छत्तीसगढ़: मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने की लू के लक्षण दिखने पर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों में अवश्य जाने की अपील
- तेज धूप और गर्मी में ज्यादा देर तक रहने के कारण शरीर में पानी और खनिज मुख्यतः नमक की कमी होता है
- पीड़ित व्यक्ति को शीघ्र किसी नजदीकी स्वास्थ्य संस्था व अस्पताल में ईलाज के लिए ले अवश्य जायें
डिजिटल डेस्क,बलरामपुर। राज्य शासन के निर्देशानुसार लू से बचाव एवं प्रबंधन हेतु दिशा-निर्देश जारी किये गये हैं। जिसके अंतर्गत कलेक्टर श्री रिमिजियुस एक्का ने भीषण गर्मी पड़ने पर लू से बचाव हेतु जन-सामान्य को उसके लक्षणों की पहचान एवं उपाय तथा प्रारंभिक उपचार हेतु जागरूक किया है, ताकि उक्त परिस्थिति में ऐसे व्यक्तियों को बचाया जा सके।
लू से बचाव के लिए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बसंत कुमार सिंह ने जन सामान्य से अपील की है कि लू के मुख्य लक्षण जैसे सिर में भारीपन और दर्द का अनुभव होना, तेज बुखार के साथ मुंह का सूखना, चक्कर और उल्टी आना, कमजोरी के साथ शरीर में दर्द होना, शरीर का तापमान अधिक होने के बावजूद पसीने का ना आना, अधिक प्यास लगना और पेशाब कम आना, भूख कम लगना, बेहोश होना लू लगने का प्रमुख कारण है निम्न लक्षण दिखाई देने पर अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों में इसका उपचार अवश्य करायें।
इसके साथ ही तेज धूप और गर्मी में ज्यादा देर तक रहने के कारण शरीर में पानी और खनिज मुख्यतः नमक की कमी होता है।
लू से बचाव के लिए निम्न बातों को ध्यान में रखना चाहिए। अनिवार्य न हो तो घर से बाहर ना जावे, धूप में निकलने से पहले सर व कानों को कपड़े से अच्छी तरह से बांध लें, पानी अधिक मात्रा में पीये, अधिक समय तक धूप में न रहें, गर्मी के दौरान नरम, जलवायु सूती के कपड़े पहनने चाहिए ताकि हवा और कपड़े पसीने को सोखते रहे अधिक पसीना आने कि स्थिति में ओ.आर.एस. घोल पीये।
चक्कर आने, मितली आने पर छायादार स्थान पर आराम करें एवं शीतल पेयजल उपलब्ध हो तो फल का रस, लस्सी, मठ्ठा आदि का सेवन करें। प्रारंभिक सलाह के लिए नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र में निशुल्क परामर्श लिया जाये।
लू लगने पर किया जाने वाला प्रारंभिक उपचार बुखार पीड़ित व्यक्ति के सर पर ठंडे पानी की पट्टी लगावें, अधिक पानी व पेय पदार्थ पिलायें, पीड़ित व्यक्ति को शीघ्र किसी नजदीकी स्वास्थ्य संस्था व अस्पताल में ईलाज के लिए ले अवश्य जायें।