मोदी के गुजरात और ममता के पश्चिम बंगाल से राहुल गांधी ने क्यों बनाई दूरी, जानिए किन राज्यों से बचकर निकलेगी गांधी की पदयात्रा, कैसे पूरा होगा भारत जोड़ो का मिशन?
भारत जोड़ो यात्रा-2022 मोदी के गुजरात और ममता के पश्चिम बंगाल से राहुल गांधी ने क्यों बनाई दूरी, जानिए किन राज्यों से बचकर निकलेगी गांधी की पदयात्रा, कैसे पूरा होगा भारत जोड़ो का मिशन?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी को आगामी चुनाव में कड़ी टक्कर देने के लिए कांग्रेस ने तैयारी शुरू कर दी है। इसी कड़ी में 12 राज्यों के रास्ते से होकर गुजरने वाली भारत जोड़ो यात्रा की शुरूआत 7 सितंबर को हो चुकी है। इस यात्रा का नेतृत्व खुद कांग्रेस सांसद राहुल गांधी कर रहे हैं। तमिलानडु के कन्याकुमारी से शुरू की 3570 किलोमीटर की यात्रा में कुल 5 महीने का समय लगेगा। कांग्रेस इस यात्रा से डूबती पार्टी को संजीवनी देना चाहती है। पार्टी का मानना है कि कांग्रेस नए अवतार में भी सामने आएगी, जिसे विपक्षी दल हल्के में नहीं ले सकेंगे। हालांकि इन सभी के बीच राजनीतिक सियासत में एक सवाल जरूर उठ रहा है कि कांग्रेस ने 12 राज्यों को इस यात्रा में शामिल किया लेकिन यूपी के कुछ हिस्सों को छोड़कर, बिहार, बंगाल, झारखंड व गुजरात जैसे राज्यों को क्यों बाहर रखा। क्या कांग्रेस उत्तर भारत में अपनी नींव मजबूत करने पर नहीं विचार कर रही है? ऐसे तमाम मन में उठ रहे सवालों पर आइए हम बात करते हैं।
इन राज्यों से यात्रा नहीं तो उठे सवाल
कांग्रेस ने भारत जोड़ो यात्रा की शुरूआत तो कर दी है लेकिन देश के उन राज्यों से दूरी बना ली है, जहां पर कुछ महीने बाद चुनाव होने वाला है। ऐसे में ये अहम सवाल बनता है कि कांग्रेस नेतृत्व ने ऐसा फैसला क्यों लिया? क्योंकि इसी साल के अंत तक गुजराज जैसे राज्यों में चुनाव होने हैं। अगर इस यात्रा को इधर से गुजारा जाता है तो हो सकता था कि कांग्रेस को बड़ा फायदा मिल जाता। देश की सबसे ज्यादा आबादी व 80 लोकसभा सीटों वाले राज्य यूपी के कुछ हिस्सों से यह यात्रा गुजरेगी। यूपी को लेकर कहा जाता है कि दिल्ली की यात्रा यहीं से होकर गुजरती है फिर भी कांग्रेस नेतृत्व का इस पर ध्यान नहीं गया। बिहार भी 40 लोकसभा सीटों वाला राज्य हैं, कांग्रेस ने इसे भी यात्रा में नहीं शामिल किया। बंगाल में 42 लोकसभा सीटें फिर भी दूरी। लोकसभा चुनाव के लिहाज से गुजरात सबसे अहम है क्योंकि 26 सीटें हैं। गुजरात में इन दिनों विधानसभा चुनाव का माहौल चल रहा है, कांग्रेस की यात्रा इधर से गुजरती तो फायदा मिलना तय माना जा रहा था। लेकिन कांग्रेस के इस फैसले की एक मात्र वजह है कि वह दक्षिण भारत में अपनी जनाधार को एक और मजबूती देना चाहती है।
दक्षिण भारत पर कांग्रेस की नजर
गौरतलब है कि कांग्रेस अब उत्तर भारत को छोड़कर दक्षिण भारत को मजबूत करने में जुट चुकी है। भारत जोड़ो यात्रा की शुरूआत कन्याकुमारी से करने का यही संदेश है। कांग्रेस बीते वर्षो में उत्तर भारत में जिस तरह ताश के पत्तों की तरह बिखरी और उसके जनाधार कम हुए हैं। ऐसे में दक्षिण भारत में पहले से मजबूत कर चुकी सियासी नींव को कमजोर नहीं करना चाहेगी। क्योंकि अपनी यात्रा में केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक और तेलंगाना जैसे राज्यों को शामिल कर कांग्रेस ने स्पष्ट कर दिया है कि उत्तर भारत की अपेक्षा दक्षिण भारतीय राज्यों में उसकी जनाधार अधिक है। इतना ही नहीं कांग्रेस पहले ही दक्षिण भारत चलो की रणनीति पर काम कर चुकी है। अब कांग्रेस अपने इस सियासी चक्रव्यूह में किसी दूसरी पार्टी को घुसने नहीं देना चाहेगी क्योंकि बीजेपी के बड़े नेता की नजरें दक्षिण भारत पर टिकी है और लगातार कई राज्यों का दौरा भी कर रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस ने अपनी सियासी बिसात बिछाना शुरू कर दी है।
भारत जोड़ो यात्रा से कांग्रेस को फायदा?
कांग्रेस भारत जोड़ो यात्रा को लोकसभा चुनाव-2024 को लेकर देखा जा रहा है। इस यात्रा को लेकर राजनीतिक जानकारों का कहना है कि कांग्रेस अपने को राष्ट्रीय पार्टी कहती है लेकिन यूपी, बिहार, बंगाल, गुजरात जैसे राज्यों को इस यात्रा में शामिल न करके कैसे अपने सियासी पिच को मजबूती दे सकती है। कांग्रेस की यूपी, कर्नाटक, केरल, तेलंगाना, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश समेत जिन राज्यों से भारत जोड़ो यात्रा का फैसला लिया है। वहां से लोकसभा की कुल मिलाकर 321 सीटें आती हैं। अगर हम बात करें बीते 2019 लोकसभा की तो कांग्रेस को कुल 37 सीटें मिली थी। ऐसे में अब कांग्रेस के लिए ये चुनौती कि इस यात्रा के कितने वोटों को जोड़ पाएगी और पार्टी को कितनी मजबूती दे सकेगी।