टाइगर रिजर्व में पर्यटन पलायन और पॉलिटिक्स, जानिए बाघों के गढ़ बांधवगढ़ में किसकी गूंजती हैं दहाड़?
- उमरिया जिले में दो विधानसभा सीट
- बांधवगढ़ और मानपुर
- दोनों सीट एसटी आरक्षित
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उमरिया जिले में बाधवगंढ़ और मानपुर दो विधानसभा सीटआती है। दोनों ही अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। उमरिया में चुनाव आते ही वादों की बहार लग जाती है, नतीजे आते ही वादे हवा -हवा हो जाते है। वादे वाले चले जाते है और रह जाता है तो कुपोषण। उमरिया से कुपोषण आज भी खत्म नहीं हुआ। विकास गुम गुम सा नजर आता है। बेरोजगारी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। बेरोजगारी के साथ साथ पलायन भी बढ़ रहा है। स्कूली शिक्षा और उच्च शिक्षा की हालात खराब है। कागजों में तो विकास खूब होता है, लेकिन जमीन पर दिखाई नहीं देता।
उमरिया जिले में करीब 60 हजार यानि 9 परसेंट एससी और 47 फीसदी करीब 3 लाख से अधिक एसटी आबादी है। गोंड़ कुल एसटी आबादी की 40 फीसदी है, जो सबसे बड़ा आदिवासी समुदाय है। अन्य जनजातियों में बैगा और कोल भी शामिल है। उमरिया महिला साक्षरता में काफी पिछड़ा हुआ है। जबकि जिले की विधायक प्रदेश सरकार में लंबे समय से मंत्री है। पर्यटन पर ध्यान नहीं दिया जा रहा , जिससे न तो बेरोजगारी थम रही है ना ही पलायन। स्वास्थ्य सुविधाएं बदहाल स्थिति में है। नहरों तक पानी पहुंचाने वाले जलाशय भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए। किसानों के खेत आज भी प्यासे है, जिससे आज भी मानपुर का किसान परेशान है।
गोंगपा, बीएसपी के साथ बूथ लेवल तक युवाओं तक अपनी पैठ बना चुका जयस उमरिया के चुनावी दंगल में कूदने का मूड़ बना चुका है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इलाके की दोनों सीटों पर जयस अपने प्रत्याशी उतारेगा। जयस के उतरने से ये साफ है कि चुनावी मुकाबला बड़ा रोचक होगा। स्थानीय मतदाता मतदान से पहले की रात को कत्ल की रात कहते है। चुनावी प्रत्याशी द्वारा तमाम प्रलोभनों के जरिए मतदाता को रिझाने का प्रयास किया जाता है। जाति, मजदूरी, आवास, रोजगार, पैसा, पर्यटन और पलायन के चारों ओर यहां की राजनीति घूमती है।
बांधवगढ़ विधानसभा सीट
जाति, मजदूरी, आवास, रोजगार, पर्यटन और पलायन के चारों ओर यहां की राजनीति घूमती है। सीट पर गोंड़ की आबादी सबसे अधिक है। उसके बाद कोल और बैगा जाति आती है। पिछड़ा वर्ग और सामान्य वर्ग के कुल वोट आदिवासियों के वोटों के एक तिहाई होंगे। बाधवंगढ़ बीजेपी का गढ़ है। यहां पिछले तीन विधानसभा चुनावों से बीजेपी ही चुनाव जीतती आ रही है। अन्य दलों के सामने बीजेपी के किले को ढ़हाना बहुत बड़ी चुनौती है।
2018 में बीजेपी के शिवनारायण सिंह
2013 में बीजेपी के ज्ञान सिंह
2008 में बीजेपी के ज्ञान सिंह
2003 में कांग्रेस की पुष्पलता लिखीराम कावरे
1998 में कांग्रेस के तुलेश्वर सिंह
1993 में कांग्रेस के तुलेश्वर सिंह
1990 में कांग्रेस के खेलसेई सिंह
1985 में बीजेपी के तुलेश्वर सिंह
1980 में कांगेस के चंदन सिंह
1977 में जेएनपी के सहदेव सिंह
मानपुर विधानसभा सीट
टाइगर रिजर्व का 1632 वर्ग किमी क्षेत्र मानपुर विधानसभा सीट का हिस्सा है। मानपुर सीट का 2006 के परिसीमन के बाद गठन हुआ था। मानपुर विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। यहां से बीजेपी ही चुनाव जीतती आ रही है। सीट पर 40 फीसदी ओबीसी और सामान्य मतदाता है। जो निर्णायक भूमिका निभाता है।
2018 में बीजेपी की मीना सिंह
2013 में बीजेपी की मीना सिंह
2008 में बीजेपी की मीना सिंह