स्वतंत्रता की लड़ाई पर बहुत हुई बात, परतंत्र कैसे हुए इस पर भी चर्चा जरूरी : विजय सिन्हा
बिहार स्वतंत्रता की लड़ाई पर बहुत हुई बात, परतंत्र कैसे हुए इस पर भी चर्चा जरूरी : विजय सिन्हा
- स्वतंत्रता की लड़ाई पर बहुत हुई बात
- परतंत्र कैसे हुए इस पर भी चर्चा जरूरी : विजय सिन्हा (आईएएनएस साक्षात्कार)
पटना। बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा का मानना है कि स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई पर रोज बातें होती हैं और इस पर गर्व भी होता है, लेकिन भारत परतंत्र कैसे हुआ, इस पर भी चर्चा होनी चाहिए, जिससे उन गलतियों से सीख लेते हुए भविष्य में उससे बचा जा सके।
भाजपा के नेता सिन्हा आईएएनएस से कई मुद्दों पर खुलकर बात की। यहां पेश है उनसे बातचीत के प्रमुख अंश।
सवाल : बिहार में सत्ता का जनादेश मिलने के बाद भी आपकी पार्टी विपक्ष में है, इसका अगले चुनाव में क्या प्रभाव पड़ेगा?
जबाव : बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर एनडीए सत्ता में आई थी और पूर्व को घोषणा के मुताबिक नीतीश कुमार सीएम बने। इसके बाद नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री की कुर्सी दिखाई देने लगी, वे महागठबंधन के साथ चले गए, इसमें भाजपा ने कहीं पलटी नहीं मारी है। पीएम बनने का सपना लेकर नीतीश जी महागठबंधन में गए हैं। इसे जनता देख रही है। आज भाजपा दमदार तरीके से विपक्ष की भूमिका निभा रही है।
सवाल : कहा जाता है कि नीतीश की लड़ाई भ्रष्टाचार और अपराध से रही है, फिर वे ऐसा कैसे निर्णय लिया? क्या भाजपा से अंदरूनी अनबन हो गई थी?
जबाव : नीतीश जी दरअसल काफी महत्वाकांक्षी व्यक्ति हैं। वे बिना सत्ता के नहीं रह सकते। आप देखिए न उनकी पार्टी कभी बहुमत का आंकड़ा नहीं छू सकी, फिर भी जैसे तैसे सीएम की कुर्सी पर बरकरार रहे। पिछले विधानसभा में भी उनकी पार्टी तीसरे नंबर की पार्टी थी, लेकिन सीएम वही रहे।
सवाल : नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री तो बनाया भी भाजपा ने ही थी? इसमें दोष नीतीश कुमार का कैसे?
जबाव : चुनाव से पूर्व भाजपा ने घोषणा की थी। ज्यादा सीट आने के बावजूद हमने अपने वादे के मुताबिक उन्हें सीएम बनाया, लेकिन वे फिर उसी राजद के पास पहुंच गए, जिनके कार्यकाल के जंगल राज से बिहार को बाहर निकाल कर हमलोग यहां लाए थे। देखिए, इतना तो जान लीजिए अब बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार अप्रासंगिक हो गए हैं। कुछ महीनों के बाद जदयू नाम की राजनीतिक पार्टी देखने तक को नहीं मिलेगी। हाल में हुए विधानसभा उपचुनाव के परिणाम ने साफ संकेत दे दिया है कि जदयू अब इतिहास की बात रह गई है। अगले चुनाव में भाजपा और राजद ही नजर आयेगी।
सवाल : विपक्ष के कई नेता कहते रहे है कि जदयू का विलय राजद में हो जाएगा? आखिर इसका कुछ तो आधार होगा।
जबाव : आपने भी देखा होगा कि नीतीश जी खुद अपना उत्तराधिकारी तेजस्वी यादव को मान चुके हैं। सार्वजनिक तौर पर वे कह चुके हैं कि अब तेजस्वी यादव को आगे बढ़ाना है। क्या जदयू में ऐसा कोई नेता नहीं, जिसे आगे बढ़ाया जाए? जदयू के नेताओं में आज असुरक्षा की भावना उत्पन्न हो गई है। लोग समय की तलाश में हैं। आप खुद समझिए जदयू में वही नेता हैं जो राजद के जंगलराज के खिलाफ लड़ाई लड़कर यहां आए हैं और आज आप उसी जंगलराज के पुरोधा के साथ गलबहिया कर रहे हैं, कोई इसे स्वीकार करेगा?
सवाल : क्या नीतीश फिर से एनडीए में आएंगे, तो क्या भाजपा उनका स्वागत करेगी?
जबाव : इसका सवाल ही अब बेकार है। भाजपा के साथ नीतीश अब कभी भी नहीं आ सकते। नीतीश कुमार के एनडीए छोड़कर जाने से भाजपा कार्यकर्ताओं में खुशी है। भले भाजपा विपक्ष में हो लेकिन कार्यकर्ता जोश और उत्साह से कार्य कर रहे हैं।
सवाल : शराबबंदी, कानून व्यवस्था को लेकर आप लोग काफी सजग दिख रहे हैं?
जबाव : कानून व्यवस्था हमारी प्राथमिकता रही है। बिहार के लोगों से कानून व्यवस्था की स्थिति में सुधार का वादा कर ही एनडीए सत्ता में आई थी। आप खुद देखिए जब से सत्ता परिवर्तन हुआ है कानून व्यवस्था की स्थिति क्या हो गई है। राज्य में हर दिन बड़ी आपराधिक वारदातें हो रही हैं। रही शराबबंदी कानून की बात तो हम इसके समर्थक रहे हैं, लेकिन जहरीली शराब से हो रही मौत का विरोध है। शराबबंदी के बावजूद कहां शराब नहीं मिल रही है? सरकार में बैठे सबको सबकुछ मालूम है। जहरीली शराब और अपराधियों की गोली से लोगों की हो रही मौत के लिए तो सही मायने में सरकार और प्रशासन ही जिम्मेदार है तो मृतक के परिजनों को क्यों नहीं मुआवजा मिलना चाहिए?
(आईएएनएस)
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