महिला आरक्षण बिल: उमाभारती ने फिर दिखाए बागी तेवर, महिला आरक्षण बिल पर जताई नाराजगी, पीएम मोदी को पत्र लिख की संसोधन की मांग
- महिला आरक्षण बिल पर उमा की नाराजगी
- पीएम मोदी को लिखा पत्र
- संसोधन की उठाई मांग
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अपने बागी तेवरों के लिए जाने जानी वाली मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने एक बार फिर अपनी पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। उन्होंने मंगलवार को सदन में पेश हुए महिला आरक्षण बिल का विरोध किया है। उमा का कहना है कि बिल में पिछड़ा वर्ग की महिलाओं को विशेष स्थान नहीं दिया गया है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि पिछड़ा वर्ग की महिलाओं के लिए इस बिल में कोटा नहीं रखा गया तो वह आंदोलन करेंगी।
उन्होंने कहा कि, "मुझे इस बात की खुशी है कि संसद में महिला आरक्षण बिल पेश किया गया, लेकिन मुझे कुछ हद तक निराशा भी है क्योंकि यह ओबीसी महिलाओं के लिए आरक्षण के बगैर आया है। अगर हम ओबीसी महिलाओं के लिए आरक्षण सुनिश्चित नहीं करते हैं तो उनका बीजेपी से विश्वास उठ जाएगा।"
पीएम मोदी को पत्र लिख जताई नाराजगी
उमा ने इसको लेकर पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अपनी नाराजगी जताई है, साथ ही मांग की है कि स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए सुनिश्चित 33 प्रतिशत आरक्षण में से 50 प्रतिशत एससी, एसटी और ओबीसी समुदाय के लिए अलग रखा जाना चाहिए।
पीएम मोदी को लिखे पत्र में उमा ने कहा, 'महिला आरक्षण विधेयक का आना देश की महिलाओं के लिए खुशी की बात है। संसद में महिला आरक्षण विधेयक का पेश होना देश की महिलाओं के लिए खुशी की बात है। जब 1996 में तत्कालीन प्रधान मंत्री देवेगौड़ा ने सदन में यह विशेष आरक्षण प्रस्तुत किया था, तब मैं संसद की सदस्य थी। मैं तुरंत खड़ी हुई और इस विधेयक पर एक संशोधन पेश किया। उस समय आधे से अधिक सदन ने मेरा समर्थन किया। देवेगौड़ा ने संशोधन को सहर्ष स्वीकार कर लिया। उन्होंने विधेयक को स्थायी समिति को सौंपने की घोषणा की।'
लालू-मुलायम ने किया था समर्थन
'विधेयक स्थगित होने से पहले सदन में काफी हंगामा हुआ। जैसे ही वह सदन के गलियारे में आईं, उनकी पार्टी के कई सांसद नाराज थे, लेकिन दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उनकी बात धैर्यपूर्वक सुनी। उन्होंने लिखा, कट्टर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी मुलायम सिंह यादव, लालू यादव और उनकी पार्टी के सांसद सभी संशोधन के पक्ष में थे।'
स्थानीय निकायों में मिले 50 फीसदी आरक्षण
उमा ने अपने पत्र में लिखा, 'मैं आपके सामने भी एक संशोधन का प्रस्ताव रख रही हूं। मुझे विश्वास है कि आप इस विधेयक को प्रस्तावित संशोधनों के साथ पारित कराएंगे। स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण एक विशेष प्रावधान है। इन 33 प्रतिशत आरक्षित सीटों में से 50 प्रतिशत एसटी, एससी और ओबीसी महिलाओं के लिए अलग रखी जाएं। एसटी, एससी महिलाओं को संवैधानिक व्यवस्था के कारण 24 फीसदी आरक्षण शायद मिल भी जाएगा लेकिन ओबीसी वर्ग की महिलाएं पीछे छूट जाएंगी'
उन्होंने कहा, पंचायती राज व स्थानीय निकाय में पिछड़ी जाति की महिलाओं के लिए विशेष आरक्षण का प्रावधान है। साथ ही मण्डल कमीशन के द्वारा चिन्हित मुस्लिम समुदाय की पिछड़ी जाति की महिलाओं को भी इसमें शामिल होना चाहिए यदि इस विशेष प्रावधान के बगैर यह विधेयक पारित हो रहा है तो पिछड़े वर्ग की महिलाएं इस विशेष अवसर से वंचित हो रही हैं। बीजेपी नेत्री ने अपने पत्र में लिखा, 'यद्यपि हमारी पार्टी और अन्य दलों के सांसद, विशेषकर वामपंथी और कांग्रेस सांसद, मुझसे बहुत नाराज़ थे। हमारी पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने मेरा समर्थन किया।' भारती ने लिखा, 'जब तक मैं पांच साल तक कैबिनेट में आपके साथ थी, जब भी महिला आरक्षण का मुद्दा उठाया गया, मैं इस बात पर जोर देती थी कि यह संतुलित और समग्र होना चाहिए।' उन्होंने कहा, 'अब मैं संसद में नहीं हूं लेकिन मुझे और देश के पिछड़े, दलित एवं आदिवासी वर्गों को भरोसा है कि हमारी सरकार इस को समग्रता के साथ संसद में पेश करेगी।'