भास्कर एक्सपोज: उच्चस्तरीय जांच के दायरे में आई एमआईसी के सचिव की एक और करतूत
- मुख्यमंत्री जनकल्याण योजना का हो रहा दुरुपयोग
- 3 अपात्रों के नाम पर 8 लाख के हुआ फर्जीवाड़ा
- उच्च स्तरीय जांच में फंसे कई शीर्ष अधिकारी
डिजिटल डेस्क, सतना। मुख्यमंत्री जनकल्याण योजना (संबल) का दुरुपयोग कर 3 अपात्रों के नाम पर 8 लाख के फर्जी भुगतान के आरोप में उच्च स्तरीय जांच में फंसे मेयर इन काउंसिल (एमआईसी) के सचिव और योजना शाखा के बहुचर्चित क्लर्क अशोक केवट अब पेंशन पोर्टल से 4000 हितग्राहियों को नाम उड़ाने के कारण ऐसी ही एक और जांच के फंदे में फंस गए हैं। आरोप हैं कि जीते जी मृत होना बताकर पेंशन पोर्टल से जिन हितग्राहियों के नाम डिलीट किए गए, उनमें दिव्यांग, वृद्ध और विधवा लाभार्थी शामिल थे।
इसी साल मार्च महीने से इन्हें मिलने वाली विभिन्न प्रकार की पेंशन योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। एक पैर से दो नावों में सवार अमित केवट के कारनामे इनदिनों अजब-गजब हैं। सूत्रों के मुताबिक मामला उच्च स्तरीय जांच में आने के बाद ठीकरा डाटा इंट्री आपरेटरों पर फोड़ने की तैयारी है?
ऐसे हुआ खुलासा
आरटीआई एक्टिविस्ट एवं समाजसेवी उदयभान चतुर्वेदी ने मय साक्ष्य इस अंधेरगर्दी की शिकायत सामाजिक कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव एवं आयुक्त (सामाजिक एवं दिव्यांगजन) से 22 मई को की थी। शिकायत में नगर निगम के योजना शाखा के प्रभारी एवं सहायक आयुक्त हरिमित्र श्रीवास्तव, क्लर्क अशोक केवट (एमआईसी सचिव) और 4 कंप्यूटर ऑपरेटर की भूमिका की जांच कराने, दोषियों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज करने एवं पात्र हितग्राहियों के नाम पुन: जोड़ते हुए उन्हें पेंशन लाभ दिए जाने की मांग की थी। केस की गंभीरता के मद्देनजर सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण भोपाल के संचालक ने 10 जुलाई को आरोपों की जांच यहां के प्रभारी उप संचालक सौरभ ङ्क्षसह को सौंपी थी। उप संचालक ने २२ जुलाई को नगर निगम के कमिश्नर को पत्र लिख कर कार्यवाही करते हुए जांच प्रतिवेदन उपलब्ध कराने का आग्रह किया है।
स्टाफ के नाम पर फौज, मगर हद दर्जे की कामचोरी
राज्य शासन ने पेंशन पोर्टल पर विभिन्न प्रकार के पेंशनभोगियों की ई- केवाईसी अपडेट करने के आदेश दिए थे। आरोप है कि नगर निगम की योजना शाखा में प्रभारी हरिमित्र श्रीवास्तव और क्लर्क अशोक केवट के अलावा 4 ऑपरेटर समेत अन्य स्टाफ की भारी भरकम फौज होने के बाद भी
केवाईसी अपडेट करने के नाम पर काम चोरी की गई। सीधे 4 हजार पेंशनभोगी हितग्राहियों के नाम पोर्टल से डिलीट कर दिए गए। डिलीट किए गए नामों को या तो मृत बता दिया गया फिर पलायन दर्शा दिया गया। यह करतूत मार्च-अप्रैल के बीच तब की गई जब लोक सभा के लिए चुनाव आचार संहिता प्रभावी थी। शिकायत के मुताबिक फरवरी 2024 की स्थिति में नगर निगम के पेंशन
पोर्टल पर पात्र पेंशनभोगियों की संख्या 15 हजार 730 दर्ज थी, जो इसके बाद घट कर 11 हजार 860 रह गई। आरोप है कि योजना शाखा के प्रभारी हरिमित्र ने ऐसे करने से पहले कलेक्टर या फिर निगमायुक्त से अनुमति भी नहीं ली।
क्या यही है, सामाजिक न्याय। कौन सुने फरियाद
जिंदा होने का प्रमाण देने के लिए
दर-दर भटक रही दिव्यांग महिला
जिस पर नगर निगम की मार पड़ी हो... उसकी फरियाद सुनने का साहस भी आखिर किसमें है? ऐसी ही व्यथा लेकर एक पैर से दिव्यांग शालिनी त्रिपाठी दर-दर की ठोकरें खा रही है। वार्ड नंबर-8 में सिद्धार्थ नगर (अशोक बिहार कॉलोनी) निवासी शालिनी उन्हीं पीड़ितों में एक है, जिसका नाम पेंशन पोर्टल से उड़ चुका है। शालिनी ने बताया कि मार्च माह तक दिव्यांग पेंशन के रूप में उसे 600 रुपए प्रतिमाह मिल रहे थे। जब खाते में पैसा आना बंद हो गया तो उसने पूछताछ की। पता चला कि मृतकों की लिस्ट में शामिल होने के कारण उसका नाम पेंशन पोर्टल से डिलीट कर दिया गया है। तकरीबन 30 वर्षीया शालिनी अब जिंदा होने का प्रमाण दे रही है लेकिन नगर निगम के कमाऊखोर अमले को उसके जिंदा होने पर यकीन नहीं है। अंतत: जीते जी मारी गई दिव्यांग महिला ने कलेक्टर और नगर निगम के कमिश्नर के आगे सामाजिक न्याय की झोली फैलाई है।
इनका कहना है
1. सामाजिक न्याय की संवैधानिक मंशा के विरुद्ध यह एक गहरी साजिश है। इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए और दोष सिद्ध होने पर आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही भी होनी चाहिए।
गणेश सिंह, सांसद
2. मामला संज्ञान में है। इस संबंध में सामाजिक न्याय विभाग से हाल ही में पत्र मिला है। किस आधार पर नाम काटे गए जांच कराई जा रही है। जरुरत पड़ी तो जांच टीम भी बनाई जाएगी।
शेर सिंह मीना, निगमायुक्त