जेल में केजरीवाल: कैसे चलेगी सरकार? कितनी चिट्ठियां लिख सकते हैं, कौन सा नियम बनेगा बाधा, जानिए सब कुछ

  • जेल में बंद केजरीवाल कैसे चलाएंगे सरकार
  • कितना सही है संजय सिंह का दावा
  • क्या है नियम

Bhaskar Hindi
Update: 2024-04-04 13:06 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली आबकारी नीति मामले में फंसे आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह बुधवार को जमानत पर जेल से रिहा हो गए। बाहर आने के बाद उन्होंने पार्टी दफ्तर में कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। इस दौरान आप सांसद ने कहा कि सरकार अब जेल से ही चलेगी। उन्होंने जेल के नियमों का हवाला देते हुए यह बात कही। पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता भी यह बात कह चुके हैं। वहीं केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद अभी तक उन्होंने सीएम पद से इस्तीफा नहीं दिया है। ऐसे में सोशल मीडिया पर लोग सवाल पूछ रहे हैं कि क्या जेल में रहकर भी कोई सीएम सरकार चला सकता है? आइए जानते हैं कि आखिर जेल में बंद एक कैदी कब और कितनी चिट्ठियां लिख सकता है?

हफ्ते में एक चिट्ठी लिखने की इजाजत - गृह मंत्रालय

एबीपी न्यूज ने गृह मंत्रालय एक रिपोर्ट के हवाले से बताया कि जेल में सजा काट रहे कैदी को हफ्ते में एक चिट्ठी लिखने की इजाजत है। इसके अलावा अंडरट्रायल कैदी एक हफ्ते में दो चिट्ठी लिख सकता है। वहीं दिल्ली जेल मैनुअल के मुताबिक, यहां सजा काट रहे कैदी को यह अधिकार होता है कि वह जितनी चाहे उतनी चिट्ठी लिख सकता है। हालांकि उसे इसके लिए जेल से कोई खर्च नहीं मिलता है। वो अपने खर्चे पर जितनी चाहे उतनी चिट्ठियां लिख सकता है।

बाहर भेजने से पहले होती है चेकिंग

कैदी द्वारा लिखी चिट्ठी को बाहर भेजने से पहले उसकी चेकिंग होती है। यदि चिट्ठी में ऐसा कुछ लिखा पाया जाता है जिससे जेल की सुरक्षा में सेंध लगे तो फिर कैदी को उस हिस्से को अपनी चिट्ठी में न लिखने के लिए कहा जाता है। अब सवाल उठता है कि यदि कोई कैदी हफ्ते में दो से ज्यादा चिट्ठियां लिखना चाहता है तो वह इसके लिए पैसे कहां से लाएगा। क्योंकि जेल में एक हफ्ते में केवल दो ही चिट्ठियां लिखने की सुविधा जेल प्रशासन से मिलती है। यदि वो इसके अलावा और ज्यादा चिट्ठियां लिखना चाहता है तो ऐसे वह अपने खर्चे पर कर सकता है।

कैदियों को काम के अनुसार मिलता है पैसा

तो आपको बता दें कि जेल में बंद कैदियों को उनके काम के मुताबिक पैसा मिलता है। यह पैसा उन्हें करेंसी की जगह कूपन के रूप में मिलता है। जेल में कैदियों को तीन कैटेगरी में बांटा गया है और उसी के अनुसार उन्हें काम और पैसा मिलता है। ये कैटेगरी है - कुशल, अर्द्ध कुशल और अकुशल। तिहाड़ जेल के 2015 के आंकड़ों के मुताबिक कुशल, अर्द्ध कुशल और अकुशल कैदियों को क्रमश: 171 रुपये, 138 रुपये और 107 रुपये दिए गए थे।

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