वर्चस्व खोती कांग्रेस में पीके की एंट्री से नाराज हो सकते है जी 23 गुट के नेता, गणितीय विश्लेषण के चक्कर में सामाजिक पहुंच खोने का खतरा

नई दिल्ली वर्चस्व खोती कांग्रेस में पीके की एंट्री से नाराज हो सकते है जी 23 गुट के नेता, गणितीय विश्लेषण के चक्कर में सामाजिक पहुंच खोने का खतरा

Bhaskar Hindi
Update: 2022-04-25 08:12 GMT
हाईलाइट
  • परिवारवाद की कार्यशैली से नाराज जी 23 गुट

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इस समय पूरे देश में कांग्रेस को बेहतर करने की गणितीय और विश्लेषण की सुर्खियां तेजी से चल रही है। एक तरफ कांग्रेस आलाकमान में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की आने की खबर का स्वागत हर्षोल्लास के साथ करने की तैयारी चल रही है, दूसरी तरफ जी 23 समूह के नेताओं में पीके की एंट्री होने के चलते नाराजगी की सुगबुगाहट की खबर है। आपको बता दें इससे पहले पीके नरेंद्र मोदी, नीतीश कुमार, जगनमोहन रेड्डी, ममता बनर्जी और अमरिंदर सिंह के साथ काम कर चुके हैं। 

आपको बता दें कि  जी-23 समूह का गुट कांग्रेस में गांधी परिवार की कार्यशैली से खुश नहीं है। पिछले क़रीब दो साल से कांग्रेस आलाकमान से यह गुट की नाराजगी झेल रहा है। हालांकि आलाकमान से नाराज़ इस गुट के कई नेता कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम चुके हैं। प्रशांत के पार्टी में शामिल होने की स्थिति में भी कुछ और नेता ऐसा कदम उठा सकते हैं।

अब देखना है आने वाले समय में गांधी परिवार से नाराज चल रहा जी 23 समूह में ये नाराजगी और बढ़ती है या कम होती है। हालांकि अभी के माहौल से ये साफ कहा जा सकता है कि यदि पीके की एंट्री से कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में नाराजगी देखने को मिलती है, तो ये साफ है कि आने वाले वक्त में कांग्रेस से कुछ नेताओं का खिसकना तय माना जा रहा  है। ऐसी अटकलें लगाई जा रही है कि कांग्रेस के कई दिग्गज नेता अपनी कम होती वैल्यू के चलते पार्टी छोड़ सकते है और अन्य किसी दल का दामन थाम सकता है।  

कांग्रेस में पीके के प्रवेश से पहले जब पिछले साल प्रशांत  की तृणमूल कांग्रेस चीफ ममता बनर्जी  की पार्टी  में शामिल होने की बात उठी थी तब टीएमसी के कई नेताओं ने इसका कड़ा विरोध किया था। इसमें सबसे पहला नाम ममता बनर्जी के तत्कालीन क़रीबी सुवेंदु अधिकारी थे, जिन्होंने बाद में ममता का साथ  छोड़कर बीजेपी ज्वॉइन कर ली थी।  

कांग्रेस में पीके के शामिल होने और उसे बड़ा तर्जुबा देने से  नाराज नेताओं का मानना है कि  प्रशांत की ताक़त डेटा विश्लेषण है ,जो एक हद तक पार्टी के लिए फायदेमंद हो सकता है लेकिन जनता के बीच सामाजिक पकड़ एक अलग  बात है।  हालांकि राजस्थान सीएम गहलोत कांग्रेस को पीके की सेवाएं लेने पर सहमति दर्ज करा चुके हैं।  लेकिन कोई भी वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अभी तक प्रशांत की  कांग्रेस  पार्टी में शामिल होने के बाद साफ तौर पर नहीं कह रहा है, इसलिए पीके का अभी तक पार्टी में शामिल होने को लेकर सस्पेंस बना हुआ है।  

 

 

 

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