मध्य प्रदेश: अरुण यादव ने पटवारी भर्ती परीक्षा में चल रही गड़बड़ को लेकर सरकार पर लगाए आरोप, की सीबीआई जांच की मांग
- मध्य प्रदेश में व्यापम 3 युवाओं के साथ एक और छलावा
- लूटने-समेटने में लगी भाजपा सरकार परीक्षा में करवा रही गड़बड़ियां
- कर्मचारी चयन बोर्ड का नाम अब ‘कचरा’ करे सरकार: कांग्रेस
डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में मीडिया को संबोधित करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव एवं मीडिया विभाग के अध्यक्ष के.के. मिश्रा ने आरोप लगाया कि मध्य प्रदेश में हाल ही में ग्रुप-2, सब ग्रुप-4, पटवारी एवं अन्य पदों के लिए हुई परीक्षा में भाजपा नेताओं के निर्देश एवं देखरेख में जमकर धांधली हुई है, जिससे काबिल युवक-युवतियां चयनित होने के बजाय, भाजपा जिन्हें चाहती थी, उन्हें चयनित करवाया गया एवं मध्य प्रदेश फिर एक बार अपनी व्यापमं व्यवस्था के तहत काबिल युवाओं की भर्ती से महरूम रह गया।
साथियों, हम सब जानते हैं कि मध्यप्रदेश में व्यापम घोटाला कितने बड़े पैमाने पर हुआ जिसने लाखों युवाओं का भविष्य बर्बाद कर दिया और इस खरीदी हुई सरकार के वापस आने के बाद व्यापमं-2 का खुलासा भी कांग्रेस पार्टी कर चुकी है। जिस परीक्षा का हमने जिक्र किया है उस परीक्षा के परीक्षा परिणाम यदि आप देखेंगे तो इस बात को स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि मध्यप्रदेश में अब व्यापमं भाग-3 आपके सामने आ चुका है।
आपके साथ हम टॉप 10 अभ्यर्थियों की सूची साझा कर रहे है। इस सूची को देखने पर एक बड़े घोटाले की आहट सुनाई देती है। इस परीक्षा का परिणाम जिसका परिणाम 30 जून को प्रकाशित किया गया। इस परिणाम में वृहद स्तर पर भ्रष्टाचार किया गया है। इस परीक्षा में शामिल सभी काबिल छात्र-छात्राओं के कुछ प्रश्न कांग्रेस पार्टी आपके सामने रख रही है जो निम्न हैं:-
प्रश्न-1: टॉप 10 में से 8 चयन युवक ग्वालियर-चंबल संभाग से हैं, जिनमे से 7 का सेंटर एक ही कॉलेज में था, उस कॉलेज का नाम एनआरआई कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट है। ऐसा कैसे हुआ? उल्लेखनीय है कि उक्त कॉलेज भाजपा विधायक संजीव सिंह का है।
प्रश्न-2: अधिकतर टॉपर्स की एक बात समान है कि उन्होंने अपने हस्ताक्षर हिंदी में किए है और वो भी स्पष्ट रूप से अपना नाम लिखा है, जबकि नए छात्र-छात्राओं में से ज्यादातर हिंदी में नाम वाले हस्ताक्षर नहीं करते, खासकर वो जिनके अंग्रेजी में नंबर अच्छे बताए गए है, ऐसा लगता है की ये सोची समझी रणनीति के तहत किए गए है, ताकि कोई अन्य व्यक्ति या सॉल्वर इतने सरल हस्ताक्षर आसानी से कर सके और परीक्षा दे सके। इन युवाओं ने हिंदी में हस्ताक्षर क्यों किए?
प्रश्न-3: एक ही परीक्षा केंद्र से इतने टॉपर्स निकले है, किंतु मीडिया में किसी टॉपर ने ना तो इंटरव्यू दिया और उनका न ही किसी कोचिंग सेंटर में उनका नाम आया कि वे किसी खास कोचिंग से पढ़े है। क्या उन्हें मीडिया से बात करने से रोका गया?
प्रश्न-4: हर शिफ्ट के 3-4 सही प्रश्नों को डिलीट किया गया है, जबकि उनके उत्तर एकदम सही हैं। ऐसा क्यों?
प्रश्न-5: नॉर्मलाइजेशन की पूरी प्रक्रिया संदेह के दायरे में है, क्योंकि एक ही शिफ्ट के अंक के कम या ज्यादा होने में भी समानता नहीं है। ऐसा कैसे संभव है?
प्रश्न-6: इस एक कालेज एनआरआई से चयन का प्रतिशत दिल्ली के मुखर्जी नगर में जो संस्थान आईएएस की कोचिंग पढ़ाते हैं, उन संस्थानों से भी ज्यादा कैसे है?
प्रश्न-7: एक चयनित युवती जिसकी अंकसूची आपके साथ साझा है, इन्होंने जब फॉर्म भरा तो शरीर पर निशान के कॉलम में अंग्रेजी में लिखा है: cut on mark nose जबकि सही अंग्रेजी होना चाहिए: cut mark on nose. भाजपा जवाब दे कि इन्हे अंग्रेजी में शत प्रतिशत अंक नही मिले हैं? क्योंकि इनका अंग्रेजी का ज्ञान तो इनके फॉर्म भरते समय ही पता चल गया?
प्रश्न-8: मोदी जी मप्र की धरती पर गारंटी दे रहे थे, मगर शिवराज जी तो इधर व्यापमं घोटाले की गारंटी हैं, कृषि विस्तार अधिकारी घोटाले की गारंटी हैं, शिक्षक भर्ती घोटाले की गारंटी हैं, 220 माह में 220 घोटाले करके कीर्तिमान स्थापित कर दिया है।
जब मैं प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष था, तब विधानसभा को घोटालों की लिस्ट मय सबूतों के सौंपी थी, आज दिनांक तक कोई कार्यवाही क्यों नहीं की गई?
प्रश्न-9: इस भर्ती परीक्षा में बड़ा अजीब मामला आया है कि एक सवाल था कि नर्मदा का उद्गम स्थल कहाँ से है, व्यापमं के अपनी आंसर शीट में भोपाल का चयन किया था जबकि उसका सही उत्तर आपको भी पता है कि अनूपपुर है। मगर टॉपर छात्रों ने भोपाल को सिलेक्ट किया था, अभ्यर्थियों ने जब आपत्ति जताई तब जाकर उस सवाल को हटाया गया, क्यों?
प्रश्न-10: एक बड़ा बिंदु निकलकर सामने आ रहा है कि एक अभ्यर्थी पूजा शर्मा के 185 नंबर आये हैं, जबकि व्यापमं ने ही 11 सवाल गलत होने की वजह से हटाए थे, तो इसका मतलब स्वतः 15 नंबर खुद कम हो जाते हैं, परीक्षा फिर 185 नंबर की बची थी, अब क्या कोई अभ्यर्थी 185 में से 185 नंबर किसी कंपीटिटिव एग्जाम में लेकर आ सकता है? साथ ही एप्लाइड प्रेफरेंस में 150 कोड में से चयन करना होता है तो उसमें भी स्टार्टिंग के 2 प्रेफरेंस 153-154 कैसे हो सकते हैं। यह सब फर्जीवाड़े के फॉर्म भी एक जगह से भरे गए हैं और सेंटर भी एक ही दिया गया है।
ऐसा लगता है कि व्यापमं नाम बदनाम होने के बाद सरकार ने जिस व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) का नाम बदलकर ‘कर्मचारी चयन बोर्ड’ (कचबो) कर दिया, उसका नाम एक बार फिर बदल कर सरकार को ‘कर्मचारी चयन रासलीला (कचरा)’ कर देना चाहिए। ताकि जिस तरह ‘व्यावसायिक परीक्षा मंडल’ का शॉर्ट में नाम ‘व्यापम’ होता है उसी तरीके से ‘कर्मचारी चयन रासलीला’ का शार्ट में नाम ‘कचरा’ हो जाए। क्योंकि इसने मध्य प्रदेश के युवाओं का भविष्य तो कचरा कर ही दिया है।
कांग्रेस पार्टी मांग करती है कि तुरंत इन अनियमितताओं की सीबीआई जांच हो। योग्य युवाओं को मौका मिले तथा जिन्होंने धांधली की है, उनके ऊपर आपराधिक प्रकरण लगाए जाएं, एनआरआई कालेज की भूमिका की भी जांच हो, टॉप 100 छात्रों की सूची उनके परीक्षा केंद्र के नाम के साथ जारी हो, इन छात्रों का फॉर्म कहां से भरा गया है, इसकी जानकारी दी जाए, बायोमेट्रिक से लेकर एग्जाम देने तक समस्त वीडियोग्राफी जारी की जाए, परीक्षा में लगे समय को भी सार्वजनिक किया जाए, ताकि ये पता लग सके की इन्होंने कितनी देर में परीक्षा के प्रश्नों को हल किया है तथा सभी चयनित टॉप-10 अभ्यर्थियों की किसी निष्पक्ष मीडिया टीम से चर्चा कराई जाए।