मध्यप्रदेश: बारिश की चंद बूंदों ने उखाड फेंकी 4.69 करोड की सडक, मध्यप्रदेश सडक विकास निगम की साख पर दाग साबित हो रही अमानगंज बायपास
- शासन के विभाग हों या निगम, मंडल भ्रष्टाचार की जडें हर ओर फैल चुकी हैं
- बारिश की चंद बूंदों ने उखाड फेंकी 4.69 करोड की सडक
- कई सालों से अटका था निर्माण कार्य, हुआ तो बनते ही बिखर गई सडक
डिजिटल डेस्क, पन्ना। शासन के विभाग हों या निगम, मंडल भ्रष्टाचार की जडें हर ओर फैल चुकी हैं। इसका स्पष्ट उदाहरण पन्ना-सिमरिया-हटा स्टेट हाइवे 49 जो अब एसएच-55 के नाम से जाना जा रहा है। कहने को तो यह टोल रोड है लेकिन सडक पर टोल देकर भी लोगों को बेहतर सुविधाओं का लाभ नहीं मिलता। वर्षो से इस सडक का निर्माण कार्य अधर में अटका था। मुख्य मार्ग पर अमानगंज शहर आता है जहां अधिक ट्राफिक के कारण लोगों को खासा परेशान होना पडता था। सडक में अमानगंज के लिए बायपास सडक प्रस्तावित थी लेकिन भूमि अधिग्रहण को लेकर चल रहे विवाद के चलते करीब 10 वर्ष से अधिक का समय बीत गया और बायपास का निर्माण नहीं हो सका।
प्रशासन ने टोल रोड पर पैसा देने के बाद भी लोगों को हो रही असुविधा को ध्यान में रखते हुए विवाद का निपटारा कराया और 4.69 करोड की लागत से अमानगंज बायपास का निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिया गया। इस बायपास का निर्माण कराने का जिम्मा मध्यप्रदेश सडक विकास निगम द्वारा मेसर्स बिल्डअप प्राईवेट लिमिटेड कम्पनी छतरपुर को सौंपा गया। 3.15 किलोमीटर लम्बे बायपास के निर्माण के लिए ठेकेदार फर्म द्वारा घटिया सामग्री का उपयोग खुलेआम किया गया। करोडों के सडक निर्माण के लिए न तो फर्म के पास कोई प्लांट था, न ही अन्य संसाधन थे। मनमाने ढंंग से घटिया सामग्री का उपयोग हुआ और सडक पर डामरीकरण कर सारे भ्रष्टाचार को ढंक दिया गया।
एमपीआरडीसी के अधिकारियों ने जिला प्रशासन को निर्माण कार्यों की समीक्षा के दौरान बताया था कि जून 2024 तक 2.50 किलोमीटर सडक पूर्ण हो चुकी है। शेष मार्ग में डीबीएम का कार्य किया जा रहा था। जानकार बताते हैं कि सडक निर्माण में ठेकेदार फर्म द्वारा मनमानी की गई। घटिया सामग्री के साथ निर्धारित मशीनरी का उपयोग नहीं हुआ। यहां तक की डब्लूएमएम मटेरियल भी बिना प्लांट में तैयार कर डाला गया। जिसके परिणाम स्वरूप यह सडक बारिश की चंद बूंदे भी झेल नहीं सकी और पूरी सडक गड्डों में तब्दील हो गई। बताया जाता है कि पूरे भ्रष्टाचार में एमपीआरडीसी के अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध है। क्योंकि खुलेआम हो रहे घटिया निर्माण को इनकी मूक सहमति थी। यहां तक कि ठेकेदार फर्म को करोडों रूपए का भुगतान भी किया जाता रहा। बारिश ने हकीकत को उजागर कर दिया। अब जिम्मेदार भ्रष्टाचार को ढंकने में जुटे हैं। स्थानीय लोगों ने सडक निर्माण में हुए व्यापक भ्रष्टाचार की जांच कराने और दोषियों पर कार्यवाही की मांग की है।
बेहद महत्वपूर्ण है अमानगंज बायपास
अमानगंज का यह बायपास कई मायनों में अहम है। एमपीआरडीसी अमानगंज-सिमरिया मार्ग पर टोल वसूल करती है जबकि बायपास मार्ग आज तक पूरा नहीं हुआ। बताया जाता है कि टोल वसूली के पूर्व ही इसे बनाया जाना था लेकिन टोल वसूली की जल्दबाजी में बायपास को भुला दिया गया। बायपास नहीं होने के चलते लोगों को अमानगंज शहर को पूरा पार करना होता था। जहां ट्राफिक के कारण लोग फंस जाते थे। कई बार बडे वाहन जाम की स्थिति पैदा करते थे। यह बायपास न सिर्फ अमानगंज-सिमरिया मार्ग को जोडता है बल्कि पवई-गुलगंज नेशनल हाइवे को भी पास करता है। ऐसे में नगरवासियों के लिए यह बेहद अहम है। इस बायपास से नगरवासियों को बडी राहत मिलेगी लेकिन यह भ्रष्टाचार की भेंट चढ गया। आलम यह है कि पहले तो निर्माणधीन रास्ते से वाहन गुजर भी जाते थे लेकिन अब इस मार्ग पर चलना दूभर हो गया है और अधिकारी इसे छिपाने में जुटे नजर आ रहे हैं।
इनका कहना है
डब्ल्यू.एम.एम. डाला था अभी काम कम्प्लीट नहीं हुआ है। वर्क रनिंग में है डीबीएम करना था। बरसात की वजह से रोक दिया था उसके बाद चालू करेंगे।
एन.के. बारवे, डिविजनल मैनेजर एमपीआरडीसी सागर