पंजाब के मुख्यमंत्री ने बिजली दरों में बढ़ोतरी कर औद्योगिक क्षेत्र को धोखा दिया
सुखबीर बादल पंजाब के मुख्यमंत्री ने बिजली दरों में बढ़ोतरी कर औद्योगिक क्षेत्र को धोखा दिया
डिजिटल डेस्क, चंडीगढ़। शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने गुरुवार को कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने 5 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली देने का वादा करने के बावजूद बिजली दरों में बढ़ोतरी कर औद्योगिक क्षेत्र को धोखा दिया है।
यहां एक बयान में सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि आप सरकार ने उद्योगों को आपूर्ति की जाने वाली बिजली में 60 पैसे प्रति यूनिट की प्रभावी वृद्धि की थी, जो उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता को और प्रभावित करेगा।
पहले से ही पंजाब से उद्योग उत्तर प्रदेश, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर में शिफ्ट हो रहे हैं। आज की बढ़ोतरी इस पलायन को तेजी से ट्रैक करेगी और राज्य की अर्थव्यवस्था को गंभीर रूप से प्रभावित करेगी, इसके अलावा बड़े पैमाने पर बेरोजगारी भी बढ़ेगी।
बादल ने कहा कि सरकार द्वारा पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (पीएसपीसीएल) के कुप्रबंधन के लिए उद्योग को दंडित किया जा रहा है।
प्रकाश सिंह बादल के कार्यकाल में देश में नंबर वन रहने वाली निगम दिवालिया हो गई है। पीएसपीसीएल को 2,548 करोड़ रुपये के सरकारी विभागों से बकाया बिजली बकाया के साथ-साथ 9,020 करोड़ रुपये की सब्सिडी का भुगतान नहीं किया जा रहा है।
निगम का वित्तीय भविष्य अंधकारमय है क्योंकि आप सरकार ने जानबूझकर अपने स्वयं के इंजीनियरों के संघ के अनुसार सब्सिडी राशि को 7,000 करोड़ रुपये कम करके आंका है। ऐसे में निगम को बैंकों और वित्तीय संस्थानों से उच्च ब्याज दरों पर ऋण लेने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, जिससे यह और अधिक बर्बाद हो रहा है।
बादल ने कहा कि गर्मी का मौसम शुरू नहीं हुआ है, लेकिन राज्य बिजली उपयोगिता ने शहरों में भी प्रति दिन आठ घंटे बिजली कटौती शुरू कर दी है। उन्होंने कहा कि बिजली उपयोगिताओं के पास धन की कमी है, गर्मी के दौरान बिजली की मांग को पूरा करना मुश्किल होगा, जो राज्य में धान की रोपाई को खतरे में डाल सकता है।
आबकारी नीति में भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने के अलावा मुख्यमंत्री से 750 करोड़ रुपये के विज्ञापन बजट में कटौती करके पीएसपीसीएल को देय धनराशि जारी करने के लिए कहते हुए, बादल ने कहा, पीएसपीसीएल को तत्काल धन की आवश्यकता है क्योंकि यह ट्रांसफॉर्मर और ग्रिड की नियमित मरम्मत के लिए भी पैसा नहीं दे पा रहा है। इससे किसानों और पूरी कृषि अर्थव्यवस्था को नुकसान होना तय है।
(आईएएनएस)
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