Seoni News: चार सौ किलोमीटर दूर अचानकमार पहुंच गई पेंच की बाघिन

  • वन्यजीव और इंसानी टकराव से बचने जरूरी है कॉरीडोर का संरक्षण
  • 2022में सिवनी में, 2023 में पहुंची छग
  • बाघिन का इतना लंबा सफर करना वाकई सुखद

Bhaskar Hindi
Update: 2024-10-17 05:09 GMT

Seoni:आमतौर पर माना जाता है कि जंगली जीव अपने निर्धारित क्षेत्र में ही रहना पसंद करते हैं। अधिकांश मामलों में यह सही भी है लेकिन कई बार वन्यजीव इस धारणा को गलत भी साबित कर देते हैं कि सिर्फ इंसान ही पर्यटन पसंद करता है। पेंच पार्क की एक बाघिन ने लगभग चार सौ किलोमीटर का फासला तय कर पर्यावरण प्रेमियों और अधिकारियों को चौंका दिया है। इसके साथ ही अब कॉरीडोर के संरक्षण का महत्व और आवश्यकता समझने में मदद मिलेगी।

2022 में सिवनी में, 2023 में पहुंची छग

मध्यप्रदेश के पेंच टाइगर रिजर्व में वर्ष 2022 के अखिल भारतीय बाघ आकलन के दौरान कर्माझिरी एवं घाटकोहका परिक्षेत्र में लगे कैमरों में दर्ज हुई एक बाघिन, वर्तमान में छत्तीासगढ़ राज्य के अचानकमार टाइगर रिजर्व में पाई गई है। भारतीय वन्यजीव संस्थाान टाइगर सेल के वैज्ञानिकों ने उन्हें अचानकमार टाइगर रिजर्व के द्वारा उपलब्धा कराए गए बाघिन के फोटोग्राफ का मध्य भारत के विभिन्न क्षेत्रों के टाइगर के डॉटाबेस से मिलान कर किया गया एवं पेंच टाइगर रिजर्व की उक्त बाघिन से धारियों के मिलान के आधार पर पुष्टि की गई।

बनाया नया आवास

अचानकमार प्रबंधन ने बताया कि यह बाघिन अचानकमार टाइगर रिजर्व में 2023 शीत ऋ तु के पूर्व से ही देखी जा रही है। यह खबर सभी वन्यनजीव प्रेमियों के लिए हर्ष एवं गौरव का क्षण हैं क्योंकि बाघिन ने लगभग 400 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करके अपने नए आवास में गई है। यह खोज इस दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है कि इससे आमजन को कॉरीडोर के संरक्षण की आवश्यकता एवं महत्व को समझाने में मदद मिलेगी।

कॉरीडोर का संरक्षण जरूरी

पेंच नेशनल पार्क में इस समय सवा सौ बाघ हैं। इसके साथ ही पड़ोसी कान्हा नेशनल पार्क में भी इतने ही बाघ हैं। अक्सर दोनों पार्कों से बाघ सहित दूसरे जीव इधर-उधर आते-जाते रहते हैं। इसके अलावा दूसरे पार्कों में भी वन्यजीवों की आवाजाही होती है। ऐसे में वन्यजीवों का सुरक्षित आवागमन हो और उनका इंसानों से टकराव न हो इसके लिए इंतजामों के साथ-साथ लोगों को जागरूक करना जरूरी है। कई बार यह टकराव काफी गंभीर हो जाता है। पेंच की बाघिन के अचानकमार पहुंचने की घटना के बाद यह मुद्दा और गंभीर हो जाता है।

इनका कहना है,

बाघिन का इतना लंबा सफर करना वाकई सुखद है। ऐसे में जरूरी है कि लोग भी कॉरीडोर का महत्व समझें और वन्य जीवों से बेवजह छेड़छाड़ न करें।

- रजनीश कुमार सिंह, डीडी पेंच नेशनल पार्क

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