भास्कर एक्सक्लूसिव: घाटी में दिखा राजनीति का युवा चेहरा, मुफ्ती परिवार की तीसरी पीढ़ी की राजनीति में दस्तक, 37 साल की इल्तिजा मुफ्ती के सामने ये बड़ी चुनौतियां

  • 18 सितंबर से 1 अक्टूबर तक तीन चरण में होंगे चुनाव
  • 8 अक्टूबर को आएंगे जम्मू-कश्मीर चुनाव के रिजल्ट
  • राज्य में चुनाव को लेकर घमासान जारी

Bhaskar Hindi
Update: 2024-09-13 11:18 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 90 सीटों वाले जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज है। लेकिन इस बार के चुनाव में पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) नेता और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती की भी चर्चा जोरों पर है। वह इस बिजबेहरा सीट से चुनाव लड़ने वाली हैं। बिजबेहरा सीट इल्तिजा मुफ्ती के परिवार की पुश्तैनी सीट है। जिसे बचा पाना उनके लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। इस सीट से मुफ्ती परिवार के ही दो मुख्यमंत्री भी चुने जा चुके हैं।   

1967 से जम्मू-कश्मीर में 9 बार विधानसभा चुनाव और उपचुनाव हुए हैं। जिसमें 6 बार मुफ्ती परिवार या पीडीपी के कैंडिडेट को जीत मिली है। वहीं, 1996 के बाद से इस सीट पर पीडीपी को लगातार जीत मिली है। इस बार पीडीपी की भी कमान इल्तिजा मुफ्ती को मिली है। इस चुनाव में वह पार्टी की ओर से स्टार फेस के तौर पर हैं। साथ ही, माना जा रहा है कि मुफ्ती परिवार की तीसरी पीढ़ी अब जम्मू-कश्मीर के सियासत में अपना कदम रख चुकी है। 

इल्तिजा के सामने चुनौती

इल्तिजा मुफ्ती को न केवल अपनी सीट पर जीत हासिल करने की चुनौती है बल्कि, राज्य की सभी सीटों पर पीडीपी को जीत दिलाना है। बता दें कि, पीडीपी ने इस बार के चुनाव में किसी के साथ गठबंधन नहीं किया है। 37 वर्षीय इल्तिजा के सामने पुरानी विरासत को मजबूत रखने और आगे बढ़ाने की जिम्मीदारी है। इल्तिजा पीडीपी की मुख्य मीडिया सलाहकार के रूप में पार्टी का मुख्य चेहरा हैं। इस बार उनकी मां महबूबा मुफ्ती चुनाव नहीं लड़ रही है। जिसके चलते भी इल्तिजा पर चुनाव में बड़ी जीत हासिल करने की चुनौती है। 

पिछला चुनाव कैसा रहा

पिछले बार साल 2014 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान पीडीपी राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। तब राज्य की 87 सीटों में से पीडीपी ने 28, बीजेपी ने 25, नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 15 और कांग्रेस ने 12 सीटें जीती थीं।

इसके बाद बीजेपी और पीडीपी ने मिलकर सरकार बनाई और मुफ्ती मोहम्मद सईद मुख्यमंत्री बने। जनवरी 2016 में मुफ्ती मोहम्मद सईद का निधन हो गया। जिसके चलते राज्य में करीब चार महीने तक राज्यपाल शासन लागू रहा। बाद में मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी महबूबा मुफ्ती मुख्यमंत्री बनीं। हालांकि, यह गठबंधन 19 जून 2018 तक चला। तब बीजेपी ने पीडीपी से गठबंधन तोड़ लिया। इसके बाद फिर राज्य में राज्यपाल शासन लागू हुआ और अभी वहां राष्ट्रपति शासन लागू है।

Tags:    

Similar News