गहलोत-पायलट टकराव में आलाकमान की निष्क्रियता से कांग्रेस की संभावनाओं पर बुरा असर
गहलोत-पायलट टकराव
अपनी ही सरकार के खिलाफ पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के कार्यकाल के दौरान कथित भ्रष्टाचार के मामलों में कार्रवाई की मांग को लेकर सचिन पायलट जन आक्रोश पदयात्रा निकाल रहे हैं। वहीं राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी पायलट पर अक्सर हमले करते रहे हैं।
गहलोत ने गुरुवार को पायलट पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि जो लोग थारी-म्हारी (तेरा, मेरा) करते हैं, वे कभी भी पार्टी के लिए सफल या वफादार नहीं बन सकते।
इससे पहले पायलट ने भ्रष्टाचार और भर्ती परीक्षाओं के प्रश्न पत्र लीक होने के मुद्दे को उठाने के लिए अजमेर से जयपुर तक 125 किलोमीटर लंबी जन संघर्ष यात्रा शुरू की।
राजस्थान में दिसंबर 2018 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही गहलोत और पायलट के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर टकराव चल रहा है।
हालांकि, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के हस्तक्षेप से अहमद पटेल के निर्देशन में एक समिति के गठन के बाद मामला शांत हुआ। लेकिन इस कमेटी ने आज तक कोई कार्रवाई नहीं की।
गहलोत ने गुरुवार को पायलट पर एक और प्रहार किया, लोकतंत्र में, जो सभी को साथ लेकर चलते हैं वे सफल होते हैं और जो गुट बनाते हैं वे कभी सफल नहीं हो सकते।
उन्होंने कहा, मैंने अपना पूरा जीवन निष्ठा, ईमानदारी और प्रतिबद्धता के साथ पार्टी के सिद्धांतों और नीतियों को मजबूत करने के लिए काम किया है। मैंने लाइन को छोटा करने के बजाय लंबा करने के लिए काम किया है।
उधर गहलोत ने कहा, किसी का भी आदमी हो, मैंने उस समय सभी को इस सोच के साथ चुना कि वह कांग्रेस, पार्टी आलाकमान और सोनिया गांधी का व्यक्ति है। मैंने सभी का सम्मान किया और लोगों का दिल जीतकर आगे बढ़ा।
इससे पहले गहलोत पायलट को निकम्मा, नकारा और गद्दार कह चुके हैं। लेकिन पायलट ने ऐसे शब्दों के इस्तेमाल से परहेज किया है। हालांकि अपनी पदयात्रा के दौरान वह गहलोत सरकार से खुलकर सवाल कर रहे हैं कि पेपर लीक मामले के मुख्य आरोपी आरपीएससी सदस्य बाबूलाल कटारा के घर पर बुलडोजर क्यों नहीं चलाया गया।
जब एजेंट के घर पर बुलडोजर चल सकता है तो आरपीएससी के घर पर क्यों नहीं। उन्होंने सवाल किया कि राजे के खिलाफ कार्रवाई की मांग कैसे अनुशासनहीनता है।
पायलट के गहलोत सरकार पर सवालों की झड़ी लगाने के बीच राजस्थान कांग्रेस के प्रमुख गोविंद सिंह दोतासरा ने कहा है कि यात्रा पायलट का निजी कार्यक्रम है और पार्टी का इससे कोई लेना-देना नहीं है।
जहां गहलोत सत्ता बरकरार रखने की उम्मीद कर रहे हैं, वहीं पार्टी के भीतर की गुटबाजी मतदाताओं के सामने एक खराब तस्वीर पेश कर रही है।
दरअसल, कई मंत्री और विधायक समय-समय पर अपनी ही सरकार पर सवाल उठाते रहे हैं, जिससे पार्टी को शर्मिदगी उठानी पड़ी।
जन आक्रोश यात्रा के रूप में पायलट की ताकत का मौजूदा प्रदर्शन और गहलोत के ताजा हमले ने दोनों नेताओं के बीच दरार को और बढ़ा दिया है।
सवाल यह है कि क्या हाईकमान अब कार्रवाई करेगा या चुपचाप बैठना पसंद करेगा। वह मामले को शांत करने के लिए समय समय पर दिग्गज नेताओं को भेजता रहा है। हालांकि, उनके पास पायलट के मुद्दे का समाधान नहीं है। वो केवल तारीखें बता रहे हैं।
एक वरिष्ठ नेता ने कहा, 2020 की बगावत को लेकर एक समिति के गठन के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई और 25 सितंबर को जब गहलोत के विधायकों ने सीएलपी बैठक का बहिष्कार किया और समानांतर बैठक बुलाई, तो भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। लगता है पार्टी में चीजें हाथ से निकल रही हैं।
आईएएनएस
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