राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा वापस लेने के बाद तृणमूल ले सकती है कानूनी सहारा
पश्चिम बंगाल राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा वापस लेने के बाद तृणमूल ले सकती है कानूनी सहारा
डिजिटल डेस्क, कोलकाता। भारत निर्वाचन आयोग द्वारा सोमवार को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा वापस लिए जाने के बाद अब तक तृणमूल कांग्रेस के कोई भी वरिष्ठ नेता अपने विचार व्यक्त करने के लिए आगे नहीं आए हैं, हालांकि संकेत है कि पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ पार्टी इस पर विचार कर सकती है और इस मामले में कानूनी सहारा ले सकती है।
पार्टी प्रवक्ता कुणाल घोष की ओर से बस एक लाइन का जवाब आया। उन्होंने कहा कि अभी चुनाव आयोग के फैसले पर कोई टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी।घोष ने कहा, इस मामले में कोई विस्तृत बयान देने से पहले पार्टी नेतृत्व घटनाक्रम की समीक्षा करेगा।
तृणमूल के वरिष्ठ नेता और तीन बार के लोकसभा सांसद सौगत रॉय ने इस मामले में पार्टी नेतृत्व द्वारा अंतिम निर्णय लेने का दावा करते हुए कहा कि चुनाव आयोग के फैसले का निश्चित रूप से विरोध किया जाएगा।रॉय ने कहा, इससे पहले चुनाव आयोग द्वारा लिए गए कई फैसले गलत साबित हुए हैं। आयोग को कई बार सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी सेंसर किया गया है। आयोग में प्रतिनियुक्ति भेजने के अलावा, हम कानूनी रास्ता अपनाने पर भी विचार कर सकते हैं।
राज्य मंत्रिमंडल के एक वरिष्ठ सदस्य ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा कि इस घटनाक्रम को लेकर कुछ समय से आशंका थी।उन्होंने कहा, पार्टी नेतृत्व ने चुनाव आयोग के फैसले की पूरी तरह से समीक्षा करने के बाद की जाने वाली कार्रवाई के विस्तृत खाके की घोषणा करने का फैसला किया है।
हालांकि, राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि हालांकि तृणमूल नेतृत्व को चुनाव आयोग के फैसले को अदालत में चुनौती देने का पूरा अधिकार है, लेकिन पूरी संभावना है कि यह एक प्रभावी कदम नहीं होगा, क्योंकि भारतीय संविधान ने ऐसे मामलों में चुनाव आयोग को पूर्ण स्वतंत्रता दी है।
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