विवेकानंद मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद टीडीपी ने सीएम के इस्तीफे की मांग की
आंध्र प्रदेश विवेकानंद मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद टीडीपी ने सीएम के इस्तीफे की मांग की
डिजिटल डेस्क, अमरावती। आंध्र प्रदेश में विपक्षी तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) ने मंगलवार को मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी से सुप्रीम कोर्ट द्वारा उनके चाचा और पूर्व मंत्री वाईएस विवेकानंद रेड्डी की हत्या के मामले को तेलंगाना की सीबीआई अदालत में स्थानांतरित करने के बाद इस्तीफे की मांग की है।
टीडीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने जगन मोहन रेड्डी से जानना चाहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद वह कहां छिपेंगे। नायडू ने ट्विटर पर पूछा- आपके चाचा की हत्या के मामले की सुनवाई पड़ोसी राज्य में स्थानांतरित हो गई है। वह भी तब जब आप मुख्यमंत्री हैं! आप जगन रेड्डी कहां छिपेंगे? ।
नेता प्रतिपक्ष ने मांग की कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मद्देनजर मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को विवेकानंद रेड्डी की हत्या के मामले की सुनवाई हैदराबाद में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत में स्थानांतरित कर दी। विवेकानंद रेड्डी की बेटी एन. सुनीता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मामले को दूसरे राज्य में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया था।
जगन मोहन रेड्डी के पिता और पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी के भाई विवेकानंद रेड्डी चुनाव से कुछ दिन पहले 15 मार्च, 2019 को कडप्पा स्थित अपने आवास पर मृत पाए गए थे। राज्य के 68 वर्षीय पूर्व मंत्री और पूर्व सांसद अपने घर पर अकेले थे, तभी अज्ञात लोगों ने उनके घर में घुसकर हत्या कर दी। कडपा में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के चुनाव अभियान की शुरूआत करने से कुछ घंटे पहले उनकी हत्या कर दी गई थी।
हालांकि तीन विशेष जांच दल (एसआईटी) ने जांच की, लेकिन वह रहस्य को सुलझाने में नाकाम रहे। कुछ रिश्तेदारों पर शक जताने वाली सुनीता की याचिका पर सुनवाई करते हुए आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के निर्देश पर सीबीआई ने 2020 में मामले की जांच अपने हाथ में ली थी। टीडीपी पोलित ब्यूरो के सदस्य बोंडा उमामहेश्वर राव ने कहा कि जगन को सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से जगन की नाकाम कोशिशों का पर्दाफाश हो गया।
उन्होंने कहा, जगन जो इस मामले में याचिकाकर्ताओं के मौलिक अधिकारों की रक्षा नहीं कर सके, राज्य के लोगों के अधिकारों की रक्षा कैसे कर सकते हैं? उन्होंने कहा कि, हत्या में शामिल लोगों को अब तक हिरासत में नहीं लिया गया है और यह मुख्यमंत्री की अक्षमता और विफलता को दर्शाता है।
(आईएएनएस)
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