बुनियादी ढांचा क्षेत्र की एजेंसियों को अमृत सरोवर से जुड़े जल निकाय परियोजनाओं का नक्शा बनाना चाहिए
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुनियादी ढांचा क्षेत्र की एजेंसियों को अमृत सरोवर से जुड़े जल निकाय परियोजनाओं का नक्शा बनाना चाहिए
- इसमें केंद्र और राज्य सरकारें शामिल हैं।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि बुनियादी ढांचा क्षेत्र में काम करने वाली एजेंसियां, जैसे सड़क और रेलवे को अमृत सरोवर के तहत विकसित किए जा रहे जल निकायों के साथ अपनी परियोजनाओं का नक्शा तैयार करना चाहिए।
उन्होंने कहा, यह एक जीत की स्थिति होगी, क्योंकि अमृत सरोवर के लिए खोदी गई सामग्री का उपयोग एजेंसियों द्वारा सिविल कार्यो के लिए किया जा सकता है।प्रधानमंत्री प्रगति के 40वें संस्करण की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे, जो प्रो-एक्टिव गवर्नेस एंड टाइमली इम्प्लीमेंटेशन के लिए आईसीटी आधारित मल्टी-मोडल प्लेटफॉर्म है। इसमें केंद्र और राज्य सरकारें शामिल हैं।
बैठक में आठ परियोजनाओं और एक कार्यक्रम सहित नौ मदों की समीक्षा की गई। आठ परियोजनाओं में से प्रत्येक में दो परियोजनाएं रेल मंत्रालय, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के साथ-साथ बिजली मंत्रालय और जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग की एक-एक परियोजना थी। इन आठ परियोजनाओं की कुल लागत 59,900 करोड़ रुपये से अधिक है। इससे 14 राज्य - महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, ओडिशा, असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, त्रिपुरा, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और झारखंड जुड़े हुए हैं।
बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड मिशन कार्यक्रम की भी समीक्षा की। मोदी ने राज्यों और एजेंसियों से केंद्रीकृत गति शक्ति संचार पोर्टल का लाभ उठाने के लिए कहा, ताकि रास्ते के अधिकार के आवेदनों का समय पर निपटान सुनिश्चित किया जा सके। इससे मिशन के क्रियान्वयन में तेजी आएगी। साथ ही, उन्हें आम आदमी के लिए ईज ऑफ लिविंग को बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिए काम करना चाहिए।
मोदी ने कहा, राज्य पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान की तर्ज पर एक राज्यस्तरीय गति शक्ति मास्टर प्लान भी बना सकते हैं और इस उद्देश्य के लिए राज्यस्तरीय इकाइयों का गठन कर सकते हैं। यह बेहतर योजना बनाने, प्रमुख मुद्दों की पहचान करने व उन्हें हल करने और परियोजनाओं का काम समय पूरा करने के लिए बेहतर समन्वय सुनिश्चित करने में एक लंबा रास्ता तय कर सकता है।
प्रगति बैठकों के 39 संस्करणों तक कुल 14.82 लाख करोड़ रुपये की लागत वाली 311 परियोजनाओं की समीक्षा की गई है।
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