तमिलनाडु सीएम एमके स्टालिन ने लिखा राष्ट्रपति को पत्र, कानून मंत्री एस रघुपति ने सौंपा
तमिलनाडु तमिलनाडु सीएम एमके स्टालिन ने लिखा राष्ट्रपति को पत्र, कानून मंत्री एस रघुपति ने सौंपा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। तमिलनाडु में मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और राज्यपाल आरएन रवि की तनातनी के बीच सीएम एमके द्वारा लिखित पत्र बुधवार को राष्ट्रपति को सौंपा गया। तमिलनाडु के कानून मंत्री एस रघुपति ने एक सीलबंद लिफाफे में राष्ट्रपति को एक सौंपा। द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) सांसद टीआर बल्लू ने डीएमके प्रतिनिधिमंडल की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात हुई और इन नेताओं ने उनके समुख अपनी बात रखी। हालांकि, इस पत्र में क्या है? इसका खुलासा नहीं किया गया है। टीआर बल्लू ने इस संबंध को कोई जानकारी नहीं दी। डीएमके सांसद टीआर बालू ने बताया, मुख्यमंत्री एमके स्टालिन द्वारा लिखा गया पत्र राज्य के कानून मंत्री एस रघुपति ने राष्ट्रपति को सौंपा। उन्होंने यह बताने से इनकार कर दिया गया पत्र में क्या है? उन्होंने केवल यह कहा कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने जो भी पत्र में लिखा है, उससे राष्ट्रपति को अवगत करा दिया गया है। विधानसभा में राज्यपाल ने जो कुछ भी किया, वह सदन के संवैधानिक प्रावधान व नियमों के विरुद्ध है।
राज्यपाल आरएन रवि और सीएम एमके स्टालिन के बीच तनातनी तब बढ़ गई, जब विधानसभा सत्र के दौरान राज्यपाल ने अपने अभिभाषण में कुछ प्रमुख अंशों को छोड़ दिया। उसे पढ़ने ने राज्यपाल ने इंकार कर दिया। यह अभिभाषण राज्य सरकार की ओर से तैयार किया गया था, जिसके बाद सीएम एमके स्टालिन ने इस पर खेद जताया और प्रस्ताव पास कर मूल भाषण को रिकॉर्ड पर लेने को कहा। इसके बाद राज्यपाल आरएन रवि ने सदन का बहिष्कार कर दिया और बाहर निकल गए। इस मसले पर तमिलनाडु सरकार ने 10 जनवरी को कहा था कि विधानसभा को संबोधित करने के दौरान राज्यपाल को राज्य सरकार द्वारा तैयार अभिभाषण को ही पढ़ना चाहिए। उनके निजी विचारों या आपत्ति के लिए कोई जगह नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 176 के तहत साल के पहले विधानसभा सत्र के पहले दिन राज्यपाल का अभिभाषण राज्य सरकार की नीतियों, योजनाओं और उपलब्धियों के बारे में बताने के लिए होता है।
(आईएएनएस)
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