मुसीबत में नीतीश सरकार, हम ने दी सरकार गिराने की धमकी
धर्म संकट में बिहार सरकार मुसीबत में नीतीश सरकार, हम ने दी सरकार गिराने की धमकी
- मांझी को अब बबलू सलाह देगा रिजवान
डिजिटल डेस्क, पटना। धर्म में राजनीति और राजनीति में धर्म, राष्ट्र समाज और धर्म को हमेशा अंधकार की ओर ले जाता है। ये बात मैं नहीं बल्कि राजनीति के चाणक्य ने उस समय बोला, जब नंद और चाणक्य में सवालों के जवाब में तीखे बयानों के जरिए तर्क दिए जा रहे थे। आधुनिक राजनीति के इस दौर में नेता अभिनेता और संतों की ओर से धर्म राष्ट्र और महापुरूषों को लेकर विवादास्पद बयान दिए जा रहे है।
धर्म की राजनीति, राजनीति में धर्म
इस समय धर्म की राजनीति को लेकर न केवल नेता बल्कि धर्म का चोला ओढ़े कई ढोंगी अनाप शनाप बयान दे रहे है। जिन पर तमाम सवाल, आरोप-प्रत्यारोप उठ रहे हैं। वैसे एक राजनेता को धार्मिक होना ठीक है, क्योंकि धर्म के बिना सार्थक राजनीति नहीं हो सकती। हमारे नेताओं को राजनीति के धर्म का पालन करना होगा, न की धर्म की राजनीति। इसका जीता जागता उदाहरण बिहार में पेश होता दिखाई दे रहा है। जहां नीतीश सरकार पर मुसीबत के बादल मंडराते दिखाई दे रहे है।
अगले साल की शुरूआत में पांच राज्यों में चुनाव होने वाले है, जिनके प्रचार में धर्म का सहारा लिया जा रहा है। यूपी से उड़ती हुई धार्मिक बयार बिहार में जा पहुंची। बिहार के पूर्व सीएम और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतनराम मांझी के ब्राह्मणों के खिलाफ दिए बयान के बाद से नीतीश सरकार मुसीबत में आ गई। और अब ये कयास लगाए जा रहे है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन एनडीए में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। और गठबंधन से हम ने अलग होने की धमकी दे डाली।
मांझी के बयान के बाद नीतीश सरकार के मंत्री नीरज कुमार सिंह बबलू ने उम्र का तकाजा देकर उन्हें राजनीति से संन्यास लेने और राम नाम जपने की सलाह दे डाली। इस पर हम पार्टी के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने पलटवार किया, और उन्होंने हम के चार विधायकों को गठबंधन से नाते तोड़ने की बात कह डाली और कहा कि हम अलग हुए तो एनडीए के नेता सड़क पर आ जाएंगे और फिर जी भरकर राम नाम जप कर सकते है।
इस दौरान दानिश ने पीएम मोदी पर भी निशाना साधा। दानिश रिजवान ने कहा कि बबलू को बोलने से पहले उम्र का ध्यान रखना चाहिए कि वे किसके बारे में क्या बोल रहे हैं, दानिश ने बबलू से कहा हिम्मत है तो वे पीएम मोदी पर बोलें, जो कई सभाओं में उल्टा-सीधा बोलते रहे हैं। क्या उन्हें भी घर में बैठने को कहेंगे? वे कैलाश विजयवर्गीय पर भी बोलें, जिन्होंने सेकुलर को जानवर से बदतर बता दिया था। पहले उन लोगों से माफी मंगवाएं। मांझी ने तो माफी मांग ली।
आपको बता दें जीतनराम मांझी ने बीते दिनों पटना में एक कार्यक्रम के दौरान ब्राह्मणों को लेकर आपत्तिजनक बयान दिया। जिस पर सियासत गरमाई हुई है। इस पर हंगामा हुआ तो उन्होंने खेद जताते हुए कहा कि वे ब्राह्मणों के नहीं, ब्राह्मणवाद के विरोधी हैं। मंत्री नीरज कुमार सिंह के बयान से पहले कई बार आरजेडी नेता तेजप्रताप यादव की तरफ से मांझी को अपने साथ आने का न्यौता दिया गया है।