निगम अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास: 27 पार्षदों ने किए सिग्नेचर, निगम में भाजपा का आखिरी ऑपरेशन शुुरु

  • गुरुवार को रुठे पार्षदों को भाजपा जिलाध्यक्ष ने मनाया
  • कांग्रेस पार्षदों के पाला बदलने के बाद बहुमत में भाजपाई
  • गुटबाजी के चलते रुका था भाजपा का अध्यक्ष हटाओ अभियान
  • परासिया रोड स्थित ढाबा में हुई बैठक

Bhaskar Hindi
Update: 2024-09-27 03:55 GMT

डिजिटल डेस्क,  छिंदवाड़ा। पहले सभापति, फिर मेयर और उसके बाद पार्षदों को शामिल करने के बाद भाजपा का आखिरी ऑपरेशन निगम में शुरु हो गया है। निगम अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए गुरुवार को परासिया रोड स्थित ढाबा में भाजपा संगठन पदाधिकारियों सहित पार्षदों की अहम् बैठक हुई। इनमें वे पार्षद भी शामिल थे, जो लंबे समय से संगठन से नाराज चल रहे थे। बैठक में मान मनौव्वल के बाद 27 पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव लाने पर सहमति प्रदान करते हुए हस्ताक्षर कर दिए हैं।

विधानसभा चुनाव के बाद से निगम में मची उथल-पुथल अभी तक जारी है। लोकसभा चुनाव के ऐन पहले महापौर सहित कांग्रेस पार्षदों ने भाजपा ज्वाइन करते हुए यहां कांग्रेस को अल्पमत में ला दिया था। तब से नगर निगम अध्यक्ष धर्मेंद्र सोनू मागो को बदलने के कयास शुरु हो गए थे। गुरुवार को परासिया रोड स्थित होटल में भाजपा पार्षदों की बैठक आयोजित की गई। जिसमें भाजपा जिलाध्यक्ष शेषराव यादव सहित महापौर विक्रम अहके और वरिष्ठ पार्षद मौजूद थे। बताया जा रहा है कि भाजपाध्यक्ष श्री यादव के आश्वासन के बाद नाराज पार्षदों ने भी अविश्वास प्रस्ताव लाने पर सहमति प्रदान कर दी है। 27 ने सिग्नेचर किए है, बाकी बचे भाजपा पार्षद भी इस अविश्वास प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करेंगे।

सात पार्षद मानने तैयार नहीं थे

गुरुवार को हुई बैठक मेें सात पार्षद ऐसे थे, जिन्होंने भाजपा जिलाध्यक्ष के समक्ष खुलकर अपनी भड़ास निकाली। इनका स्पष्ट कहना था कि दो साल पहले नेता प्रतिपक्ष और हाल ही में हुए एमआईसी के चयन में उनको नजर अंदाज किया गया। जिस पर जिलाध्यक्ष ने स्पष्ट कहा कि पहले जो भी हुआ हो इस बार पहले जैसा कुछ नहीं होगा। सभी की सहमति के बाद नया निगम अध्यक्ष चुना जाएगा। जिलाध्यक्ष के आश्वासन के बाद ये हस्ताक्षर करने को तैयार हुए।

क्या बनी सहमति

- गुरुवार को भाजपा पार्षदों की बैठक में सहमति बनी है कि पार्षदों के बीच ही रायशुमारी के बाद नए निगम अध्यक्ष पर फैसला होगा। तीन नामों का पैनल तैयार किया जाएगा। जिसमें जिस नाम पर भी सबसे ज्यादा पार्षद सहमत होंगे। उसे ही अध्यक्ष बनाया जाएगा, लेकिन इसके पहले वर्तमान अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाकर हटाने की प्रक्रिया की जाएगी।

25 पार्षदों में पारित हो जाएगा प्रस्ताव

यदि नियमों की बात करें तो निगम अधिकारियों का कहना है कि छिंदवाड़ा निगम की स्थिति के मुताबिक यहां 48 पार्षद और एक वोट महापौर का है। ऐसे में 25 पार्षदों के समर्थन के आधार पर अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित हो सकता है। गुरुवार को हुई बैठक में 27 पार्षदों ने हामी भर दी है।

निगम में संख्याबल...पहले और अब

2022 में: 2022 में निगम चुनाव हुए थे। जब कांग्रेस के 2६ और भाजपा के 18 पार्षद और चार निर्दलीय पार्षद जीतकर आए थे। दो पार्षदों ने बाद में भाजपा को समर्थन कर दिया। वहीं दो पार्षदों ने कांग्रेस का दामन थामा। ऐसे कांगेस के 28 और भाजपा के 20 पार्षद हो गए थे।

2024 में : महापौर विक्रम अहके सहित सभापतियों और कांगे्रस पार्षदों के भाजपा में जाने के बाद अब भाजपा के पास 34 और कांग्रेस के पास 14 पार्षद बचे हैं। संख्याबल में भाजपा, कांग्रेस से आगे हंै। महापौर का वोट मिलाकर 35 का समर्थन भाजपा के पास है।

अब आगे क्या होगा

अध्यक्ष को हटाने पर सहमति बनने के बाद अब अविश्वास प्रस्ताव निर्वाचित पार्षद द्वारा लाया जाएगा। फिर प्रशासनिक अधिकारी अविश्वास प्रस्ताव को लेकर आगे की प्रक्रिया पूरी करेंगे। प्रक्रिया पर उपस्थित पार्षदों के या तो हाथ उठाकर या फिर वोटिंग प्रक्रिया के तहत हटाने की कार्रवाई होगी।

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