योग गुरु बाबा रामदेव ने कोरोना वैक्सीन के बूस्टर डोज पर सवाल उठाते हुए कही बड़ी बातें......
रामदेव ने फिर दिया विवादित बयान योग गुरु बाबा रामदेव ने कोरोना वैक्सीन के बूस्टर डोज पर सवाल उठाते हुए कही बड़ी बातें......
डिजिटल डेस्क, देहरादून। योग गुरु बाबा रामदेव ने कोरोना वैक्सीन को लेकर एकबार फिर विवादित बयान दिया हैं। केंद्र सरकार द्वारा चलाए जा रहे कोरोना वैक्सीनेशन प्रोग्राम पर सवाल उठाते हुए बाबा ने कहा कि बूस्टर डोज लगने के बाद भी अगर किसी व्यक्ति को कोरोना होता हैं। तो यह मेडिकल साइंस का फेलियर है।
बाबा रामदेव ने कहा कि समय के साथ दुनिया के लोग जड़ी-बूटियों की ओर लोट रहे हैं। बाबा का कहना यह भी है कि गिलोय के ऊपर ज्यादा से ज्यादा रिसर्च करें और दवाइयां बनाएं तो भारत भी विश्व की सबसे बड़ी इकोनॉमी बन सकता हैं। यह बात बाबा रामदेव ने एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में कहीं। बता दें पहले भी बाबा रामदेव ने कोविड वैक्सीन पर सवाल उठाया था।
जब देश और दुनिया कोरोना वैक्सीन पर विश्वास कर रही थी उस वक्त भी बाबा ने कहा था कि वह कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए वैक्सीन नही लगवाएंगे । ‘योग’ और ‘आयुर्वेद’ को सुरक्षा का डबल डोज बताते हुए बाबा ने वैक्सीन लगवाने से मना कर दिया था।
बाबा का विश्वास इस बात को लेकर था कि वह कई सालों से लगातार योग कर रहे हैं। जिससे उन्हें संक्रमण का खतरा नहीं हैं। इसके साथ-साथ बाबा ने यह भी दावा किया कि उन्हें कोरोना वैक्सीन की कोई जरूरत नही हैं। बाबा रामदेव का कहना है कि वायरस के कितने भी वेरिएंट आ जाएं, उन्हे संक्रमण से कोई खतरा नही होने वाला है क्योकि उन्हे योग संभाल लेगा।
उन्होंने पूर्व में यह कहा था कि कोरोना को हराने के लिए लोगों को अपनी-अपनी इम्युनिटी सिस्टम को और अधिक मजबूत करने पर ध्यान देना चाहिए ताकि संक्रमण से बचा जा सके। लेकिन उसके कुछ दिनों बाद ही बाबा रामदेव बैकफुट पर आ गए थे। और उन्होंने कोरोना वैक्सीन लगवाने की बात कही थी ।
बता दें बाबा रामदेव ने पतंजलि विवि के पारम्परिक भारतीय चिकित्सा का आधुनिकीकरण, लोक स्वास्थ्य एवं ओद्यौगिक परिप्रेक्ष्य विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में कहा कि प्रकृति से ही हमारी संस्कृति की पहचान होती है। इसी से समृद्धि व स्वास्थ्य भी मिलता है।
पतंजलि विवि के कुलाधिपति बाबा रामदेव ने कहा, आज करोड़ो लोग ने अपने घर में तुलसी, एलोवेरा व गिलोय को स्थान दिया हैं। और लोगों ने अपनी गृह वाटिका इनके पौधे भी लगाए हैं। पूज्य आचार्य ने इसमें बहुत बड़ा योगदान दिया हैं। उन्होंने आगे कहा कि शिक्षा और चिकित्सा की नई दिशाएं भारत से तय होगी।