छत्तीसगढ़: अक्षय तृतीया पर बाल विवाह रोकने प्रशासन सतर्क
- बालिग होने के पश्चात विवाह को शून्य घोषित करने हेतु आवेदन कर सकते है
- बाल विवाह केवल एक सामाजिक बुराई ही नहीं अपितु कानूनन अपराध भी है
- विवाह हेतु लड़के का उम्र 21 वर्ष तथा लडकी की उम्र 18 वर्ष निर्धारित है।
डिजिटल डेस्क,बलरामपुर। जिला बाल संरक्षण अधिकारी ने बताया है कि कलेक्टर श्री रिमिजियुस एक्का के निर्देशन में जिला प्रशासन बाल विवाह को रोकने के लिए सतर्क है। 10 मई 2024 को अक्षय तृतीया है, इस दिवस को बड़ी संख्या में विवाह सम्पन्न होते हैं।
अतएव अन्य दिवसों के साथ-साथ विशेष रूप से अक्षय तृतीया को निगरानी रखने की आवश्यकता है की जिले में कही भी बाल विवाह न हो इसके लिए जिले वासियों से जिला प्रशासन का अनुरोध है कि विवाह पूर्व विवाह की निर्धारित आयु का सत्यापन अनिवार्य रूप से कर लेवें लड़के की उम्र 21 वर्ष तथा लड़की की उम्र 18 वर्ष पूर्ण हो चुका हैं, इसके उपरान्त ही विवाह सम्पन्न करें।
जिला बलरामपुर-रामानुजगंज के समस्त नागरिकों से अपील की जाती है कि लड़के का उम्र 21 वर्ष तथा लड़की का उम्र 18 वर्ष पूर्ण होने के उपरान्त ही विवाह करें। यदि किसी व्यक्ति को बाल विवाह की जानकारी प्राप्त होती हैं तो जिला बाल संरक्षण अधिकारी (मो० न० 9826278915) या टोल फ्री नम्बर 1098 पर कॉल करके एवं अपने ग्राम पंचायत के सरपंच/सचिव, शिक्षक, कोटवार, तहसीलदार, थाना प्रभारी, पर्यवेक्षक एवं ऑगनबाड़ी कार्यकर्ता को अविलंब सूचित करें, आपकी जानकारी गोपनीय रखी जावेगी।
बाल विवाह केवल एक सामाजिक बुराई ही नहीं अपितु कानूनन अपराध भी है। विवाह हेतु लड़के का उम्र 21 वर्ष तथा लडकी की उम्र 18 वर्ष निर्धारित है। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अंतर्गत बाल विवाह करने वाले वर एवं वधु के माता-पिता, सगे संबंधी, बाराती यहां तक कि विवाह कराने वाले पुरोहित पर भी कानूनी कार्यवाही की जा सकती है।
कोई भी व्यक्ति जो जानबूझकर ऐसी निषेधाज्ञा का उल्लंघन करता है उसे दो वर्ष तक के कठोर कारावास अथवा जुर्माना जो कि 01 लाख रुपये तक हो सकता है। इसके अतिरिक्त यदि वर या कन्या बाल विवाह पश्चात विवाह को स्वीकार नहीं करते है तो बालिग होने के पश्चात विवाह को शून्य घोषित करने हेतु आवेदन कर सकते है।
बाल विवाह के कारण बच्चों में कुपोषण, शिशु मृत्यु दर एवं मातृ-मृत्यु दर के साथ घरेलू हिंसा में भी वृद्धि होती है।