अब कर्नाटक में चुनाव प्रचार के दौरान अशोक गहलोत ने भरी सभा में साधा सचिन पायलट पर निशाना! जानिए बयान के क्या हैं मायने
गहलोत-पायलट विवाद अब कर्नाटक में चुनाव प्रचार के दौरान अशोक गहलोत ने भरी सभा में साधा सचिन पायलट पर निशाना! जानिए बयान के क्या हैं मायने
डिजिटल डेस्क, बेंगलुरु। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए तमाम प्रमुख राजनीतिक पार्टियां धुआंधार चुनाव प्रचार-प्रसार कर रही है ताकि वोटर्स को लुभाया जा सके। इसी को देखते हुए कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कर्नाटक में चुनाव प्रचार करने पहुंचे थे। जहां पर वो मौजूदा सरकार भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) पर जमकर बरसे। इसके अलावा गहलोत अपने और सचिन पायलट के रिश्ते पर भी बोला। जिसके बाद से ही गहलोत के बयान के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।
दरअसल, पिछले 3 सालों से कांग्रेस नेता सचिन पायलट और सीएम अशोक गहलोत के बीच खुलकर बयानबाजी होती रही है। जिसकी वजह से कई बार पार्टी आलाकमान को बीच बचाव करने के लिए आना पड़ा है। लेकिन कर्नाटक चुनाव प्रचार के दौरान दिया गया बयान काफी अहम माना जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, सीएम गहलोत सचिन पायलट से हाथ मिलाने को तैयार नहीं हैं। क्योंकि अगर वो पायलट से हाथ मिलाते हैं तो उन्हें राजनीतिक तौर पर समझौता करना पड़ सकता है।
पायलट पर क्या बोल गए गहलोत?
कर्नाटक चुनाव प्रचार के दौरान सीएम अशोक गहलोत ने कहा, "हर पार्टी में, हर राज्य में आपस में थोड़ा बहुत मनमुटाव होता ही है। राजस्थान भाजपा में जो मनमुटाव है, वो कहीं देखने को नहीं मिलेगा। कर्नाटक में भी भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं।" गहलोत के इसी बयान को अब हर कोई अलग-अलग तरीके से देख रहा है। सियासत के जानकरों का कहना है कि सीएम गहलोत ने सब पार्टियां का जिक्र करके सचिन के मुद्दे से अपने आप को दूर करने की एक कोशिश की है।
— ANI_HindiNews (@AHindinews) May 1, 2023
बयान के क्या हैं मायने?
राजस्थान की सियासत पर पैनी नजर रखने वाले राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि, सचिन पायलट राजस्थान की सियासत में कांग्रेस के बड़े नेताओं में से एक हैं जिनका जनाधार जाट समुदायों में जबरदस्त है। लेकिन गहलोत ने बीजेपी का जिक्र करके उन पर निशाना ही साधा है। विश्लेषकों का मानना है कि, गहलोत कभी नहीं चाहते हैं कि सचिन पायलट राजस्थान की सियासत के शीर्ष पद पर जाएं क्योंकि अगर वो उच्च पद पर जाते हैं तो गहलोत का कद राजस्थान की सियासत में कम हो सकता है।