राजस्थान में पुलवामा के शहीदों की विधवाओं पर शुरू हुआ राजनीतिक बवाल, अपनी मांगों को लेकर 11 दिन से धरने पर बैठी हैं महिलाएं
शहीदों की विधवा पर राजनीति राजस्थान में पुलवामा के शहीदों की विधवाओं पर शुरू हुआ राजनीतिक बवाल, अपनी मांगों को लेकर 11 दिन से धरने पर बैठी हैं महिलाएं
डिजिटल डेस्क, जयपुर। पुलवामा अटैक में शहीद हुए जवानों की पत्नियां राजस्थान की सरकार के खिलाफ 11वें दिन भी अपना घरना प्रदर्शन कर रही हैं। जयपुर में धरना प्रदर्शन कर रही शहीदों की विधवा पत्नियां सरकार पर बड़ा आरोप लगा रही हैं। उनका कहना है कि सरकार ने जो उस समय वादे किए थे वो निभाने में अब अनाकानी कर रही है। उन्होंने कहा हमें उस वक्त सरकार ने झूठे आश्वसान दिए और आज सरकार अपने वादों से मुकर रही है। वहीं राजस्थान की सरकार के लिए यह एक बड़ी मुसीबत बन कर उभरती हुई दिखाई दे रही है। राज्य में विपक्ष में बैठी भारतीय जनता पार्टी अशोक गहलोत सरकार को घेरती हुई नजर आ रही है और झूठे वादे करने का आरोप लगा रही है।
बीजेपी को क्या फायदा?
अब इस पूरे मामले पर राजनीति होती हुई दिखाई दे रही है। भाजपा और कांग्रेस के नेता एक दूसरे पर टीका टिप्पणी करने में लगे हुए हैं। बीजेपी इस मुद्दे को व्यापक रूप से उठाना चाहती है ताकि आगामी विधानसभा चुनाव में ज्यादा से ज्यादा वोटर्स को साधा जा सके। पार्टी को लगता है कि सीएम अशोक गहलोत को इसी मुद्दे पर घेर कर विधानसभा चुनाव में काफी हद तक मतदाताओं को अपने पाले में लाया जा सकता है।
सांसद मीरा ने क्या कहा था?
बीते दिनों शहीदों की पत्नियों ने सीएम गहलोत के आवास पर पहुंची थी। जहां पर उनके साथ पुलिस प्रशासन ने काफी बुरा बर्ताव किया था। महिलाओं को सड़क पर घसीटते हुए उन्हें सीएम आवास से हटाने की कोशिश की थी। जिस पर भाजपा ने अपना कड़ा रूख जताया था। इस पूरे घटनाक्रम पर बीजेपी के राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा धरने पर बैठे थे और उन्होंने कहा था कि सरकार अपने वादों को क्यों नहीं पूरा कर रही है? हम सीएम से मिलना चाहते हैं लेकिन हमें मिलने नहीं दिया जा रहा है। जो महिला अपने पति को खो चुकी हैं जिनके पति देश के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिए। आज प्रदेश के मुखिया उन्हीं से मुंह मोड़ रहे हैं।
क्या है पूरा मामला?
बीजेपी सांसद राजवर्धन सिंह राठौर ने इस पूरे मामले पर गहलोत सरकार पर जोरदार हमला बोला है। उन्होंने कहा कि इस सरकार ने झूठे वादे किए हैं। सरकार को अपना कर्तव्य निभाना चाहिए। दरअसल, शहीदों की पत्नियां गहलोत सरकार पर यह आरोप लगाई हैं कि जब हमारे पति पुलवामा में हुए आतंकी हमले में शहीद हो गए थे। तब सरकार ने हमें आश्वासन दी थी कि तुम्हारे पति के नाम पर स्कूल, स्मारक और परिवार के किसी सदस्य को नौकरी देंगे। लेकिन सरकार ने इन तमाम मांगों में से किसी भी चीज को पूरी नहीं की है।