राज्यसभा: सिंधिया की राज्यसभा सीट पर किसे मिलेगा मौका? केपी यादव के नाम का शाह संकेत, जातीय समीकरण में पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा और जयभान भी फिट

  • शाह ने केपी को दिया था दिल्ली जाने का संकेत
  • गुना में चुनाव प्रचार के दौरान दिए थे संकेत
  • मिश्रा,पवैया और भार्गव के नामों की चर्चाएं तेज

Bhaskar Hindi
Update: 2024-06-12 09:29 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 18 वीं लोकसभा चुनाव  में ज्योतिरादित्य सिंधिया के गुना संसदीय सीट से निर्वाचित होने के बाद उनकी राज्यसभा सीट खाली हो गई है। जिस पर उपचुनाव होना है। चुनाव की तारीख का भी जल्द ऐलान होने की उम्मीद है। राज्यसभा में बीजेपी की ओर से कौन उम्मीदवार होगा । इसके लिए राजनीति गलियारों में चर्चाएं तेज होने लगी है। पार्टी नेताओं के बीच चर्चाएं है कि केपी यादव, नरोत्तम मिश्रा, जयभान सिंह पवैया और रमाकांत भार्गव में से कोई भी उम्मीदवार हो सकता है।

चुनावी प्रचार में केपी को शाह का दिल्ली संकेत

पार्टी सूत्रों का कहना हैं कि पार्टी एक बार फिर जातीय समीकरण को ध्यान में रखकर उम्मीदवार तय करेगी। फरवरी में हुए राज्यसभा चुनाव में भाजपा ने दलित, ओबीसी व महिला कार्ड खेला था। वहीं 18 वीं लोकसभा के नतीजों के बाद बीजेपी नेतृत्व वाली एनडीए की मोदी सरकार में मध्यप्रदेश के पांच मंत्रियों में क्षत्रिय और ब्राह्मण वर्ग से किसी को मौका नहीं दिया है। इस लिहाज से अब ये माना जा रहा है कि पार्टी  ठाकुर या ब्राह्मण कोटे से किसी नेता को राज्यसभा में भेज सकती है। हालांकि ये जरूरी नहीं है क्योंकि लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान अशोक नगर में केंद्रीय मंत्री अमित शाह एक सभा में पूर्व सांसद केपी यादव को दिल्ली ले जाने का संकेत दे चुके हैं। इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि बीजेपी यादव को राज्यसभा भेज  सकती है। गुना लोकसभा सीट से यादव ने 2019 के लोकसभा चुनाव में सिंधिया को हराया था। इस बार उनका टिकट काट कर कांग्रेस से बीजेपी में दल बदल कर आए सिंधिया को चुनाव में मौका दिया। सिंधिया गुना से इस बार निर्वाचित हुए है। सिंधिया के निर्वाचन होने के बाद ही सूबे की ये राज्यसभा सीट रिक्त हुई है।

आपको बता दें मध्यप्रदेश के 5 राज्यसभा सांसदों का कार्यकाल 2 अप्रैल 2024 को समाप्त हुआ था। इसमें बीजेपी के चार सांसद धर्मेंद्र प्रधान, डॉ. एल मुरुगन, अजय प्रताप सिंह और कैलाश सोनी थे, जबकि कांग्रेस के राजमणि पटेल राज्यसभा सांसद थे। भाजपा ने चार सीटों में से तीन पर ओबीसी से बंशीलाल गुर्जर, दलित समाज से उमेश नाथ महाराज और महिला कोटे से माया नारोलिया को उम्मीदवार बनाया और राज्यसभा में भेजा। डाॅ. मुरुगन को फिर से मध्यप्रदेश के कोटे से राज्यसभा में भेजा था। 

एक सीट कई दावेदार 

राज्यसभा की एक सीट पर बीजेपी में कई दावेदार है। हालांकि बीजेपी ने राज्यसभा चुनाव में कई बार नए चेहरों को लाकर चौंका दिया है। हालांकि चर्चाओं में गुना से पूर्व सांसद केपी यादव को ओबीसी नेता होने के चलते प्रबल दावेदार माना जा रहा है। सिंधिया को हराने के बाद भी बीजेपी ने उनका टिकट काट दिया था। उसके बाद पूर्व  गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा, जयभान सिंह पवैया और पूर्व सांसद रमाकांत भार्गव के नाम राजनीतिक गलियारे में चल रहे हैं। दूसरी ओर ब्राह्मण नेता होने के नाते नरोत्तम मिश्रा को और क्षत्रिय चेहरें के तौर पर जयभान सिंह पवैया का नाम सुर्खियों में बना हुआ है।

न्यू जॉइनिंग टोली के संयोजक डॉ. नरोत्तम मिश्रा

न्यू जॉइनिंग टोली के संयोजक रहे मिश्रा अमित शाह के करीबी है। लोकसभा में उनके विधानसभा क्षेत्र से भिण्ड दतिया संसदीय क्षेत्र से संध्या राय को 20 हजार से ज्यादा की लीड मिली है। डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने न्यू जॉइनिंग कमेटी का प्रदेश संयोजक के तौर पर अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाया। लोकसभा चुनाव के दौरान ढाई महीने में कांग्रेस के तीन पूर्व सांसद, 3 विधायक, 17 पूर्व विधायक, 1 महापौर, 2 पूर्व महापौर, 300 जनप्रतिनिधि, पार्षद व सरपंचों ने भाजपा का दामन थामा। कई लोकसभा सीटों की जीत में अन्य दलों से आए नेताओं की वजह से निर्णायक जीत हुई। जिसके चलते उनकी दावेदारी भी राज्यसभा के लिए मजबूत मानी जा रही है।

विदिशा से सांसद और ब्राह्मण चेहरा रमाकांत भार्गव का इस बार टिकट काटकर बीजेपी के दिग्गज नेता और पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान को मौका दिया था। शिवराज के विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद भार्गव को बुधनी से उपचुनाव में टिकट मिल सकता है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ तो भार्गव को राज्यसभा में भेजा जा सकता है।

ग्वालियर से सांसद रह चुके जयभान सिंह पवैया भी राज्यसभा के उम्मीदवार हो सकते है क्योंकि पवैया महाराष्ट्र भाजपा के सह प्रभारी है। कुछ महीनों बाद महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होने है। मध्यप्रदेश महाराष्ट्र के क्षत्रिय वर्ग के लिहाज से उन्हें भी प्रबल दावेदार माना जार रहा है। 

 चौंकाने वाले फैसले 

आपको बता दें बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व खासकर नरेंद्र मोदी और अमित शाह कई मौकों पर चौंकाने वाले फैसले ले चुके है।  2022 में जबलपुर की भाजपा कार्यकर्ता सुमित्रा बाल्मीक को राज्यसभा का टिकट मिलने से पार्टी के नेता भी हैरान हुए थे। इस साल फरवरी में हुए राज्यसभा चुनाव में उज्जैन के बाल योगी उमेशनाथ को उम्मीदवार बनाया, जबकि उनका राजनीति से कोई सीधा संबंध नहीं था। प्रदेश में ओबीसी वोटरों की आबादी 50 फीसदी से अधिक है। यही वजह है कि बीजेपी ने निकाय चुनाव से पहले कविता पाटीदार के नाम की घोषणा कर एक बड़ा ओबीसी कार्ड खेला था। इसी तरह सुमित्रा बाल्मीकी को राज्यसभा में भेजकर दलित वर्ग को साधने की कोशिश हुई थी।

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