ईरान की मदद से तेलंगाना संस्थान में दुर्लभ पांडुलिपियों को मिलेगी नई जिंदगी

तेलंगाना ईरान की मदद से तेलंगाना संस्थान में दुर्लभ पांडुलिपियों को मिलेगी नई जिंदगी

Bhaskar Hindi
Update: 2022-09-07 14:00 GMT
ईरान की मदद से तेलंगाना संस्थान में दुर्लभ पांडुलिपियों को मिलेगी नई जिंदगी

डिजिटल डेस्क, हैदराबाद। तेलंगाना राज्य अभिलेखागार अनुसंधान संस्थान में दुर्लभ उर्दू और फारसी ऐतिहासिक पांडुलिपियों के संरक्षण और डिजिटलाइजेशन का काम भारत-ईरान संयुक्त परियोजना के तहत किए जाने पर सहमति बन गई है, इसके लिए एक एमओयू भी साइन किया गया है।

तेलंगाना राज्य अभिलेखागार अनुसंधान संस्थान ने बुधवार को नई दिल्ली में ईरान के कल्चर हाउस यानी नूर इंटरनेशनल माइक्रोफिल्म सेंटर के साथ इसे लेकर एमओयू साइन कर लिया है। इस समझौते के तहत ईरान पांडुलिपियों में सुधार, दस्तावेजों का संरक्षण, डिजिटलीकरण और सूची तैयार करेगा। इस समझौते से एक बार फिर विलुप्त हो रही विरासत को नई जिंदगी मिलेगी।

ईरान और भारत के बीच ये पहल फिर से ऐतिहासिक दस्तावेजों को नई जिंदगी देगी और आने वाली पीढ़ियों को राज्य की विरासत के बारे में बताएगी। ये अन्य देशों के इतिहासकारों या विद्वानों के लिए भी फायदे का समझौता है जो भारत और तेलंगाना के मध्ययुग और आधुनिक इतिहास पर खोज या शोध के लिए तेलंगाना राज्य अभिलेखागार के साथ मदद करते हैं।

तेलंगाना सरकार के अधिकारियों ने ये भी साफ कर दिया है कि, इस पूरी प्रक्रिया में राज्य नहीं ईरानी सरकार ही खर्च करेगी। भारत के प्रमुख रिसर्च इंस्टीट्यूट में से एक तेलंगाना राज्य अभिलेखागार और अनुसंधान संस्थान में मुगल राजवंशों से जुड़े हुए 1406 ईस्वी पूर्व के दुर्लभ और ऐतिहासिक अभिलेखों का संगम यानी संग्रह है। जिसमें बहमनी, कुतुब शाही, आदिल शाही और मुगल राजवंशों से जुड़ी जानकारी है। इस इंस्टीट्यूट में 43 मिलियन से अधिक दस्तावेज हैं और बता दें इसमें से 80 फीसदी अभिलेख शास्त्रीय फारसी और उर्दू की भाषा में है। क्योंकि ये भाषा तत्कालीन राजवंशों की बोली थी। साथ ही अभिलेखों से आापको 1956 से 2014 तक जुटाए गए आंध्र प्रदेश शासन के आदेश, राजपत्रों की जानकारी भी मिल जाएगी।

इंस्टीट्यूट में रखे अभिलेखों से भारत और ईरान की मिली-जुली इतिहास के बारे मे जानकारी मिलती है। ये अपने आप में दोनों देशों के कई यादों को संभाले रखा हुआ है। जिसमें दोनों देशों की कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक कलाकृतियां हैं। इसलिए इस कीमती विरासत को संभाल कर रखना बहुत जरुरी है।

वहीं एएमयू साइन होने के वक्त तेलंगाना के उद्योग और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री के. टी रामा राव और भारत में ईरानी राजदूत डॉ. अली चेगेनी मौजूद रहे। इस कार्यक्रम में तेलंगाना के प्रधान सचिव, आईटीई एंड सी और उद्योग जयेश रंजन, तेलंगाना राज्य अभिलेखागार अनुसंधान संस्थान के निदेशक, डॉ. जरीना परवीन, एनआईएमसी के निदेशक, डॉक्टर मेहदी खजेह पिरी और दक्षिण भारतीय राज्यों के लिए एनआईएमसी के क्षेत्रीय निदेशक अली निरुमंद मौजूद रहे।

 

 

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