इन दो तरीकों से अपनी विरासत बचा सकते हैं उद्धव ठाकरे? पुराने साथी की सलाह पर अमल करते हुए कार्यकर्ताओं को सौंप दी है बड़ी जिम्मेदारी

उद्धव के पास दो विकल्प इन दो तरीकों से अपनी विरासत बचा सकते हैं उद्धव ठाकरे? पुराने साथी की सलाह पर अमल करते हुए कार्यकर्ताओं को सौंप दी है बड़ी जिम्मेदारी

Bhaskar Hindi
Update: 2023-02-18 09:24 GMT
इन दो तरीकों से अपनी विरासत बचा सकते हैं उद्धव ठाकरे? पुराने साथी की सलाह पर अमल करते हुए कार्यकर्ताओं को सौंप दी है बड़ी जिम्मेदारी

डिजिटल डेस्क, मुबंई। उद्धव ठाकरे के लिए कल (शुक्रवार) का दिन काफी निराशाजनक रहा क्योंकि बाला साहेब ठाकरे की विरासत शिवसेना एकनाथ शिंदे के पास चली गई है। शुक्रवार शाम को भारतीय चुनाव आयोग ने अपना फैसला सुनाते हुए विधायकों और सांसदों की संख्या के आधार पर शिवसेना की बागडोर एकनाथ शिंदे को सौंप दी। इस फैसले के बाद महाराष्ट्र की सियासत का पारा काफी बढ़ गया है। उद्धव ठाकरे चुनाव आयोग समेत सतारूढ़ भाजपा पर भी काफी आक्रामक दिखाई दे रहे हैं। ठाकरे से शिवसेना छिन जाने पर पीएम मोदी को भी उन्होंने आड़े हाथों लिया है। ठाकरे का कहना है कि देश में लोकतंत्र खत्म हो रहा है। भारत तनाशाही के रास्ते पर जा रहा है। बता दें कि, उद्धव ठाकरे अपनी शिवसेना को बचाने के लिए काफी जतन कर रहे थे। लेकिन आयोग के एक फैसले ने उनकी सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। अपनी विरासत छीन जाने के बाद उद्धव के सामने कोई रास्ता दिखाई नहीं दे रहा है। ऐसा संभव है कि ठाकरे सुप्रीम कोर्ट का रूख कर सकते हैं, ताकि अपने पिता बाला साहेब ठाकरे की पार्टी को बचा सकें।

ठाकरे परिवार की नींद उड़ी

आयोग के एक फैसले ने ठाकरे परिवार की नींद छीन ली है। हिंदुत्व का झंडा बुलंद करने वाली पार्टी अब किसी और के हाथों में चली गई है। उद्धव को इस बात का भी मलाल होगा कि जिस पार्टी को उनके पिता कई सालों से संभालते आए हैं अब उस पार्टी पर किसी और का दबदबा होने जा रहा है। ठाकरे को इस बात का भी दुख होगा कि वो पिता बालासाहेब ठाकरे की विरासत को सही तरीके से संभाल नहीं पाए। हालांकि, इन सब से इतर उद्धव ठाकरे यह जरूर सोच रहे होंगे कि खोई हुई शिवसेना को कैसे पाया जा सके। लेकिन उनके लिए यह करना इतना आसान नहीं होगा। 

उद्धव के पास दो विकल्प?

57 सालों से जिस पार्टी पर ठाकरे परिवार का राज चलता रहा, उसे अब कोई और चलाएगा। ठाकरे के पास कुछ ज्यादा तो विकल्प नहीं है। लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि उद्धव ठाकरे चुनाव आयोग के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं। अगर ठाकरे पार्टी बचाने के लिए शीर्ष अदालत का रूख करते हैं तो इस मुद्दे पर लंबी बहस चलने की संभावना है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ठाकरे चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के समक्ष यह पूरा मामला ले जाने की तैयारी में है। उन से अपील कर सकते हैं कि इस मसले पर निष्पक्ष तरीके से सुनवाई हो। 

शरद पवार ने दिया सुझाव

उद्धव ठाकरे के पास दूसरा विकल्प है कि वह एनसीपी प्रमुख शरद पवार की बातों पर अमल करें। शरद पवार ने आयोग के इस फैसले के बाद उद्धव ठाकरे से बातचीत की है। पवार ने ठाकरे को सुझाव दिया है कि एक बार फिर आम जनता में जाए और अपनी विचारधारा को उनके समक्ष रखे। सब कुछ भुलाकर राजनीति में  एक नई शुरूआत करें। एनसीपी और पार्टी के एक-एक नेता आपके साथ हैं। 

उद्धव के पास तीसरा विकल्प है कि वह अपने कार्यकर्ताओं के साथ जमीनी स्तर पर नई पार्टी बनाकर अपनेआप को मजबूत करें। राजनीतिक तौर पर अपने विरोधी दलों के गलत नीतियों को समय-समय पर उजागार करते रहें।

 


 

 

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