Chhindwara News: धिक्कार है... माता-पिता ही मंगवा रहे थे बच्चों से भीख
- रात में भीख मांग रहे थे दो मासूम
- पुलिस ने पांच बच्चों सहित माता-पिता को पकड़ा
- सभी को महिला एवं बाल विकास विभाग के हवाले किया
Chhindwara News: बीती मध्य रात्रि में दुकान शेड के नीचे 9 साल की लडक़ी और 7 साल का लडक़ा बैठा मिला। अमरावती-महाराष्ट्र से आए दंपती ने अपने बच्चों को भीख मांगने भेजा था, जो प्रताडऩा से त्रस्त होने पर वापस अपने माता-पिता के पास जाना नहीं चाहते थे। कुछ जागरूक लोगों ने उन्हें पुलिस तक पहुंचाया। जिसके बाद मंगलवार सुबह पुलिस ने खिरसाडोह स्टेशन पहुंचकर उन बच्चों के माता-पिता से संपर्क किया। पूछताछ में बच्चों ने पुलिस और महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों को बताया कि उनके माता-पिता ही उनसे भीख मंगवा रहे हैं।
खिरसाडोह रेलवे स्टेशन पर रह रहा था परिवार:
भिक्षावृत्ति करते पाए गए बच्चे कुछ दिनों से माता-पिता व तीन अन्य भाई-बहनों के साथ खिरसाडोह रेलवे स्टेशन पर रह रहे थे। सोमवार की रात पार्षद आशीष जायसवाल, रितेश चौरसिया और अंकुश यादव ने दो बच्चों को मसाला बाजार क्षेत्र में देखकर पुलिस को सूचित किया। पुलिस ने बच्चों को प्राप्त कर मंगलवार सुबह महिला बाल विकास विभाग की पर्यवेक्षक निवेदिता शाह सहित चांदामेटा अंजुमन कमेटी सदर जावेद अली और परासिया के टिंकू खान को सूचना दी।
शारीरिक रूप से स्वस्थ फिर भी बच्चों को नहीं पाल पा रहे माता-पिता:
बताया जा रहा है कि बच्चों की मां गर्भवती है, जबकि पिता स्वस्थ हैं। बावजूद इसके वे अपने दो बच्चों से भीख मंगवा रहे थे। पुलिस व महिला बाल विकास अधिकारियों को बच्चों ने ही भीख मंगवाए जाने की बात कही है। बच्चों ने माता-पिता के पास नहीं जाने की बात भी कही है।
दो बच्चों को बाल गृह, तीन को शिशु गृह में संरक्षण दिया:
पुलिस द्वारा प्रस्तुत किए गए पांच बच्चों को महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों ने जेजे एक्ट के तहत संरक्षण दिया है। १० से १२ साल के दो बालकों को बालगृह और एक बालक व २ बालिकाओं को शिशुगृह में रखा गया है। मौके पर मौजूद माता-पिता को बच्चों से भिक्षावृत्ति कराने पर कार्रवाई की चेतावनी दी है।
इनका कहना है
बच्चों को रात्रि में प्राप्त किया गया था, सुबह उनके माता-पिता की खोज कर बच्चों समेत महिला बाल विकास विभाग के अधिकारियों को सौंपा गया।
- जिगोतिन मसराम, टीआई, थाना परासिया
बच्चों को पुलिस ने सौंपा है, जिन्हें जिला मुख्यालय ले जाकर संरक्षण दिया गया है। बच्चों के माता-पिता के पास किसी भी प्रकार के दस्तावेज नहीं हैं।
- निवेदिता शाह, पर्यवेक्षक, महिला एवं बाल विकास विभाग