मतदाताओं को लगता है, धर्मिक ध्रुवीकरण प्रचार के दौरान अहम भूमिका निभाएगा

कर्नाटक मतदाताओं को लगता है, धर्मिक ध्रुवीकरण प्रचार के दौरान अहम भूमिका निभाएगा

Bhaskar Hindi
Update: 2023-03-29 15:00 GMT
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कर्नाटक में विधानसभा चुनाव की तारीखों को ऐलान हो चुका है। राज्य में 10 मई को मतदान होगा। इसे लेकर सीवोटर ने सर्वे किया है। ओपिनियन पोल के अनुसार, संभावित मतदाताओं को लगता है कि धार्मिक ध्रुवीकरण एक महत्वपूर्ण फेक्टर हो सकता है जो दक्षिणी राज्य में विधानसभा चुनाव को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकता है।

सीवोटर पोल में कांग्रेस को 244 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा में 115 से 127 सीटें जीतने और राज्य में बहुमत की सरकार बनाने का अनुमान लगाया गया है। इससे वाकिफ भाजपा के रणनीतिकार धर्म और अल्पसंख्यक कार्ड का इस्तेमाल कर वापसी करने की कोशिश कर सकते हैं क्योंकि चुनावों के लिए प्रचार तेज हो गया है।

सीवोटर सर्वेक्षण के अनुसार, 34 प्रतिशत उत्तरदाताओं (लोगों) का मानना है कि धार्मिक ध्रुवीकरण चुनावों को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकता है। जबकि अन्य 30 प्रतिशत का मानना है कि हिजाब विवाद (लिंगायत समुदाय के लिए अल्पसंख्यक दर्जे के साथ) एक बड़ी भूमिका निभा सकता है।

चुनाव की घोषणा से ठीक पहले मार्च के अंत में सर्वेक्षण किया गया था, और जनसांख्यिकी, आयु समूहों और पहचान के लगभग 25,000 लोगों के साथ बातचीत की गई थी। चुनाव आयोग के अनुसार, चुनाव 10 मई को होने हैं और परिणाम 13 मई को घोषित किए जाएंगे।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जब सीवोटर ने संभावित मतदाताओं से कर्नाटक में उन्हें चिंतित करने वाले सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों की पहचान करने के लिए कहा, तो उन्होंने धार्मिक ध्रुवीकरण और हिजाब का बमुश्किल उल्लेख किया। लेकिन बेरोजगारी, बुनियादी ढांचे और भ्रष्टाचार को प्रमुख मुद्दों के रूप में पहचाना गया।

फिर भी, उत्तरदाताओं का एक ही समूह यह भी महसूस करता है कि अभियान के दौरान बड़े पैमाने पर धर्म का उपयोग किए जाने की ज्यादा संभावना है।

कर्नाटक चुनाव की घोषणा से कुछ समय पहले भाजपा सरकार ने मुसलमानों के लिए 4 प्रतिशत कोटा हटा दिया था। हिजाब का मुद्दा एक साल से अधिक समय से चल रहा है और सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक इस मामले पर अंतिम फैसला नहीं सुनाया है। इसके अलावा, टीपू सुल्तान विवाद चुनाव की घोषणा से पहले ही कई बार उठा है।

(आईएएनएस)

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