मध्य प्रदेश: ग्रामीण महिलाओं की आमदनी बढाने की कवायद

जैविक खेती, फलदार वृक्ष, दुधारू पशु के सहारे समूहों की दीदियों को लखपति बनायेगा एमपीएसआरएलएम

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-11 08:34 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा प्रदेश में मप्र राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत स्व-सहायता समूह सदस्य महिलाओं को लखपति बनाने का अभियान चलाया जा रहा है। दरअसल ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा समूह सदस्यों के परिवारों को विभिन्न प्रकार की कृषि एवं गैर कृषि आधारित आजीविका गतिविधियों के संचालन के प्रशिक्षण एवं कार्ययोजना अनुसार वित्तीय सहायता भी उपलब्ध कराई जा रही है। प्रदेश में मिशन प्रारंभ से अब तक गठित लगभग 5 लाख 3 हजार स्‍व-सहायता समूहों से लगभग 62 लाख 7 हजार परिवार जोडे़ जा चुके हैं। इनमें से सबसे अधिक परिवार खेती से अपने परिवारों का भरण पोषण करते हैं।

बता दें कि काफी मेहनत मजदूरी के बावजूद इन परिवारों की वर्षिक आय सीमित है और यह परिवार निर्धन की श्रेणी में जीवन यापन कर रहे हैं। इन परिवारों को गरीबी के कुचक्र से बाहर निकालने के लिये इनकी आय में बढत के लिये जरूरी है कि इन्हें अतिरिक्त आय के साधन तैयार करने होंगे। बस यही आजीविका मिशन का सबसे बडा लखपति दीदी अभियान है जिसके अंतर्गत समूह सदस्यों को छोटे-छोटे अतिरिक्त आय के साधनों से जोडे जाने का काम किया जा रहा है।

अतिरिक्त आय बढ़ाने के हो रहे प्रयास

मिली जानकारी के अनुसार इन परिवारों की जो वार्षिक आय में बढोत्तरी करने के लिये उनके पहले से चले आ रहे परंपरागत आजीविका के साधनों के साथ-साथ कुछ ऐसे आयमूलक काम शुरू कराये जा रहे हैं जिनसे इन परिवारों को अतिरिक्त आय प्राप्त हो सके। प्रारंभ में यह आय छोटी हो सकती है मगर समय अंतराल इसमंे वृद्धि की संभावनायें अपार हैं। जिसमें मुख्यतौर पर कम लागत में उन्नत तकनीकि के साथ जैविक कृषि, प्राकृतिक खेती, मिक्स क्रॉप, फलदार बगीचे, खेतों की मैडपर फलदार पेड़ लगाना, दुधारू पशुओं का पालन एवं डेयरी व्यवसाय, तथा जैविक खेती के जरिए महिला स्व-सहायता समूहों की महिलाओं की आमदनी में इजाफा करने तथा उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिये सहयोग एवं मार्गदर्शन दिया जा रहा है।

इनका कहना है

राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन का उद्देश्य परंपरागत खेती के साथ-साथ कुछ ऐसे आयमूलक काम शुरू कराये जा रहे हैं जिनसे इन परिवारों को अतिरिक्त आय प्राप्त हो सके तथा उनके परिवारों की आर्थिक संबल मिल सके। - दिनेश दुबे, सहायक राज्य परियोजना प्रबंधक, संचार एमपीएसआरएलएम, भोपाल

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