HC के आदेश पर शिवपुरी की नरवर नगर परिषद के चुनावी नतीजों में निर्दलीयों की बल्ले बल्ले, असमजस्य में बीजेपी कांग्रेस
मध्य प्रदेश HC के आदेश पर शिवपुरी की नरवर नगर परिषद के चुनावी नतीजों में निर्दलीयों की बल्ले बल्ले, असमजस्य में बीजेपी कांग्रेस
- 6 निर्दलीय पार्षद जीतने में कामयाब
डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश की एक मात्र नगर पंचायत के परिणाम तो दो दिन पहले ही आ गए, लेकिन नतीजों ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों दिग्गज पार्टियों ने असमजस्य में डाल दिया है। बुधवार को आए नतीजों में बीजेपी कांग्रेस को चार चार तो बसपा को एक पार्षद सीट पर जीत मिली, जबकि 6 निर्दलीय पार्षद जीतने में कामयाब हुए। अब जीते हुए पार्षद ही अध्यक्ष का फैसला करेगे। आपको बता दें अध्यक्ष का चयन अप्रत्यक्ष प्रणाली से होगा। जिसमें अध्यक्ष का चुनाव सीधे मतदातों के द्वारा न कर निर्वाचित हुए पार्षद करते है।
HC के आदेश पर हुआ था चुनाव
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ के आदेश पर शिवपुरी जिले की नरवर परिषद के चुनाव हुए। नगर पंचायत में 15 पार्षदों का चुनाव हुआ। जिसके नतीजों ने कांगेस और बीजेपी के दिग्गजों को मुसीबत में डाल दिया है। दोनों ही पार्टिया अध्यक्ष का पद अपने पक्ष में करना चाहेगे। क्योंकि कुछ माह बाद प्रदेश के स्थानीय निकाय चुनाव होने है। जिस पर दोनों पार्टियों की नजर है। जीते हुए उम्मीदवारों में से ही नगर परिषद के लिए अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव किया जाएगा। किस पार्टी का अध्यक्ष चुना जाएगा, इस बात का फैसला निर्दलीय पार्षदों पर टिका हुआ है।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने शिवपुरी जिले की नरवर परिषद में चुनाव कराने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने निर्वाचन आयोग को फटकार लगाते हुए दो महीने के अंदर चुनाव कराने के निर्देश दिए। हाईकोर्ट के आदेश पर चुनाव आयोग ने अधिसूचना जारी कर 6 मार्च को मतदान और 9 मार्च को नतीजे घोषित करने का आदेस दिया।
किसने लगाई थी याचिका
साल 2018 में नरवर के एक किसान ब्रजेश सिंह तोमर ने हाईकोर्ट में चुनाव कराने के लिए याचिका दायर कर थी। जिसके जवाब में कोर्ट ने 2019 में ही चुनाव कराने का आदेश दे दिया था, लेकिन इसपर अमल नहीं हो पाया था। जिसके बाद किसान ने इसे कोर्ट के अवमानना बताते हुए फिर अदालत का दरवाजा घटखटाया, तब जाकर हाईकोर्ट ने 8 फरवरी 2022 को चुनाव कराने का आदेश दिया। आपको बता दें कोरोना काल के चलते प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव दो साल बाद भी नहीं हुए। नगर निगम और पंचायत प्रमुखों का कार्यकाल सात साल से भी अधिक का हो चला है। कई जगह तो प्रशासनिक अधिकारी जनप्रतिनिधि की जिम्मेदारी संभाल रहे है।