Chhindwara News: ग्रेज्युएट डिग्रीधारी युवा किसान ने शुरू किया जगनी और सरसों के खेत में मधुमक्खी पालन
- फ्लोरा के लिए कर रहे जैविक जगनी
- सरसों सहित अन्य फूलों वाली फसलों की खेती
- फोटो जगदीश पवार के मेल से
Chhindwara News: बहुफसलीय खेती के लिए ख्यातिप्राप्त छिंदवाड़ा जिले के युवा किसान अब परंपरागत खेती के साथ नवाचार कर रहे हैं। मोहखेड़ विकासखंड के कामठी निवासी 30 वर्षीय युवा किसान जितेंद्र राउत ने मधुमक्खी पालन की शुरूआत की। मधुमक्खी के लिए फ्लोरा की पूर्ति के लिए जितेंद्र ने खरीफ में मक्का-सोयाबीन के बजाए जगनी और रबी में गेहूं चना के बजाए सरसों की फसल अपनाई। इससे मधुमक्खी के लिए पर्याप्त फ्लोरा मिलने लगा। उनके जैविक शहद की डिमांड तेजी से बढ़ती जा रही है।
जिला मुख्यालय से 21 किमी दूर स्थित कामठी गांव के युवा किसान जितेंद्र राउत ने स्नातक डिग्री के बाद नौकरी के बजाय खेती में ही नई पहचान बनाने का संकल्प लिया। कोरोनाकाल में किसानों को जबरदस्त नुकसान झेलना पड़ा। गर्मी के दिनों में जितेंद्र ने खेत के आसपास पेड़ों पर मधुमक्खी के छत्तों को देखकर उन्होंने मधुमक्खी पालन का निर्णय लिया। पांच साल पहले उन्होंने तीन बाक्स से शुरूआत की। उनके खेत के आसपास सब्जी फसलों में कीटनाशक और अन्य जहरीले रसायनों के कारण मधुमक्खियों को पर्याप्त फ्लोरा की कमी महसूस हुई तो उन्होंने अपने खेत में ही फ्लोरा के लिए उपयुक्त फसलों के उत्पादन की पहल शुरू की। इस साल खरीफ सीजन में उन्होंने लगभग दो एकड़ में जैविक जगनी का उत्पादन लिया। जगनी के फूलों से मधुमक्खी को भरपूर फ्लोरा मिला। अब रबी सीजन में जितेंद्र ने लगभग तीन एकड़ में सरसों की फसल लहलहाने का निर्णय लिया है। उन्होंने बताया कि गर्मी में शकर की चाशनी के बजाए खेत के आसपास पेड़ों से मधुमक्खियों को फ्लोरा मिलता है।
पांच साल में तीन गुना हो गए बाक्स
जितेंद्र राउत ने बताया कि उन्होंने तीन बाक्स से मधुमक्खी पालन की शुरूआत की थी। एक बाक्स के लिए कम से कम से आधा एकड़ जमीन में फ्लोरा की आवश्यकता होती है। फ्लोरा की उपलब्धता कम होने के कारण वे फिलहाल नौ बाक्स में ही शहद का उत्पादन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि एक बाक्स से प्रतिमाह लगभग 10 किलो शहद मिल जाता है। यह शहद घर बैठे ही बिक जाता है।
हो सकता है शहद का बंपर उत्पादन
कृषि उप संचालक जितेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि बीते दो साल में छिंदवाड़ा जिले में सरसों का रकबा तीन गुना हो गया है। बीते साल जिले के किसानों ने ३० हजार हेक्टेयर में सरसों की फसल लगाई थी। इस साल सरसों का रकबा 45 हजार हेक्टेयर तक पहुंच सकता है। प्रगतिशील किसान जितेंद्र राउत की तरह खरीफ में जगनी और रबी में सरसों की फसल लगाएं। इन फसलों के बीच मधुमक्खी पालन हो तो जिले में शहद का बंपर उत्पादन हो सकता है।