समाजवादी पार्टी की टिकट से विधायक बने शिवपाल यादव अब भतीजे की पार्टी के खिलाफ उतारेंगे पार्षद पद के उम्मीदवार, राष्ट्रपति उम्मीदवार के समर्थन में दिखा चुके हैं बागी तेवर
फिर बिखरा यादव कुनबा! समाजवादी पार्टी की टिकट से विधायक बने शिवपाल यादव अब भतीजे की पार्टी के खिलाफ उतारेंगे पार्षद पद के उम्मीदवार, राष्ट्रपति उम्मीदवार के समर्थन में दिखा चुके हैं बागी तेवर
डिजिटल डेस्क,लखनऊ। समाजवादी पार्टी की टिकट पर विधायक बने प्रसपा के अध्यक्ष शिवपाल यादव और सपा प्रमुख अखिलेश यादव के बीच अब फिर से दूरियां बढ़ने लगी है। हालांकि दोनों के बीच आपसी मतभेद काफी समय से देखे जा रहे थे इसी बीच खबर है कि शिवपाल सिंह यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी उत्तरप्रदेश में होने वाले नगर निकाय और महापौर चुनाव अखिलेश यादव की सपा से अलग और सपा के खिलाफ लड़ सकती है।
शिवपाल सिंह यादव ने वह समाजवादी पार्टी में उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। उनका कहना है कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की अपेक्षा की वजह से ही वह जल्द ही अपनी पार्टी के संगठन को पूरे प्रदेश में सक्रिय करेंगे और उत्तरप्रदेश में होने वाले नगर निकायों और महापौर के चुनाव में मैदान में उतरेंगे।
उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि वह अखिलेश यादव की बातों में आकर सपा के टिकिट पर चुनाव लड़े लेकिन उन्हें अफसोस है कि अखिलेश यादव ने उनको विधान सभा चुनाव में कोई जिम्मेदारी नहीं दी। साथ ही उन्होंने पार्टी की किसी बैठक में न बुलाए जाने की बात भी कही।
शिवपाल यादव बुधवार को शास्त्रीनगर में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव चक्रपाणि यादव के घर में पत्रकारों से बात कर रहे थे। उन्होंने यहां पर कहा कि विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव उनको मनाने घर पर आए थे और इस दौरान साथ ही चुनाव लड़ने एवं भविष्य में सम्मान देने की बात कही थी और उनको राजी किया था। बता दें दोनों के बीच आपसी मतभेद पहले विधानसभा चुनाव के रिजल्ट आने के बाद से ही दिखाई देने लगे थे।उसी समय कयास लगाए जा रहे थे कि शिवपाल यादल किसी भी समय सपा के साथ छोड़ सकते हैं।
शिवपाल राष्ट्रपति चुनाव में किसका करेंगे समर्थन?
शिवपाल यादव ने स्पष्ट कर दिया है कि वह राष्ट्रपति चुनाव में द्रोपदी मुर्मू का समर्थन करने वाले हैं। सपा पार्टी के विधायक होने के बाद भी पार्टी से अलग एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार को समर्थन देने के सवाल पर उन्होंने कहा कि विपक्ष और उनकी पार्टी ने उनसे राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए कभी वोट नहीं मांगा न ही उनको मीटिंग में बुलाया। उन्होंने कहा कि एनडीए ने उनको भोज पर बुलाया और वोट मांगा तो उन्होंने द्रोपदी मुर्मू को समर्थन देने की हामी भर दी।