तालाब सिंचाई योजना: किसानों को नहीं मिल पा रहा है सिंचाई के लिए पानी, निर्मित पुलियां भी क्षतिग्रस्त होकर हुई खराब

  • बुंदेलखण्ड विशेष पैकेज का बुरा हश्र
  • बनाई गई आधी-अधूरी अनुपयोगी नहर
  • किसानों को नहीं मिल पा रहा है सिंचाई के लिए पानी

Bhaskar Hindi
Update: 2024-03-18 11:14 GMT

डिजिटल डेस्क, पन्ना। एक दशक पूर्व केन्द्र सरकार द्वारा बुंदेलखण्ड की सूखी धरती को पानीदार बनाने के लिए बुंदेलखण्ड में सम्मलित मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के जिलों को बुंदेलखण्ड विशेष पैकेज के अंतर्गत ७४०० करोड रूपए की राशि प्रदान की गई थी। इस पैकेज का बड़ा हिस्सा सिंचाई तालाबों एवं नहरों के निर्माण कार्य में किया गया किन्तु निर्माण कार्य में अनिमिततायें एवं भ्रष्टाचार की वजह से एक दशक के बाद भी कार्य आधे-अधूरे पडे हुए है और योजना के लाभ से किसानो को वंचित होना पड रहा है। पन्ना विकासखण्ड के अंतर्गत आने वाले ग्राम दिया स्थित दिया तालाब सिचांई योजना बुंदेलखण्ड विशेष पैकेज की बुरे हश्र की बानगी बना हुआ है। वर्ष २०१३-१४ में दिया तालाब सिचांई योजना जिसमें तालाब के साथ नहर निर्माण करीब ०२ करोड़ ५५ लाख रूपए की राशि से स्वीकृत किया गया था जिसमें तालाब के साथ ही ०२ किलोमीटर लंबी नहर का निर्माण कार्य कराकर किसानों को सिचांई का लाभ दिया जाना था। निर्माण एजेन्सी एवं जल संसाधन विभाग द्वारा टेन्डर करके ठेकेदार को तालाब और नहर के निर्माण कार्य की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। आरोप है कि ठेकेदार द्वारा तालाब का निर्माण कार्य गुणवत्तापूर्ण नहीं कराया गया जिसके चलते तालाब में पानी के भण्डारण के लिए जो निर्धारित आंकलन किया गया था उसकी तुलना में काफी कम मात्रा में तालाब में पानी भंडारित होता रहा है। बरसात में तालाब में भरने वाले पानी में से काफी मात्रा में पानी तालाब के स्लुस गेट से निकलकर बनी आधी-अधूरी नहर से बहते हुए किसानों के खेतों तक पहुंच जाता है जिससे किसानों की खरीफ में बोई गई फसलें खराब हो जाती है और रवी के वक्त जब किसानों को सिचांई के लिए पानी की आवश्यकता है।

तालाब की स्थिति यह है कि तालाब में पानी नहीं होने की वजह से किसानों को पानी नहीं मिल रहा है और किसानों के खेत सूखे पडे हुए है स्थानीय किसानों ने बताया कि दिया तालाब सिंचाई योजना के अंतर्गत बांध के निर्माण के साथ दिया तालाब से नयगवां तक लगभग ०२ किलोमीटर तक नहर का निर्माण जिसमें पुलिया सम्मलित है किया जाना था किन्तु ठेकेदार द्वारा करीब ०१ किलोमीटर दूर तक ही तलैया मजरा तक नहर का निर्माण कार्य किया गया है। नहर की गहराई अधिक होने की वजह से अधिक मात्रा में पानी बर्बाद चला जाता है तथा नहर के टूटने से खेतों तक पानी पहुंचने से बरसात में किसानों को परेशानी का सामना करना पडता है स्थानीय लोगों ने बताया कि नहर के साथ आधा दर्जन पुलियों का निर्माण कार्य करवाया गया है। पुलियों का निर्माण कार्य गुणवत्ता नहीं होने की वजह से दो पुलियां टूट कर बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई है। चार पुलियों की स्थिति भी ठीक नहीं है नहर का आधा-अधूरा निर्माण कार्य लंबे समय से ठप्प पडा हुआ है नहर का पूरा निर्माण कराने और पुलियों को दुरूस्त करने को लेकर न तो विभाग के अधिकारी खबर ले रहे है और न ही ठेकादार का लोगों को पता मिल रहा है।

नहर निर्माण के लिए किसानों को दिया जा चुका है भू-अर्जन मुआवजा

स्थानीय लोगों ने बताया कि दिया तालाब से लगभग ०२ किलोमीटर तक नहर निर्माण कार्य के सर्वेक्षण में प्रभावित किसानों को भू-अर्जन का मुआवजा काफी समय पहले दिया जा चुका है किन्तु नहर को आधा-अधूरा बनाकर छोड दिया गया है जिससे दूसरी समस्यायें भी कृषकों के सामने खडी रहती हैं। क्षेत्रीय ग्रामीणों ने बताया कि इस क्षेत्र में किसानो को सिचांई के लिए आसपास कोई दूसरा तालाब व बांध नहीं हैं। बडी संख्या में दिया तालाब सिचांई योजना से कृषक सिचांई के लिए पानी को लेकर लंबे समय उम्मीद लगाए हुए है किन्तु कार्य अधूरा पडे होने तथा खराब होने की वजह से सैकडों की संख्या में किसानो में निराशा देखी जा सकती है।

एसडीओ जल संसाधन विभाग पन्ना एच.एल.प्रजापति का कहना है कि ठेकेदार का भुगतान रूका हुआ है टेन्डर निरस्त करके नया टेन्डर करवाकर कार्य करवाया जायेगा। गर्मी में नहर की विभागीय तौर पर मरम्मत करवाई जायेगी गांव वाले पक्की नहर की मांग कर रहे है।

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