किसान आंदोलन: किसानों के पक्ष में उतरीं प्रियंका गांधी, रास्ते में बिछाए गए कील-कांटे को लेकर केंद्र सरकार पर दागे सवाल
- किसानों के पक्ष में उतरीं प्रियंका गांधी
- 13 फरवरी को दिल्ली में विरोध प्रदर्शन करने वाले हैं किसान
- सरकार किसानों को पंजाब और हरियाणा से दिल्ली आने के लिए रोक रही है
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पंजाब और हरियाणा के किसान राजधानी दिल्ली में केंद्र सरकार के खिलाफ 13 फरवरी को विरोध प्रदर्शन करने जा रहे हैं। विरोध प्रदर्शन की खबर सुनते ही तीन केंद्रीय मंत्रियों ने किसानों से मुलाकात कर उनकी समस्याओं के समाधान का आश्वासन दिया। लेकिन, किसान अपने बात को लेकर दिल्ली आने को लेकर अडिग हैं। केंद्र सरकार उन्हें दिल्ली आने से रोक रही है। अंबाला, हरियाणा किसानों के विरोध प्रदर्शन से पहले पंजाब-हरियाणा बॉर्डर को सील किया गया। सीमा पर बीएसएफ और आरएएफ के जवान भी तैनात किए गए हैं। जगह जगह पर रास्ते में कील-कांटे बिछाए गए हैं। जिस पर अब कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने सवाल खड़े किए हैं।
किसानों के लिए प्रियंका ने केंद्र सरकार से किए सवाल
सोशल मीडिया पर वीडियो शेयर करते हुए प्रियंका गांधी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने सरकार से पूछा कि किसानों के रास्ते में कील-कांटे बिछाना अमृतकाल है या फिर अन्यायकाल? प्रियंका गांधी ने बीजेपी सरकार पर आरोप लगाया है कि इसी असंवेदनशील और किसान विरोधी रवैये ने 750 किसानों की जान ली थी। किसानों के खिलाफ काम करना, फिर उनको आवाज भी न उठाने देना - कैसी सरकार का लक्षण है?
कांग्रेस नेता प्रियंका ने मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा, "किसानों से किया वादा पूरा नहीं किया गया। किसानों के लिए न न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का कानून बनाया गया और न ही किसानों की आय दोगुनी हुई है। फिर किसान देश की सरकार के पास नहीं आएंगे तो कहां जाएंगे?"
पीएम मोदी से सवाल करते हुए प्रियंका गांधी ने पूछा कि प्रधानमंत्री जी देश के किसानों के साथ ऐसा व्यवहार क्यों? आपने किसानों से जो वादा किया था, उसे पूरा क्यों नहीं करते?
इधर, DCP अर्शदीप सिंह ने बताया, "किसान आंदोलन की वजह से हमने शंभू बॉर्डर को सील कर दिया है। जब वे(किसान) यहां आएंगे तो हम उनसे अनुरोध करेंगे कि वे इससे आगे ना जाएं। उन्हें इसकी अनुमति नहीं मिली है। हम चाहते हैं कि वे आंदोलन को शांतिपूर्ण खत्म करके यहां से चले जाएं।"
दरअसल, किसान फसलों के लिए एमएसपी की गारंटी को लेकर कानून बनाने की मांग केंद्र सरकार से कर रहे हैं। साथ ही, उनकी कई अन्य मांग भी हैं। किसान सरकार पर दबाव बनाने के लिए 'दिल्ली चलो' कार्यक्रम की घोषणा किए हैं। मार्च में 200 से ज्यादा किसान संगठन शामिल हैं। इधर, सरकार ने दिल्ली चलो मार्च से ठीक एक दिन पहले यानी 12 फरवरी को दूसरे दौरे की बातचीत किसान से करने वाले हैं।
क्या है किसानों की मांगे?
किसान संगठनों ने जिन मांगो को लेकर दिल्ली कूच करने का ऐलान किया है उनमें से प्रमुख मांगे हैं,
फसलों की एमएसपी पर खरीद का गारंटी कानून बने
किसान और खेतिहर मजदूरों का कर्जा माफ हो और उन्हें पेंशन दी जाए
स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार फसलों की कीमत तय की जाए
भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 फिर से लागू हो
किसान में आंदोलन में मारे गए किसानों के परिवार वालों को मुआवजा और सरकारी नौकरी दी जाए
मुक्त व्यापार समझौतों पर रोक लगे
लखीमपुर खीरी कांड में दोषियों को सजा मिले
नकली बीज, कीटनाशक और खाद बनाने वाली कंपनियों के खिलाफ कड़ा कानून बनाया जाए
बिजली संशोधन विधेयक 2020 रद्द किया जाए
मसाले वाली फसलों के लिए राष्ट्रीय आयोग का गठन किया जाए