मध्यप्रदेश: आगामी 5 वर्षों में प्रदेश का बजट 7 लाख करोड़ रुपये वार्षिक तक ले जाने के प्रयास किये जायेंगे: मुख्यमंत्री डॉ. यादव
- राज्य में 42 हजार चिकित्सक और स्वास्थ्यकर्मियों के पद भरे जायेंगे
- गेहूं और धान के अतिरिक्त दुग्ध खरीदी पर बोनस दिया जाएगा
- मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश बजट सन्देश-2024 कार्यक्रम में शामिल हुए
डिजिटल डेस्क, भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव शनिवार को उज्जैन में सेन्ट्रल इण्डिया चेम्बर ऑफ कॉमर्स द्वारा आयोजित मध्य प्रदेश बजट सन्देश-2024 कार्यक्रम में शामिल हुए। यह आयोजन विक्रम विश्वविद्यालय के सहयोग से किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विक्रम विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ.अखिलेश कुमार पाण्डेय ने की। इस अवसर पर राज्यसभा सांसद बालयोगी उमेशनाथजी महाराज, विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा, विवेक जोशी, सेन्ट्रल इण्डिया चेम्बर ऑफ कॉमर्स की उज्जैन इकाई के अध्यक्ष माणकलाल गिरिया, उपाध्यक्ष आनन्द बांगड़, सचिव यशवंत जैन, संजय अग्रवाल, जगदीश अग्रवाल, राजेन्द्र भारती, विभिन्न व्यापारिक संगठनों के अध्यक्ष एवं अन्य गणमान्य नागरिक मौजूद थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बार राज्य का बजट पिछले वर्ष के बजट की तुलना में 16 प्रतिशत अधिक है। इस बार का बजट विकासोन्मुखी है। प्रदेश को आगे बढ़ाने के लिये बजट में कई महत्वपूर्ण प्रावधान किये गये हैं। अगले पांच वर्षों में प्रदेश का बजट सात लाख करोड़ रुपये वार्षिक तक ले जाने का प्रयास है। इस बार के बजट में प्रदेश के समग्र विकास के लिए समुचित प्रबंध किए गए हैं। हमें अधोसंरचनात्मक विकास पर विशेष ध्यान देना है, ताकि आने वाले समय में इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिले। खेती के लिये पर्याप्त सिंचाई हो सके, इसके लिये हमें मिलने वाले पानी का पूर्ण उपयोग करना होगा। मुख्यमंत्री डॉ.यादव ने कहा कि गंभीर डेम में पाईप लाइन के माध्यम से मां नर्मदा का पानी भरा जायेगा।
यशवंत सागर बांध को भी पाईप लाइन के माध्यम से भरने का कार्य किया जायेगा। इस प्रकार बांधों में वर्षभर पानी उपलब्ध रहेगा। चंबल, पार्वती, कालीसिंध नदी के जल का उपयोग करने के लिये केन्द्र सरकार से 35 हजार करोड़ रुपये की राशि से कार्य योजना बनाई जा रही है, जिससे प्रदेश के कई जिलों को लाभ मिलेगा। बुंदेलखण्ड क्षेत्र में बेतवा नदी पर भी कई परियोजनाएं प्रारम्भ की जायेंगी।
बजट का 40 प्रतिशत औद्योगिक विकास के लिये निर्धारित किया गया है। उद्योग के लिये मूलभूत आवश्यकताओं में शामिल जमीन, पानी, बिजली, सड़क के लिये सुव्यवस्थित तरीके से कई कार्य योजनाएं बनाई जायेंगी। प्रदेश में छह नये एक्सप्रेस-वे बनाये जायेंगे। नये फोरलेन बनाये जायेंगे, पुराने मार्गों को दुरूस्त किया जायेगा, ताकि उद्योगों की स्थापना के लिये उचित दरों पर जमीन मिल सके। खदान आधारित उद्योगों के सरल आवागमन के लिये फोरलेन मार्ग बनाये जायेंगे। एयर टैक्सी की सुविधा प्रारम्भ की गई, ताकि कम समय में दूरस्थ क्षेत्रों की यात्रा की जा सके।
स्वास्थ्य के क्षेत्र को और सुदृढ़ बनाने के लिये प्रदेश के गांव के सामुदायिक केन्द्रों में डॉक्टरों की भर्ती की जायेगी। प्रदेश में 42 हजार चिकित्सकों तथा स्वास्थ्यकर्मियों के पद एकसाथ भरे जायेंगे। चिकित्सा, शिक्षा क्षेत्र को और मजबूत किया जायेगा। मुख्यमंत्री डॉ.यादव ने कहा कि वन क्षेत्रों में पेसा एक्ट लागू किया गया है। इसके माध्यम से वनोपज पर एमएसपी प्रदाय की जा रही है। मोटे अनाज के उत्पादन को भी बढ़ावा दिया जायेगा। तीसरी फसल के विकल्प लाये जायेंगे।
प्रदेश में धार्मिक महत्व के पर्यटन को काफी बढ़ावा मिला है। एयर सेवा के माध्यम से प्रदेश के प्रमुख धार्मिक स्थलों की यात्रा सुगम हो सकेगी। इसके लिये हेलीकॉप्टर सेवा पूर्व में प्रारम्भ की गई है। आने वाले समय में 16 सीटर हेलीकॉप्टर से यात्रा प्रारम्भ की जायेगी, ताकि अधिक संख्या में लोग इसका लाभ ले सकें। जिला चिकित्सालय को डिसमेंटल करके नया अस्पताल बनाया जायेगा, जो सर्वसुविधायुक्त होगा। इसकी टेण्डर की प्रक्रिया प्रारम्भ हो चुकी है।
विक्रम उद्योगपुरी में एक हजार एकड़ जमीन उद्योगों के लिये आरक्षित की गई थी। बहुत-से उद्योगपतियों ने यहां उद्योग प्रारम्भ करने की इच्छा जताई है। उज्जैन में अमूल प्लांट के प्रारम्भ होने से प्रदेश के अन्य शहरों से दूध व अन्य उत्पादों की प्रोसेसिंग उज्जैन में होगी। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। आने वाले समय में गेहूं और धान के अलावा दूध खरीदी पर भी बोनस दिया जायेगा।
मुख्यमंत्री डॉ.यादव ने कहा कि हाल ही में उज्जैन में क्षेत्रीय इण्डस्ट्रीयल समिट का आयोजन किया गया। भोपाल में आगामी दिनों में ग्लोबल इन्वेस्टर समिट का आयोजन किया जायेगा। इसके अलावा क्षेत्रीय स्तर पर भी इण्डस्ट्रीयल समिट का आयोजन समय-समय पर किया जायेगा, जिससे क्षेत्र के लोकल उत्पादों को बढ़ावा मिलेगा।
मुख्यमंत्री डॉ.यादव ने कहा कि कोठी पैलेस में भारत के गौरवशाली इतिहास से रूबरू कराने के लिये इसे बतौर ‘वीर भारत संग्रहालय’ के रूप में विकसित करने की कार्य योजना बनाई जा रही है। उज्जैन में तारा मण्डल में अत्याधुनिक उपकरणों के माध्यम से साइंस सेन्टर बनाया गया है। सिंहस्थ के दृष्टिगत उज्जैन के आसपास के शहरों के लिये आवागमन की सुविधा के दृष्टिगत पुराने मार्गों के अतिरिक्त नये मार्ग भी बनाये जायेंगे। उज्जैन आवागमन को सुगम बनाने के लिये हवाई मार्ग, रेल मार्ग और सड़क मार्ग को और सुदृढ़ बनाया जायेगा। जयपुर की तर्ज पर मूर्तिशिल्प कारखाना उज्जैन में प्रारम्भ किया जायेगा। उज्जैन में सेवा निवृत्त लोगों के लिये सोसायटी बनाई जायेगी। पूजन सामग्री, भगवान की पोशाखें भी यहां बनाये जाने के लिये इकाई स्थापित की जायेगी।
डॉ.अखिलेश कुमार पाण्डेय ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि उद्योग और शिक्षा में तालमेल वर्तमान समय की आवश्यकता है। प्रदेश में 20 से अधिक मेडिकल कॉलेज स्थापित किये जा चुके हैं। ड्रोन टेक्नालॉजी और ड्रोन पायलट से सम्बन्धित पाठ्यक्रम विश्वविद्यालयों में प्रारम्भ किये जाने की कार्य योजना बनाई जा रही है। विधायक श्री अनिल जैन कालूहेड़ा ने कहा कि प्रदेश में इस वर्ष 11 करोड़ से अधिक पर्यटक आये हैं। मृदा परीक्षण प्रयोगशाला प्रत्येक जिले में प्रारम्भ की जायेगी।
वित्त विभाग के उप सचिव श्री रूपेश पठवार ने कार्यक्रम में कहा कि इस बार के बजट में रोजगार सृजन और निवेश प्रोत्साहन पर विशेष ध्यान रखा गया है। बजट में केन्द्र और राज्य शासन की सभी जनकल्याणकारी योजनाओं को शामिल किया गया है। औद्योगिक अधोसंरचनाओं के विकास पर मुख्य रूप से फोकस किया गया है। राजस्व प्राप्ति लगातार बढ़ रही है। इस बजट में सभी वर्गों के लिये प्रावधान रखे गये हैं। उज्जैन में महाकाल महालोक के निर्माण के बाद यहां आर्थिक गतिविधियां बढ़ी हैं, इसी प्रकार अन्य धार्मिक स्थलों को भी महालोक के रूप में विकसित किया जायेगा।
लाड़ली बहना योजना में 19 हजार करोड़, अटल कृषि योजना में 6 हजार करोड़ का बजट रखा गया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अन्तर्गत नये मेडिकल कॉलेज का प्रस्ताव रखा गया है। रोजगार गारंटी योजना में भी 3500 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है। उज्जैन में सिंहस्थ-2028 पर्व को देखते हुए 500 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा गया है, जिसे और बढ़ाने का प्रयास किया जायेगा।