फर्जी जाति प्रमाण पत्र: एक ही परिवार के 6 सदस्यों ने बनवाए फर्जी जाति प्रमाण पत्र, 4 ने पाई सरकारी नौकरी, अब सीखचों के पीछे
- अग्रिम जमानत न मिलने पर करना पड़ा सरेंडर
- बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक लगाई दौड़
- एसटी का बनाया जाति प्रमाण-पत्र
डिजिटल डेस्क, शहडोल। मध्यप्रदेश के शहडोल में फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाने के आरोपी एक ही परिवार के सभी 6 सदस्य अब हवालात की हवा खा रहे हैं। फर्जी जाति प्रमाण-पत्र के आधार पर चार लोगों ने सरकारी नौकरी पा ली। शिकायत की जांच के बाद पुलिस में धोखाधड़ी का अपराध दर्ज हुआ तो निचली अदालतों से अग्रिम जमानत निरस्त होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी आरोपियों को राहत नहीं दी। यह मामला कोतवाली अंतर्गत पुरानी बस्ती का है। पुलिस के अनुसार प्रकरण में आरोपी अभिषेक विश्वकर्मा एवं विवेक विश्वकर्मा दो माह पहले गिरफ्तार होकर जेल में है। इन दोनों की मां गोमती विश्वकर्मा तथा बहनें राखी विश्वकर्मा, भारती व अनीता विश्वकर्मा को आज (14 फरवरी) को जेल भेजा गया।
मां रिटायर, बेटियां नौकरी में
पुलिस के अनुसार गोमती विश्वकर्मा शिक्षक के पद से सेवानिवृत्त हो चुकी हैं। वहीं इनकी बेटी अनीता विश्वकर्मा विचारपुर स्कूल में अभी भी टीचर हैं। दूसरी बेटी राखी विश्वकर्मा जिला चिकित्सालय में एनआरसी में पदस्थ है तथा भारती विश्वकर्मा नर्स के जॉब पर हैं। पुलिस का कहना है कि जांच में खुलासा हुआ कि इन्होंने फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी पाई थी। इसी प्रकार गोमती के बेटे अभिषेक ने पटवारी की परीक्षा पास की। विवेक के पास भी फर्जी जाति प्रमाण पत्र है।
अगरिया (एसटी) का बनाया जाति प्रमाण-पत्र
फर्जी जाति प्रमाण पत्र मामले की शिकायत जितेंद्र सिंह परस्ते द्वारा द्वारा वर्ष 2023 में की गई थी। एसडीएम सोहागपुर द्वारा जांच में सामने आया कि आरोपी विश्वकर्मा जाति के हैं जो ओबीसी में आते हैं और उन्होंने अगरिया जाति प्रमाण पत्र बनवाया जो एसटी वर्ग में आते हैं। जांच प्रतिवेदन के आधार पर प्रकरण क्रमांक 422/2023 धारा 420, 467, 468 सहित विभिन्न धाराओं में अपराध दर्ज कर दो माह पहले अभिषेक व विवेक को गिरफ्तार कर लिया गया था। शेष चारों आरोपी महिलाएं फरार थीं, जिन्होंने दो दिन पहले कोर्ट में सरेंडर किया। दो दिन की रिमांड के बाद पुलिस ने आज जेल भेज दिया।
कैसे बने प्रमाण-पत्र होगी जांच
कोतवाली टीआई राघवेंद्र तिवारी ने बताया कि आरोपियों से जो प्रमाण पत्र जब्त हुए हैं, उनका कोई रिकार्ड एसडीएम कार्यालय में नहीं है, न ही आवेदन किया गया था। अब इसकी जांच की जाएगी कि आखिर वे जाति प्रमाण पत्र कैसे और किस माध्यम से बनवाए गए।