जगन के खिलाफ महागठबंधन में पवन कल्याण को कठिन चुनौती

आंध्र प्रदेश जगन के खिलाफ महागठबंधन में पवन कल्याण को कठिन चुनौती

Bhaskar Hindi
Update: 2022-05-09 13:30 GMT
जगन के खिलाफ महागठबंधन में पवन कल्याण को कठिन चुनौती

डिजिटल डेस्क, अमरावती। अगले आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव में सत्ता विरोधी वोटों के बंटवारे से बचने के लिए सभी विपक्षी दलों को एक साथ लाने के इच्छुक अभिनेता-राजनेता पवन कल्याण इस बात पर विचार कर रहे हैं कि टीडीपी और भाजपा को एक साथ कैसे लाया जाय। आंध्र प्रदेश भाजपा का राज्य नेतृत्व तेलुगु देशम पार्टी के साथ संबंधों का विरोध कर रहा है। ऐसे में जन सेना नेता को इस बात की फिक्र है कि 2024 के विधानसभा चुनाव के लिए सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के खिलाफ कैसे महागठबंधन बनाया जाए।

पवन कल्याण, जिनका वर्तमान में भाजपा के साथ गठबंधन है, ने स्वीकार किया कि उन्हें यकीन नहीं है कि गठबंधन बनाने की उनकी पहल में कौन आगे आएगा और कौन उनके साथ हाथ मिलाएगा। रविवार को अपनी रायथु भरोसा यात्रा के दौरान नंदयाल जिले में जन सेना नेता ने जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली सरकार को हटाने के लिए विपक्षी दलों के बीच एकता का आह्वान किया।

वाईएसआरसीपी सरकार को उसके कुशासन और जन विरोधी उपायों के लिए फटकार लगाते हुए, उन्होंने राज्य के हित में एक विकल्प के लिए काम करने की कसम खाई। मीडिया के एक सवाल के जवाब में अभिनेता ने कहा, जन सेना एक विकल्प देने के लिए काम करेगी। मुझे आज नहीं पता कि इस प्रक्रिया में कौन साथ आएगा।

साथ ही ये भी कहा कि उनका मानना है कि केवल भविष्य ही बताएगा कि राज्य के व्यापक हित में पार्टियां लोगों को आश्वस्त करने के लिए एक साथ कैसे आएंगी।  उन्होंने बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सोमू वीरराजू के उस बयान के बारे में जवाब देने से बचते हुए कहा, मौजूदा समय में हमारा बीजेपी के साथ 100 फीसदी गठबंधन है। उनसे पूछा गया कि भाजपा के साथ गठबंधन के बावजूद जन सेना लोगों के मुद्दों पर एकतरफा अभियान क्यों चला रही है, उन्होंने जवाब दिया कि वे जल्द ही एक संयुक्त कार्य योजना की घोषणा करेंगे।

टीडीपी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के बयान के बारे में पूछे जाने पर कि वह वाईएसआरसीपी के विरोधी दलों में गठबंधन करने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं, पवन कल्याण ने कहा कि 2014 में भाजपा, जन सेना और टीडीपी का गठबंधन था। उन्होंने यह भी टिप्पणी की कि जब समस्याओं का समाधान नहीं हुआ, तो जनता की ओर से सरकार पर सवाल उठाने के लिए जन सेना गठबंधन से बाहर आ गई।

उन्होंने कहा कि कुछ नेता वाईएसआरसीपी के कुशासन पर बोलने से डरते हैं लेकिन वह चुप रहने वाले नहीं हैं। इसे वाईएसआरसीपी के कुशासन पर भाजपा नेतृत्व की चुप्पी के अप्रत्यक्ष संदर्भ के रूप में देखा जा रहा है। जन सेना नेता ने कहा कि वह सभी मुद्दों को भाजपा नेताओं के संज्ञान में लाएंगे।

मार्च में जन सेना के नौवें स्थापना दिवस के मौके पर एक जनसभा को संबोधित करते हुए, पवन कल्याण ने कहा था कि वह वाईएसआरसीपी को हटाने के लिए अपने सहयोगी भाजपा से रोडमैप की प्रतीक्षा कर रहे हैं। कुछ राजनीतिक विशेषकों का कहना है कि पवन भाजपा से दूरी बनाने के लिए जमीन तैयार कर रहे हैं, क्योंकि भगवा पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व वाईएसआरसीपी के साथ सहज है। यह उन्हें संसद में महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित करने के लिए आवश्यक समर्थन भी दे रहा है।

भाजपा का राज्य नेतृत्व नायडू के साथ अपने गठबंधन को पुनर्जीवित करने के खिलाफ है, जिन्होंने 2019 के चुनावों से पहले नाता तोड़ लिया था और कांग्रेस पार्टी से हाथ मिला लिया था। भाजपा नेताओं ने कहा कि- पिछले चुनावों के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य केंद्रीय नेताओं पर हमले के बाद वे नायडू पर फिर से भरोसा करने के लिए तैयार नहीं हैं।

पवन कल्याण ने 2014 के चुनाव से पहले जन सेना की शुरूआत की थी लेकिन उनकी पार्टी ने चुनाव नहीं लड़ा था। उन्होंने टीडीपी-बीजेपी गठबंधन का समर्थन किया और नरेंद्र मोदी और चंद्रबाबू नायडू के समर्थन में अपने उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया। हालांकि, पवन ने बाद में आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने के अपने वादे से मुकरने पर निशाना साधते हुए भाजपा से दूरी बना ली।

जन सेना ने सीपीआई, सीपीएम और बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन में 2019 का चुनाव लड़ा। हालांकि, गठबंधन को धूल चाटनी पड़ी। वो जिन दो सीटों पर चुनाव लड़े, दोनों में नाकाम रहे। 175 सदस्यीय विधानसभा में जन सेना एक ही सीट जीत पाई है। उसे 6.78 फीसदी वोट मिले और 120 विधानसभा सीटों पर उसकी जमानत जब्त हो गई। लोकसभा चुनाव में उसे कोई सीट नहीं मिली।

हालांकि, जन सेना ने भाजपा से बेहतर प्रदर्शन किया। भाजपा आंध्र प्रदेश में चार विधानसभा और दो लोकसभा सीटों पर 2014 की जीत बरकरार रखने में विफल रही। भगवा पार्टी का वोट शेयर एक प्रतिशत से भी कम था। वाईएसआरसीपी ने 151 सीटें जीतकर तेलुगू देशम पाटी से सत्ता छीन ली। तेलुगू देशम पाटी 23 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर थी।

 

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