं. दीनदयाल उपाध्‍याय का एक कथन याद आ रहा है। पं. उपाध्‍याय ने कहा था कि हमें ऐसी राजनीति करनी है कि हमसे प्रभावित हो कर आज का विरोधी कल हमारा मतदाता बने। कल का मतदाता परसों हमारा सदस्‍य और परसों का हमारा सदस्‍य हमारा सक्रिय कार्यकर्ता बने। कितने सम्‍मान और गौरव की बात है कि प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्‍व में भाजपा पं. उपाध्‍याय के इस कथन को भी सिद्ध होता देख रही है। कार्यकर्ता महाकुंभ में आए सभी कार्यकर्ताओं का अभिनंदन। आइए, हम सभी प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्‍व में देश निर्माण की उस परिकल्‍पना को संभव बनाएं जिसका आधार संगठन है और जिसका स्‍वप्‍न हमारे आधार पुरुषों ने देखा है।

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