Owaisi से डरा हुआ है UP का विपक्ष, क्या है माजरा?

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 Owaisi से डरा हुआ है UP का विपक्ष, क्या है माजरा?

Bhaskar Hindi
Update: 2021-12-02 13:00 GMT

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। यूपी विधानसभा चुनाव से पहले सभी राजनीतिक पार्टियां सियासी समीकरण को साधने में जुट गई हैं। अब यूपी की राजनीति में असदुद्दीन ओवैसी सभी राजनीतिक दलों का खेल बिगाड़ रहे हैं। बता दें कि पहले चर्चा हो रही थी कि ओवैसी सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर के साथ गठबंधन करेंगे। लेकिन सीट को लेकर बात नहीं बनी तो राजभर ने दूरी बना ली और अखिलेश के साथ हाथ मिला लिया। अखिलेश पहले ही ऐलान कर चुके है, ओवैसी के साथ गठबंधन नहीं करेंगे। बसपा सुप्रीमों मायावती भी किसी राजनीतिक दल के साथ गठबंधन नहीं करेंगी। कांग्रेस ने अभी तक किसी दल के साथ गठबंधन नही किया, हालांकि ये तय माना जा रहा कि कांग्रेस भी अकेले दम पर विधानसभा चुनाव में उतरेगी। इन सभी राजनीतिक दलों के लिए ओवैसी चिंता का विषय बनें हुए है क्योंकि ये सभी दल मुस्लिम वोट पाना चाहते है लेकिन ओवैसी से बिना गठबंधन किए। ओवैसी इन सभी पार्टियों के खिलाफ धुआंधार चुनावी प्रचार कर रहे हैं। औवेसी की रैलियों में जबरदस्त जनसमर्थन भी देखने को मिल रहा है। 

ओवैसी बीजेपी के बी टीम का हिस्सा

आपको बता दें कि ओवैसी के ऊपर कांग्रेस इस बता को लेकर हमलावर रहती है कि यूपी में वह बीजेपी बी टीम का हिस्सा है तथा बीजेपी के एजेंट के तौर पर काम कर रहे हैं। उधर किसान नेता राकेश टिकैत ने ओवैसी को बीजेपी का चचा जान बोलकर राजनीति में और हवा फूंक दी थी। इन सभी आरोपो को ओवैसी खारिज कर चुके हैं। पिछले दिनों तो राकेश टिकैत ने ओवैसी को खुला सांड तक बता चुके थे। दरअसल, विपक्षी दलों के लिए ओवैसी के साथ खड़े होने का मतलब बीजेपी को ध्रुवीकरण का मौका देना होगा। और विपक्षी दल बीजेपी को चुनावी मुद्दा बनाने का मौका नहीं देना चाहते हैं। अगर वे ओवैसी के साथ मैदान में उतरते हैं तो उन पर भी मुस्लिम परस्त और कट्टरपंथी पार्टी के साथ खड़ा होने का आरोप लग सकता है। यही वजह है कि बिहार और पश्चिम बंगाल के बाद अब यूपी में भी कोई ओवैसी से हाथ मिलाने को तैयार नहीं है।

ओवैसी से क्यों दूरी? 

आपको बता दें कि विपक्षी दल सपा, कांग्रेस, बसपा में मुस्लिम वोटों को लेकर होड़ मची हुई है। लेकिन ओवैसी उनके लिए बिन बुलाए हुए मेहमान की तरह की तरह है। जो बीजेपी के साथ सबकी छीछालेदर किए जा रहे हैं। आपको बता दें 2014 के बाद से राजनीतिक पार्टियों ने अपना एजेंडा बदल दिया है। विपक्षी दल हिंदुत्वादी भी दिखना चाहते हैं और अंदर ही अंदर मुस्लिम वोट चाहते हैं लेकिन मुहर नहीं लगाना चाहते हैं। विपक्षी पार्टियां ये समझ रही हैं कि अगर ओवैसी साथ में आते है तो हिंदू वोटर्स नाराज हो जाएंगे। अब राजनीतिक दलों का ये हाल है कि वे न तो ओवैसी को निगल पा रहे हैं ओर न ही उगल पा रहे हैं और सोच रहे हैं कि ओवैसी मैदान छोड़कर भाग जाए। वैसे ओवैसी यूपी के 100 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं।

पश्चिमी यूपी में ओवैसी बिगाड़ रहे हैं खेल

आपको बता दें कि राजनीतिक जानकारों का मानना है कि पश्चिमी यूपी में विपक्षी पार्टियों का काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है। गौरतलब है कि पश्चिमी यूपी की संभल, नगीना, मुरादाबा, शामली, नूरपुर, और अमरोहा समेत एक दर्जन ऐसी सीटें हैं जहां मुस्लिम वोट अहम भूमिका निभाते हैं। औवैसी को लेकर सबसे बड़ी बात यह कि वो मुस्लिमों के मुद्दे को खुलकर सामने आ रहे हैं। उन्हें लोग पसंद भी कर रहे हैं तथा उनकी रैलियों में जबरदस्त भीड़ भी जुट रही है। विपक्ष यह देखकर ओवैसी से घबराया हुआ है। 


 

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