भास्कर एक्सक्लूसिव: भागलपुर में कन्हैया कुमार की एंट्री से बिगड़ा लालू का खेल? एक सीट-कई दावेदार, किसकी होगी जीत और कौन हार?
- भागलपुर सीट से कन्हैया कुमार के नाम की चर्चा
- कई दावेदार के बीच कन्हैया को मिल पाएगा टिकट?
- लालू के खेल को बिगाड़ने में क्या कांग्रेस होगी कामयाब?
डिजिटल डेस्क, पटना। एनडीए के खिलाफ बिहार में विपक्षी गठबंधन की नींव रखने वाले जेडीयू प्रमुख और बिहार के सीएम नीतीश कुमार पलटी मारते हुए महागठबंधन छोड़ एनडीए में शामिल हो गए। इसके बाद महागठबंधन में बचे 5 दलों में आरजेडी और कांग्रेस का दबदबा सबसे ज्यादा है। लोकसभा चुनाव के लिए अपनाया गया सीट शेयरिंग फॉर्मूला महागठबंधन में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के दबदबे की कहानी बयां करता है। महागठबंधन में शामिल दलों के बीच हुए सीट शेयरिंग में बिहार के 40 लोकसभा सीटों में से सबसे ज्यादा 26 सीटों पर आरजेडी ने चुनाव लड़ने का फैसला किया है। इसके बाद कांग्रेस को 9 सीटों से संतोष करना पड़ा तो वहीं गठबंधन में शामिल लेफ्ट पार्टियों के खाते में कुल 5 सीटें गई।
आरजेडी ने सीट शेयरिंग में दबदबा रखते हुए कांग्रेस को मनपसंद सीटों के लिए खूब तरसाया। आरजेडी ने सीट शेयरिंग में ऐसा दांव खेला कि सीपीआई छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने वाले कन्हैया कुमार की लोकसभा चुनाव में सहभागिता पर ही सवाल खड़े हो गए। बेगूसराय लोकसभा सीट पर दावेदारी की रेस में कन्हैया कुमार सबसे आगे चल रहे थे। राजद ने यह सीट सीपीआई की झोली में डालकर कन्हैया कुमार को बहुत दूर से ही रोक दिया। राजनीतिक विश्लेष्कों की मानें तो तेजस्वी यादव के बाद बिहार की राजनीति में कन्हैया कुमार प्रमुख चेहरा बन सकते हैं। यही वजह है कि लालू यादव ने मास्टर स्ट्रोक लगाते हुए प्रदेश की राजनीति में कन्हैया कुमार की एंट्री को रोकने के लिए बेगूसराय सीट सीपीआई के हवाले कर दिया। गहरी राजनीतिक और रणनीतिक सूझबूझ का परिचय देते हुए लालू यादव ने कन्हैया कुमार को तेजस्वी के रास्ते का कांटा बनने से पहले ही उखाड़ फेंका है।
पूर्णिया सीट का खेल
बीते दिनों पप्पू यादव ने अपनी पार्टी जाप का कांग्रेस में विलय कर दिया। पप्पू यादव पूर्णिया लोकसभा सीट पर लंबे समय से दावेदारी ठोक रहे थे। यहां भी आरजेडी ने खेल कर दिया और पप्पू यादव के महत्वकांक्षाओं पर पानी फेर दिया। आरजेडी ने पूर्णिया लोकसभा सीट को अपने पास रखा है और लालू के वफादार माने जाने वाले जयप्रकाश नारायण यादव को इस सीट से चुनावी मैदान में उतारा है। हालांकि, पप्पू यादव अब भी पीछे हटने के लिए तैयार नहीं हैं। उन्होंने 4 अप्रैल को कांग्रेस की तरफ से नामांकन करने का ऐलान किया है। कन्हैया कुमार की तरह लालू यादव बेटे तेजस्वी यादव के राजनीतिक करियर का रास्ता साफ रखने के लिए पप्पू यादव को लेकर भी सतर्क हैं।
भागलपुर सीट से कांग्रेस का मास्टर स्ट्रोक!
कन्हैया कुमार को भागलपुर लोकसभा सीट से उतारकर कांग्रेस लालू यादव के पिच पर मास्टर स्ट्रोक लगा सकती है। बिहार में सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच असंतुष्टि का माहौल है। सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय नेतृत्व भागलपुर लोकसभा सीट से कन्हैया कुमार को उतारने पर विचार कर रही है। अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस और आरजेडी के गेम में नया ट्विस्ट देखने को मिलेगा। इस फैसले से एक तरफ कांग्रेस लालू यादव को कड़ा संदेश देने में कामयाब होगी तो दूसरी तरफ कन्हैया कुमार को भी पैर जमाने का मौका मिलेगा। हालांकि, यह फैसला कांग्रेस पार्टी के लिए इतना आसान नहीं होने वाला है। भागलपुर सीट पर कई और मजबूत दावेदार पहले से लगे हुए हैं ऐसे में कन्हैया कुमार के लिए जगह बनाना आसान काम नहीं है।
एक सीट पर कई दावेदार
भागलपुर सीट पर एक साथ कई दावेदार मजबूती से दावा ठोक रहे हैं। इस लिस्ट में सबसे पहला नाम आता है बिहार की राजनीति में कांग्रेस पार्टी के प्रमुख नेता अजीत शर्मा का जो भागलपुर से लगातार तीसरी बार विधायक बने हैं। इस सीट पर दावेदारी के रेस में दूसरा नंबर पर पार्टी के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा का नाम आता है। 2005 में भागलपु और 2020 में पटना साहिब से विधानसभा चुनाव हारने वाले उपेंद्र कुशवाहा जेडीयू के अजय मंडल से भागलपुर लोकसभा सीट छीनना चाहते हैं। इसके अलावा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह अपने बेटे आकाश सिंह का नाम भागलपुर, पश्चिम चंपारण से लेकर मुजफ्फरपुर सीट के लिए आगे करने में लगे हुए हैं।