भास्कर एक्सक्लूसिव: दक्षिण के 5 राज्यों सहित भाजपा के मिशन 400 में रोड़ा हैं ये 11 राज्य, क्या इस बार इन राज्यों में खाता खोल पाएगी बीजेपी?

  • कितना मुमकिन है 'अबकी बार 400 पार'?
  • 2019 में 11 राज्यों में नहीं खोल पाई थी खाता
  • पार्टी कैसे भेदेगी दक्षिण का किला?

Bhaskar Hindi
Update: 2024-04-13 10:59 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों में सभी राजनीतिक दल जोरों-शोरों से लगी हुई है। भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन ने भी 'मोदी की गारंटी' के नाम पर अपने लिए 'मिशन 400' तय कर लिया है। पार्टी की तरफ से दावा किया जा रहा है कि इस बार चुनाव में एनडीए 400 से ज्यादा सीटों पर जीत हासिल करेगी। एनडीए के 2019 के परफॉर्मेंस को देखते हुए इस दावे को लेकर कई सवाल भी किए जा रहे हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा देश के 11 राज्यों में खाता भी नहीं खोल पाई थी। इनमें ज्यादातर राज्य दक्षिण भारत के हैं। अब सवाल यह है कि क्या भाजपा आगामी लोकसभा चुनाव में अपने दावे के मुताबिक 400 सीटें जीत पाएगी?

मिशन से 50 सीटें दूर

लोकसभा चुनाव 2019 के परिणाम को देखें तो एनडीए गठबंधन अपने 'मिशन 400' से महज 50 सीटें दूर है। 2019 में एनडीए ने 543 में से 350 सीटों पर जीत हासिल की थीं। जिनमें भाजपा ने अकेले 303 सीटें जीती थी। इन 350 सीटों में 10 एसे राज्य हैं जहां भाजपा ने सभी विरोधी दलों को क्लीन स्विप कर दिया था। हालांकि 11 ऐसे भी राज्य रहें जहां भाजपा खाता भी नहीं खोल पाई। बाकि के राज्यों में भाजपा और उनके सहयोगी दोनों ही मजबूत थे।

किन राज्यों में मिली थी एनडीए को हार?

2019 के लोकसभा चुनाव में 11 राज्य/केंद्रशासित प्रदेश ऐसे रहें जिनमें भाजपा को एक भी सीट हासिल नहीं हुई थी। इनमें तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी, नागालैंड, लक्षद्वीप, आंध्र प्रदेश, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, सिक्किम, मेघालय, मिजोरम और दादर एवं नागर हवेली शामिल हैं।

क्यों जरूरी हैं ये 11 राज्य?

भाजपा को अगर 400 सीटों का आंकड़ा पार करना है तो उन्हें उन 11 राज्यों पर खास फोकस करना होगा जहां वह पिछले लोकसभा चुनाव में खाता खोलने में असफल रही थी। इनमें आंध्र प्रदेश (25 सीट), तमिलनाडु (39 सीट), केरल (20 सीट), मेघालय (2 सीट) और मिजोरम, नागालैंड,लक्षद्वीप, सिक्किम, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह और दादर एवं नागर हवेली में 1-1 लोकसभा सीट हैं। इन 11 राज्यों में कुल 93 सीट हैं जो कि कुल 543 लोकसभा सीटों का एक बड़ा हिस्सा है। अगर इन सीटों को हटा दिया जाए तो कुल 443 सीटें ही बचती हैं और सिर्फ उनके बदौलत 400 का आंकड़ा छूना एनडीए के लिए मुश्किल होगा।

दक्षिण में गठबंधन का सहारा

भाजपा को अपने 'मिशन 400' को पूरा करने के लिए दक्षिण भारत में अपनी पकड़ मजबूत करनी होगी। इसके लिए पार्टी ने दक्षिण के 5 राज्यों की 129 सीटों को फोकस करते हुए अपनी रणनीति तैयार कर ली है। इनमें से तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश को मिलाकर तीन राज्य ऐसे हैं जहां भाजपा को एक भी सीट नहीं मिली थी। दक्षिण के पांच राज्यों में सुधरे हुए परफॉर्मेंस वाली तेलंगाना के साथ-साथ कर्नाटक भी शामिल है जहां भाजपा ने अन्य सभी दलों को क्लीन स्विप कर दिया था।

भाजपा ने इस बार दक्षिण भारत के किला को भेदने के लिए कई नए और पुराने साथियों के साथ हाथ मिलाया है। इनमें आंध्र प्रदेश में पुराने साथी तेलुगू देशम पार्टी के साथ-साथ एक नया नाम अपने साथ जोड़ा है जो कि फिल्म कलाकार पवन कल्याण की जनसेना पार्टी है। साथ ही तमिलनाडु में अभिनेता आर. शरत कुमार की अकिला इंडिया सामाथुवा मक्कल काची पार्टी और टीटीवी. दिनाकरन की अम्मा मक्कल मुन्नेत्रा काझागम पार्टी से हाथ मिलाया है। इसके अलावा भाजपा ने कर्नाटक में पूर्व प्रधानमंत्री एचडी. देवेगौड़ा की जनता दल(एस) को अपने साथ मिलाया है।

Tags:    

Similar News