मोदी ने राजनीतिक निष्ठा न प्रदर्शित करने वाली टोपी पहनने का ट्रेंड किया सेट
हिमाचल प्रदेश मोदी ने राजनीतिक निष्ठा न प्रदर्शित करने वाली टोपी पहनने का ट्रेंड किया सेट
डिजिटल डेस्क, शिमला। हिमाचल प्रदेश में 12 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए राजनीतिक सीमाएं खत्म होती जा रही हैं। इस बार राज्य में चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजनीतिक निष्ठाओं को न प्रदर्शित करने वाली टोपी पहनने का ट्रेंड सेट कर दिया है।
राज्य में पहली बार राजनेता, यहां तक कि मतदाता भी पारंपरिक हिमाचली टोपी (टोपी) धारण नहीं कर रहे हैं।
लंबे समय से सामने मैरून बैंड वाली टोपी भाजपा की विचारधारा और हरी पट्टी कांग्रेस की विचारधारा का पर्याय रही है। ये टोपी पूर्व दो बार के मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल और छह बार के कांग्रेस के मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह का ट्रेडमार्क थी।
लेकिन वीरभद्र सिंह और धूमल इस बार सीन से बाहर हैं।
रिवाज बदलेगा के नारे के साथ भाजपा के चुनाव अभियान का नेतृत्व करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक सप्ताह के भीतर राज्य में अपनी चार जनसभाओं में मैरून और ग्रीन बैंड की पहनी। दो रैलियों में वह बहुरंगी बॉर्डर वाली पारंपरिक कुल्लू टोपी पहने हुए थे।
ग्रीन और मैरून टोपी की अवधारणा राज्य के ऊपरी और निचले क्षेत्रों से निकलती है। हरा रंग ऊपरी हिमाचल का प्रतीक है, तो लाल रंग निचले हिमाचल का प्रतिनिधित्व करता है।
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि बहुरंगी टोपी पूरे राज्य को एकजुट करती है।
एक विशेष टोपी का प्रचलन स्वर्गीय वीरभद्र सिंह के साथ शुरू हुआ। वह गर्मियों के दौरान भी हरे रंग का फ्लैप हेडगियर पहनना पसंद करते थे। उनके समर्थक भी उनके साथ अपनी राजनीतिक एकजुटता व्यक्त करने के लिए इस रंग की टोपी पहनते हैं।
इसी तरह भाजपा नेता धूमल ने दोनों चरणों में मैरून फ्लैप को अपना ट्रेडमार्क बना लिया है। बुधवार को हमीरपुर जिले के सुजानपुर रैली में मोदी के साथ मंच साझा करते हुए धूमल पारंपरिक मैरून फ्लैप हेडगियर में नजर आए। इसके विपरीत मोदी ने बहुरंगी टोपी पहनना पसंद किया।
हालांकि सुंदरनगर में अपनी पिछली रैली में मोदी ने कांग्रेस के प्रतीक वाली टोपी पहन रखी थी।
सिरमौर जिले में एक चुनावी रैली के दौरान बीजेपी नेता अमित शाह ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा, इस बार मैरून के साथ हरी टोपी भी बीजेपी की होगी।
6 नवंबर को कांगड़ा जिले में एक चुनावी रैली के दौरान शाह ने बहुरंगी टोपी पहन रखी थी, जो यह दर्शाता है कि पार्टी ऊपरी और निचले हिमाचल के लोगों की मानसिकता को बदलने में विश्वास करती है।
वास्तव में मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने विशेष रंग की टोपी पहनने की दशकों की राजनीति को समाप्त करने का बीड़ा उठाया।
हाल ही में मण्डी जिले में अपने गृह निर्वाचन क्षेत्र सिराज के दौरे में मुख्यमंत्री को हरी टोपी पहने देखा गया था।
निवर्तमान कैबिनेट मंत्री और चार बार के विधायक सुरेश भारद्वाज ने आईएएनएस को बताया कि उन्हें न केवल हरी और मैरून, बल्कि बहुरंगी कुल्लवी और अन्य हिमाचली टोपी पसंद हैं।
उन्होंने कहा, राज्य में हमारी सरकार ने नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन में इस सारे प्रतीकवाद को खत्म कर दिया है।
भाजपा कांग्रेस के साथ अपने पोस्टर युद्ध में लाल रंग की टोपी के अलावा पारंपरिक हिमाचली बहुरंगी टोपी पहने प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीरों के माध्यम से समर्थन हासिल कर रही है।
हालांकि राज्य के सबसे युवा विधायक दिवंगत वीरभद्र सिंह के बेट विक्रमादित्य सिंह, जो कभी-कभी लाल रंग की टोपी पहनते हैं, को छोड़कर कांग्रेस के नेता हरी पट्टी की टोपी का सख्ती से पालन कर रहे हैं।
(आईएएनएस)
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