टाइगर की मौत में भी नंबर वन 'एमपी': बुधनी में रेल की चपटे में आए बाघ की मौत, दो शावक बुरी तरह घायल

  • बुधनी में ट्रेन की चपेट में आए बाघ की मौत
  • दो शावक बुरी तरह घायल
  • इस साल देश में रिकॉर्ड 75 बाघों की मौत

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-15 14:46 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। टाइगर स्टेट कहा जाने वाला मध्यप्रदेश बाघों की मौत के मामले में भी देश में पहले पायदान पर है। ताजा मामला सीहोर के बुधनी का है। जहां ट्रेन की चपेट में आने से एक बाघ की मौत हो गई। जबकि दो छोटे शावक बुरी तरह घायल हो गए। शावकों के इलाज के लिए राजधानी भोपाल से चिकित्सकों की टीम पहुंची है। जिसने शावकों का इलाज करना प्रारंभ कर दिया है। जानकारी के मुताबिक शावक बुरी तरह घायल हैं और उनकी हालत गंभीर बताई जा रही है।

वन विभाग के अधिकारी के अनुसार, हादसा सोमवार की सुबह करीब 11 से 12 के बीच बुधनी के मिडघाट में हुआ। वहां एक बाघ का शव मिला है। इसकी कुछ दूरी पर दो शावक घायल अवस्था में मिले। इनकी हालत देखकर कहा जा रहा है कि ये तीनों ट्रेन की चपेट में आए हैं। वन विभाग की टीम द्वारा इनका रेस्क्यू किया गया है। घायल शावकों की उम्र एक साल बताई जा रही है।

मौत के मामले में भी पहले पायदान पर पहुंचा मध्यप्रदेश

साल 2022 में हुई बाघों की गणना के मुताबिक मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा 785 बाघ पाए गए थे। जो कि देश में सबसे ज्यादा थे। इसके साथ ही राज्य को 2018 के बाद लगातार दूसरी बार टाइगर स्टेट का दर्जा मिला। पिछली गणना से इस बार एमपी में 259 बाघ बढ़ गए हैं। 2018 में इनकी संख्या 526 थी। वहीं पूरे देश की बात करें तो नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) के अनुसार 2018 में जहां देश में 2967 बाघ थे जो कि 2022 में बढ़कर 3682 हो गए।

अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस पर जारी हुई रिपोर्ट में तीसरा बार एमपी टाइगर स्टेट बना है। इससे पहले 2006 और 2018 में राज्य को यह सम्मान मिला था।

लेकिन, हाल ही में जारी एनटीसीए की रिपोर्ट में बाघों की मौत लेकर जो आंकड़े सामने आए हैं वो हैरान करने वाले हैं। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में इस साल के जून महीने तक 75 बाघों की मौत हो चुकी है। जिनमें से 12 तो केवल मध्यप्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में ही हुई हैं। वहीं पूरे प्रदेश की बात करें तो यह आंकड़ा 23 पर पहुंच जाता है।

इस तरह देखें तो टाइगर की संख्या के मामले में नंबर वन मध्यप्रदेश उनकी मौतों के मामले में भी पहले पायदान पर है। यह संख्या कहीं न कहीं सरकार के उन दावों पर भी सवाल उठाती है जो वह बाघ संरक्षण को लेकर करती है।  

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