राज्यसभा की उत्पादकता 47.9 फीसदी तक गिर गई, आत्मनिरीक्षण जरूरी : वेंकैया नायडू
सामूहिक चिंतन की आवश्यकता राज्यसभा की उत्पादकता 47.9 फीसदी तक गिर गई, आत्मनिरीक्षण जरूरी : वेंकैया नायडू
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने बुधवार को सामूहिक चिंतन और व्यक्तिगत आत्मनिरीक्षण का आह्वान किया, क्योंकि सदन की उत्पादकता केवल 47.9 प्रतिशत रही, जो चार वर्षो से अधिक समय में हुए 12 सत्रों में से पांचवां सबसे कम है।
निर्धारित समय से एक दिन पहले बुधवार को राज्यसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई।
नायडू ने सदन के कामकाज पर चिंता और नाखुशी जाहिर की। अपनी संक्षिप्त समापन टिप्पणी में नायडू ने सांसदों से सामूहिक रूप से चिंतन करने और व्यक्तिगत रूप से आत्मनिरीक्षण करने का आग्रह किया कि सत्र किस तरह से गुजरा है।
उन्होंने कहा, महान सदन का शीतकालीन सत्र आज समाप्त हो रहा है। मुझे आपके साथ यह बताते हुए खुशी नहीं हो रही है कि सदन ने अपनी क्षमता से बहुत कम काम किया। मैंने आप सभी से सामूहिक और व्यक्तिगत रूप से चिंतन करने और आत्मनिरीक्षण करने का आग्रह करता हूं।
मैं इस सत्र के दौरान विस्तृत रूप से बोलना नहीं चाहता था, क्योंकि इससे मुझे बहुत आलोचनात्मक दृष्टिकोण मिलता। इस सत्र के दौरान सदन के कामकाज के विभिन्न पहलुओं के बारे में आंकड़े व्यापक प्रसार के लिए मीडिया को जारी किए जाएंगे।
बुधवार को समाप्त हुए शीतकालीन सत्र की 18 बैठकों के दौरान राज्यसभा ने 47.9 प्रतिशत उत्पादकता दर्ज की। कुल निर्धारित बैठक समय 95 घंटे 06 मिनट में से सदन केवल 45 घंटे 34 मिनट के लिए कार्य निपटा सका। पिछले चार वर्षो में नायडू की अध्यक्षता वाले 12 सत्रों में 47.90 प्रतिशत की इस सत्र की उत्पादकता पांचवीं सबसे कम है।
लगातार व्यवधानों और जबरन स्थगन के कारण कुल 49 घंटे 32 मिनट का समय नष्ट हो गया। समय का नुकसान उपलब्ध समय का 52.08 प्रतिशत है।
प्रश्नकाल सबसे बुरी तरह प्रभावित हुआ, जिसमें उपलब्ध कुल प्रश्नकाल का 60.60 प्रतिशत व्यवधानों के कारण नष्ट हो गया। प्रश्नकाल की 18 में से सात बैठकें नहीं हो सकीं।
सत्र के दौरान राज्यसभा द्वारा 10 विधेयक पारित किए गए, जबकि अंतिम दिन संपन्न होने वाले विनियोग विधेयक पर चर्चा नहीं हुई।
सरकारी विधेयकों पर चर्चा करने में कुल 21 घंटे 7 मिनट का समय लगा, जिसमें विनियोग विधेयक भी शामिल है, जो सदन के कामकाज के समय का 46.5 प्रतिशत है। इन बहसों में सांसदों द्वारा 127 हस्तक्षेप किए गए।
सदस्य सत्र के दौरान शून्यकाल के लिए उपलब्ध समय का केवल 30 प्रतिशत ही प्राप्त कर सके और 18 बैठकों के दौरान केवल 82 शून्यकाल प्रस्तुतियां दी जा सकीं।
शीतकालीन सत्र की अवधि के दौरान राज्य सभा की सात विभाग संबंधित स्थायी समितियों ने 28 घंटे 36 मिनट की कुल अवधि में कुल 19 बैठकें की हैं। इन समितियों ने इन बैठकों में औसतन 1 घंटे 32 मिनट की अवधि और लगभग 51 प्रतिशत की औसत उपस्थिति दर्ज की।
परिवहन, पर्यटन और संस्कृति संबंधी समिति ने प्रति बैठक 2 घंटे 5 मिनट की उच्चतम औसत अवधि के साथ सबसे अधिक सात बैठकें कीं। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, वाणिज्य एवं गृह मामलों की समितियों ने लगभग 60 प्रतिशत या उससे अधिक की अच्छी उपस्थिति की सूचना दी।
(आईएएनएस)