2022 के विधानसभा चुनावों में कृषि कानूनों को निरस्त करना अहम भूमिका निभाएगा-सर्वे
नई दिल्ली 2022 के विधानसभा चुनावों में कृषि कानूनों को निरस्त करना अहम भूमिका निभाएगा-सर्वे
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आईएएनएस-सी वोटर सर्वेक्षण के अनुसार, कम से कम 55 प्रतिशत लोगों का कहना है कि तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने का फैसला 2022 की शुरूआत में होने वाले विधानसभा चुनावों में अहम भूमिका निभाएगा। आईएएनएस-सीवोटर सर्वेक्षण ने यह स्पष्ट किया है कि कृषि कानून और इसको लेकर होने वाली राजनीति आगामी चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। 55.1 प्रतिशत लोगों का स्पष्ट तौर पर मानना था कि इस फैसले का चुनावों पर प्रभाव पड़ेगा, जबकि केवल 30.8 प्रतिशत का मानना है कि चुनावों में इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। एक बार फिर एनडीए और विपक्षी समर्थकों के विचारों में एकरूपता नजर आई। एनडीए के लगभग 53 प्रतिशत मतदाताओं ने महसूस किया कि चुनावों पर असर पड़ेगा, जबकि 56 प्रतिशत से अधिक विपक्षी मतदाताओं ने ऐसा ही महसूस किया।
यह पूछे जाने पर कि क्या मोदी, जैसा कि उन्होंने 2015 में भूमि अधिग्रहण विधेयक के साथ किया था, दबाव के आगे झुक जाते हैं, जब उन पर व्यवसाय समर्थक होने का आरोप लगाया जाता है? तो एनडीए के 36.3 प्रतिशत समर्थक इससे असहमत थे, जबकि 43 प्रतिशत ने हां में कहा। यह पूछे जाने पर कि निरस्त करने का श्रेय किसे जाता है, एनडीए के 47 प्रतिशत मतदाताओं ने मोदी सरकार का सुझाव दिया, जबकि 36 प्रतिशत विपक्षी समर्थकों ने इससे असहमति जताई। संसद में कृषि कानूनों का विवादास्पद पारित होना और उसके बाद अब निरस्त करना सब राजनीतिक है। लगभग एक साल से चल रहे तीन कृषि कानूनों के विरोध के पीछे के मकसद के बारे में पूछे जाने पर, 56 प्रतिशत से अधिक उत्तरदाताओं ने कहा कि विरोध राजनीति से प्रेरित थे। दिलचस्प बात यह है कि लगभग 48 प्रतिशत विपक्षी मतदाताओं की भी ऐसी ही राय थी।
(आईएएनएस)