विधेयकों को मंजूरी देने के लिए राज्यपालों की समय सीमा तय करने के लिए प्रस्ताव पारित किया
तमिलनाडु विधेयकों को मंजूरी देने के लिए राज्यपालों की समय सीमा तय करने के लिए प्रस्ताव पारित किया
डिजिटल डेस्क, चेन्नई। तमिलनाडु विधानसभा ने सोमवार को केंद्र सरकार और राष्ट्रपति से सदन द्वारा पारित किए गए विधेयकों को मंजूरी देने के लिए राज्यपालों के लिए समय सीमा तय करने का आग्रह करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया।
तमिलनाडु विधानसभा के नियम 92(7) और 287 के कुछ प्रावधानों को निलंबित करने के बाद प्रस्ताव पेश किया गया था। विशेष प्रस्ताव जिसे सदन में स्थानांतरित करने के लिए 3/4 वोटों की आवश्यकता होती है, उनको अध्यक्ष ने सदन में 146 सदस्यों में से 144 के लिए मतदान करने की अनुमति दी थी।
अन्नाद्रमुक सदन से बहिर्गमन कर गई, जबकि भाजपा विधायक सी. सरस्वती और एम.आर. गांधी ने प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया।
मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने प्रस्ताव पेश करते हुए तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि और कहा कि जब भी प्रधानमंत्री राज्य में होते हैं या जब वह (स्टालिन) नई दिल्ली में होते हैं तो राज्यपाल राज्य सरकार के खिलाफ बोलने की आदत बना लेते हैं।
स्टालिन ने सदन में बोलते हुए कहा, मैं राज्यपाल को बिंदुवार खंडन देकर सदन को राजनीतिक मंच नहीं बनाना चाहता। लेकिन अगर राज्यपाल राजनीतिक मंशा से सदन को बाधित करने का प्रयास करते हैं तो हम मूक दर्शक नहीं बने रह सकते।
उन्होंने आगे कहा, एक ही बजट सत्र में राज्यपाल के विरुद्ध दो प्रस्ताव पेश करने पड़े। राज्यपाल ने राजनीतिक मंशा से काम कर मजबूरी पैदा की है। जिनको इसका एहसास होना चाहिए उन्हें इसका एहसास होगा। यह प्राप्ति का दिन होगा। राज्यपाल तमिलनाडु के लोगों के मित्र बनने को तैयार नहीं हैं।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने कहा, मैं यह नहीं कहूंगा कि राज्यपाल को संविधान की जानकारी नहीं है। लेकिन उनकी राजनीतिक वफादारी ने संविधान के प्रति उनकी वफादारी को खत्म कर दिया है। इसलिए वह सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन करते हुए सार्वजनिक रूप से सरकार की नीतियों की आलोचना कर रहे हैं।
(आईएएनएस)
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